"ईथेलबर्ट": अवतरणों में अंतर
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'''इंग्लैंड''' के प्रसिद्ध प्राचीन लेखक बीड ने इयोरमेनृक के बेटे केंट के राजा ईथेलबर्ट का उल्लेख किया है। ईथेलबर्ट 507 ई. में गद्दी पर बैठा और संभवत: हंबर तक उसके राज्य का विस्तार था। इस अंग्रेज राजा का महत्व इंग्लैंड में इसके शासनकाल में ईसाई धर्म के प्रचार से है। पेरिस की राजकुमारी ईसाई बेर्ता से उसने विवाह किया और उसी के प्रभाव से 597 में जब ओगस्तीन थैनेट में उतरा तब राजा ने उसके प्रति सहिष्णुता का बर्ताव किया और उसका उपदेश सुनकर स्वयं ईसाई हो गया। एक दूसरा ईथेलबर्ट ईथेलबाल्ड का बेटा, पश्चिमी सैक्सनों का भी राजा था, जो केंट की गद्दी पर 865 ई. में बैठा। उसे भी एक जमाने तक डेनों से युद्ध करना पड़ा था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड | '''इंग्लैंड''' के प्रसिद्ध प्राचीन लेखक बीड ने इयोरमेनृक के बेटे केंट के राजा ईथेलबर्ट का उल्लेख किया है। ईथेलबर्ट 507 ई. में गद्दी पर बैठा और संभवत: हंबर तक उसके राज्य का विस्तार था। इस अंग्रेज राजा का महत्व इंग्लैंड में इसके शासनकाल में ईसाई धर्म के प्रचार से है। पेरिस की राजकुमारी ईसाई बेर्ता से उसने विवाह किया और उसी के प्रभाव से 597 में जब ओगस्तीन थैनेट में उतरा तब राजा ने उसके प्रति सहिष्णुता का बर्ताव किया और उसका उपदेश सुनकर स्वयं ईसाई हो गया। एक दूसरा ईथेलबर्ट ईथेलबाल्ड का बेटा, पश्चिमी सैक्सनों का भी राजा था, जो केंट की गद्दी पर 865 ई. में बैठा। उसे भी एक जमाने तक डेनों से युद्ध करना पड़ा था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=27 |url=}}</ref> | ||
09:14, 29 जून 2018 के समय का अवतरण
इंग्लैंड के प्रसिद्ध प्राचीन लेखक बीड ने इयोरमेनृक के बेटे केंट के राजा ईथेलबर्ट का उल्लेख किया है। ईथेलबर्ट 507 ई. में गद्दी पर बैठा और संभवत: हंबर तक उसके राज्य का विस्तार था। इस अंग्रेज राजा का महत्व इंग्लैंड में इसके शासनकाल में ईसाई धर्म के प्रचार से है। पेरिस की राजकुमारी ईसाई बेर्ता से उसने विवाह किया और उसी के प्रभाव से 597 में जब ओगस्तीन थैनेट में उतरा तब राजा ने उसके प्रति सहिष्णुता का बर्ताव किया और उसका उपदेश सुनकर स्वयं ईसाई हो गया। एक दूसरा ईथेलबर्ट ईथेलबाल्ड का बेटा, पश्चिमी सैक्सनों का भी राजा था, जो केंट की गद्दी पर 865 ई. में बैठा। उसे भी एक जमाने तक डेनों से युद्ध करना पड़ा था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 27 |