|
|
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 73 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 6: |
पंक्ति 6: |
| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
|
| |
|
| {'फॉसीवाद' ने राज्य को माना है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-18 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -एक आवश्यक बुराई | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -वर्ग विरोध की असमाधेयता का परिणाम और अभिव्यक्ति | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| +व्यक्तियों पर एक निरंकुश शक्ति
| | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| -परिवार और गांवों का एक ऐसा संगठन जिसका उद्देश्य, पूर्ण और आत्मनिर्भर होना है | | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||फॉसीवाद ने राज्य को व्यक्तियों पर निरंकुश शक्ति माना है। इसके अनुसार राज्य सर्वशक्तिमान तथा निरंकुश है। इसकी मान्यता है कि सब कुछ राज्य के अंदर है, राज्य के बाहर तथा [[राज्य]] के विरुद्ध कुछ भी नहीं है। यह उदारवाद एवं लोकतंत्र का घोर विरोधी है। यह निगमित राज्य में विश्वास करता है। यह मानव को राज्य पर कुर्बान कर देता है तथा मानव अधिकारों को मान्यता नहीं देता। इसके अनुसार राज्य साध्य है तथा नागरिक साधन है। | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
|
| |
|
| {'विधि के शासन' की आधुनिक संकल्पना को निरूपित करने का श्रेय दिया जाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-29
| |
| |type="()"}
| |
| -[[अरस्तू]] को
| |
| -मान्टेस्क्यू को
| |
| +ए.वी. डायसी को
| |
| -हेरोल्ड लास्की को
| |
| ||[[भारतीय संविधान]] का अनुक्षेद14 उपबंधित करता है कि "[[भारत]] राज्य-क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित नहीं किया जाएगा"। 'विधि के समक्ष समता' वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे प्रोफेसर ए.वी. डायसी 'विधि शासन' (Rule of law) कहते हैं।
| |
|
| |
| {[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम कहाँ उत्पन्न हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-192,प्रश्न-1
| |
| |type="()"}
| |
| -[[भारत]]
| |
| -[[चीन]]
| |
| +[[ब्रिटेन]]
| |
| -[[अमेरिका]]
| |
| ||[[संविधान]] की अवधारणा सर्वप्रथम [[ब्रिटेन]] में उत्पन्न हुई। ब्रिटेन में आज भी [[संविधान]] का निर्माण लिखित रूप में नहीं किया गया है। ब्रिटेन का संविधान परंपराओं व रीति-रिवाजों की सम्मिलन से बना है।
| |
|
| |
| {'ब्रिटिश सम्राट कोई ग़लती नहीं करता' क्योंकि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-200,प्रश्न-48
| |
| |type="()"}
| |
| -वह सैद्धांतिक रूप से सर्वज्ञाता है
| |
| -वह सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है
| |
| -वह सदैव पुराने निर्णयों के आधार पर ही कार्य करता है
| |
| +वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है
| |
| ||'ब्रिटिश सम्राट कोई गलती नहीं करता' क्योंकि वह सदैव कैबिनेट की सलाह पर ही काम करता है। वस्तुत: ब्रिटिश शासन प्रणाली में ब्रिटिश सम्राट की भूमिका 'शानदार या भव्य शून्य' की भांति है जिसके नाम से संपूर्ण शासन प्रणाली का संचालन सिद्धांत होता है किन्तु व्यवहार में ब्रिटिश सम्राट अपने मंत्रियों द्वारा निर्मित नीतियों को अनुमति प्रदान करने के अतिरिक्त कुछ नहीं करता।
| |
|
| |
|
| {फ्रांसीसी व्यवस्था- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-194,प्रश्न-12 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रत्यक्ष जनतंत्रात्मक है | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| -शुद्ध अध्यक्षात्मक और प्रभावी संघात्मक है | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| +शुद्ध अध्यक्षात्मक नहीं है और शुद्ध संसदीय भी नहीं है | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| -उपर्युक्त में से कोई नहीं | | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
|
| |
|
| {'दि पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कौन थे? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-9
| |
| |type="()"}
| |
| -माओ
| |
| -लेनिन
| |
| +[[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]]
| |
| -स्टालिन
| |
