"साँचा:सूक्ति और कहावत": अवतरणों में अंतर

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| class="headbg8" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg7" style="padding-left:8px;"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''सूक्ति और विचार'''</span></div>  
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*जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। '''-स्वामी विवेकानन्द'''
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"| <font color="#003366">सूक्ति और कहावत</font>
*यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- श्रीमद्भागवत गीता'''
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*इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे'''
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
*जीवन का कार्यक्रम है रचनात्मक, विनाशात्मक नहीं;<br /> मनुष्य का कर्तव्य है अनुराग, विराग नहीं। '''-भगवतीचरण वर्मा'''       
{{project:Quotations/{{CURRENTDAYNAME}}}}
*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''
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*शब्द खतरनाक वस्तु हैं । सर्वाधिक खतरे की बात तो यह है कि वे हमसे यह कल्पना करा लेते हैं कि हम बातों को समझते हैं जबकि वास्तव में हम नहीं समझते ।  - '''चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य'''<br />
*Give accordings to your means, or God will make your means according to your giving.- '''John Hall'''<br> अपने साधनों के अनुरूप दान करो अन्यथा ईश्वर तुम्हारे दान के अनुरूप तुम्हारे साधन बना देगा। - '''जॉन हाल'''<br />
[[सूक्ति और विचार|.... और पढ़ें]]  
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06:12, 15 मई 2011 के समय का अवतरण

सूक्ति और कहावत
  • कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है। -महादेवी वर्मा (दीपशिखा चिंतन के कुछ क्षण, पृ. 10)
  • हमारी उन्नति का एकमात्र उपाय यह है कि हम पहले वह कर्तव्य करें जो हमारे हाथ में है, और इस प्रकार धीरे–धीरे शक्ति संचय करते हुए क्रमशः हम सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त कर सकते हैं। -विवेकानन्द (विवेकानन्द साहित्य, तृतीय खण्ड, पृ0 43) .... और पढ़ें