"ओलेस गोनचार": अवतरणों में अंतर
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'''ओलेस गोनचार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Oles Honchar'', जन्म- [[3 अप्रैल]], [[1918]]) प्रसिद्ध उक्रेनी लेखक तथा [[उपन्यासकार]] थे। इनके अनेक [[उपन्यास|उपन्यासों]] में द्वितीय महायुद्ध का वर्णन मिलता है। गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं। | '''ओलेस गोनचार''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Oles Honchar'', जन्म- [[3 अप्रैल]], [[1918]]) प्रसिद्ध उक्रेनी लेखक तथा [[उपन्यासकार]] थे। इनके अनेक [[उपन्यास|उपन्यासों]] में द्वितीय महायुद्ध का वर्णन मिलता है। गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं। | ||
*ओलेस गोनचार के 'आल्प्' ([[1947]]), 'नीला डेन्यूब' ([[1947]]) और 'स्वर्ण प्राग' ([[1948]]) उपन्यासों में उन देशवासियों के जीवन का चित्रण किया गया है, जिन्हें द्वितीय महायुद्ध में सोवियत सेना ने फ़ासिस्ट जर्मनी से आज़ाद किया था। | |||
*ओलेस गोनचार के 'आल्प्' [[1947]], 'नीला डेन्यूब' [[1947]] और 'स्वर्ण प्राग' [[1948]] उपन्यासों में उन देशवासियों के जीवन का चित्रण किया गया है, जिन्हें द्वितीय महायुद्ध में सोवियत सेना ने | |||
*'धरती गूँजती है' उपन्यास ([[1947]]) में विगत युद्ध के उक्रेनी छापामारों की जिंदगी का चित्र मिलता है। | *'धरती गूँजती है' उपन्यास ([[1947]]) में विगत युद्ध के उक्रेनी छापामारों की जिंदगी का चित्र मिलता है। | ||
*इनके 'पेरेकोप' उपन्यास में | *इनके 'पेरेकोप' उपन्यास में<ref>[[1919]]-[[1920]], [[1957]]</ref> वर्षों की उक्रेन में हुई घटनाओं का वर्णन है। | ||
*'त्व्राया' [[उपन्यास]] में पूँजीवादी दुनिया में एक मेहनतकश की जिंदगी और संघर्ष की [[कहानी]] है। | *'त्व्राया' [[उपन्यास]] में पूँजीवादी दुनिया में एक मेहनतकश की जिंदगी और संघर्ष की [[कहानी]] है। | ||
*गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं।<ref>{{cite web |url=http:// | *गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं।<ref>{{cite web |url=http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%93%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%B8_%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%A8%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0 |title=ओलेस गोनचार|accessmonthday= 9 जून |accessyear= 2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=भारतखोज |language=हिन्दी }}</ref> | ||
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11:48, 20 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
ओलेस गोनचार (अंग्रेज़ी: Oles Honchar, जन्म- 3 अप्रैल, 1918) प्रसिद्ध उक्रेनी लेखक तथा उपन्यासकार थे। इनके अनेक उपन्यासों में द्वितीय महायुद्ध का वर्णन मिलता है। गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं।
- ओलेस गोनचार के 'आल्प्' (1947), 'नीला डेन्यूब' (1947) और 'स्वर्ण प्राग' (1948) उपन्यासों में उन देशवासियों के जीवन का चित्रण किया गया है, जिन्हें द्वितीय महायुद्ध में सोवियत सेना ने फ़ासिस्ट जर्मनी से आज़ाद किया था।
- 'धरती गूँजती है' उपन्यास (1947) में विगत युद्ध के उक्रेनी छापामारों की जिंदगी का चित्र मिलता है।
- इनके 'पेरेकोप' उपन्यास में[1] वर्षों की उक्रेन में हुई घटनाओं का वर्णन है।
- 'त्व्राया' उपन्यास में पूँजीवादी दुनिया में एक मेहनतकश की जिंदगी और संघर्ष की कहानी है।
- गोनचार के दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हैं।[2]
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