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| {'[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]]' के लगभग कितने चित्र प्राप्त हैं, जो [[रामायण]] पर आधारित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-1
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| -15
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| -206
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| -11
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| +14
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| ||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]] के [[रामायण]] पर आधारित 14 चित्र प्राप्त होते हैं, जो [[दलीप सिंह|राजा दलीप सिंह]] के समय के हैं। इससे सम्बधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) गुलेर शैली आरंभिक चित्र 'पंड़ित सेऊ' और उनके दो पुत्र 'मानकू' और 'नैनसुख' ने बनाए। (2) गुलेर कलम का विषय रामायण और [[महाभारत]] की प्रमुख घटनाएं रहीं लेकिन इस शैली में स्त्री-चित्रण को विशेष महत्त्व दिया गया है।
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| {बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-2
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| -[[अमृता शेरगिल]]
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| +[[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]]
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| -[[नंदलाल बोस]]
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| -[[जामिनी राय]]
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| ||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और [[भारतीय चित्रकला]] ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अवनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
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| {[[अवनीन्द्रनाथ ठाकुर|अबनीन्द्रनाथ ठाकुर]] के शिष्यों में निम्न में से कौन नहीं है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-82
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| -[[देवी प्रसाद रायचौधरी]]
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| -[[नंदलाल बोस]]
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| -एल.एम. सेन
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| +गोपाल घोष
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| ||गोपाल घोष, [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] के शिष्यों में नहीं हैं। गोपाल घोष, [[देवी प्रसाद रायचौधरी]] के शिष्य थे। अबनींद्रनाथ टैगोर के प्रमुख शिष्य हैं- [[नंदलाल बोस]], क्षितींद्रनाथ मज़ूमदार, असित कुमार हल्दर, शारदा उकील, मुकुल डे, सुरेंद्रनाथ गांगुली एवं [[जामिनी राय]]।
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