| ||'द पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक [[कार्ल मार्क्स]] है। मार्क्स ने इस ग्रन्थ की रचना प्रूधां के ग्रंथ (फिलॉसफी ऑफ़ पावर्टी) के प्रत्युत्तर में की। अपने ग्रंथ की रचना में मार्क्स का उद्देश्य तत्कालीन जर्मन विचार धारा को क्रांतिकारी स्वरूप देना था।
| |
|
| |
|
| {"मैं ही राज्य हूं" यह घोषणा निम्नलिखित में से किसने की थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-9,प्रश्न-32
| |
| |type="()"}
| |
| -जेम्स प्रथम
| |
| -रॉबर्ट फिल्मर
| |
| +लुई चौदहवें
| |
| -पोप प्रथम
| |
| ||फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें कहा करते थे कि "मैं ही राज्य हूं"। सामान्यत: राज्य और सरकार दोनों शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची अर्थों में किया जाता है। यूरोप के निरंकुश शासक प्राय: अपनी अनियंत्रित सत्ता को न्यायपूर्ण सिद्ध करने के लिए दोनों में भेद नहीं मानते थे। इसी प्रकार की प्रवृत्ति इटली में मुसोलिनी तथा जर्मनी में हिटलर के निरंकुश शासन में मिलती है।
| |
|
| |
|
| {राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत जुड़ा है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-29 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -जेंक्स के नाम से | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| +हेनरी मेन के नाम से | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -लास्की के नाम से
| | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -मोरगन के नाम से | | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत सर हेनरी मेन से जुड़ा है। इस सिद्धांत के अनुसार, "राज्य, परिवार का वृहत रूप है, ऐसे परिवार का जिसमें पिता की प्रधानता थी"। हेनरी मेन के अनुसार, "पितृसत्तात्मक सिद्धांत, वह सिद्धांत है जो समाज का आरंभ ऐसे पृथक परिवारों से मानता है जो सबसे अधिक आयु वाले पुरुष वंशज के नियंत्रण के नियंत्रण व छात्र-छाया में एक साथ रहते हैं"। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
|
| |
|
| {निम्नलिखित में से कौन प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का साधन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-48,प्रश्न-22 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -जनमत संग्रह
| | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| -उपक्रम
| | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| +दबाव समूह | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -लैंडसजीमिंडे | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||'दबाव समूह' प्राय: प्रतिनिध्यात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र की विशेषता होते हैं। दबाव समूह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सामान्य हित वाले व्यक्ति सार्वजनिक मामलों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अतिरिक्त जनमत संग्रह, उपक्रम, प्रत्याह्वान, आरंभन, लोकसभाएं आदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरण हैं। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र स्विट्जरलैंड में पाई जाने वाली शासन प्रणाली है। प्राचीन काल में यह ग्रीक नगर राज्यों में पाई जाती थी।
| | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
| | |
| {निम्नांकित में से कौन-सी विशेषता फॉसीवाद में पाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-19
| |
| |type="()"}
| |
| +प्रजातंत्र का विरोधी है
| |
| -राज्य को साधन मानता है | |
| -समाजवाद का पोषक है
| |
| -अंतर्राष्ट्रीय शांति का अग्रदूत है
| |
| ||फॉसीवाद प्रजातंत्र का विरोधी है। फॉसीवाद का मानना है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद लोकतंत्रवाद आया और वास्तविक रूप से जनता के शासन की स्थापना न कर सका। लोकतंत्र में सत्ता कुछ चतुर और स्वार्थी लोगों के हाथों में केन्द्रित हो गई। इसलिए फॉसीवाद लोकतंत्र को भ्रष्ट, काल्पनिक तथा अव्यावहारिक शासन व्यवस्था मानता है। फॉसीवाद प्रजातंत्र की तुलना शव से करता है। ये संसद को 'बातों की दुकाने' तथा बहुमत के शासन को उलूकों की व्यवस्था कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या इस प्रकार करते हैं" यह समय-समय पर लोगों को जनता की संप्रभुता का झूठा आभास देती रहती है जबकि वास्तविक तथा प्रभावशाली संप्रभुता अदृश्य, गुप्त तथा अनुत्तरदायी हाथों में रहती है।" | |
| | |
| </quiz> | | </quiz> |
| |} | | |} |
| |} | | |} |