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'''मृत सागर''' [[समुद्र]] के तल से 400 मीटर नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है। यह [[सागर]] अपने उच्च [[घनत्व]] के लिए जाना जाता है। इस सागर में तैराकों का डूबना लगभग असम्भव है। आम पानी की तुलना में मृत सागर के पानी में 20 गुना ज़्यादा | [[चित्र:Dead-Sea.jpg|thumb|250px|मृत सागर]] | ||
'''मृत सागर''' [[समुद्र]] के तल से 400 मीटर नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है। यह [[सागर]] अपने उच्च [[घनत्व]] के लिए जाना जाता है। इस सागर में तैराकों का डूबना लगभग असम्भव है। आम पानी की तुलना में मृत सागर के पानी में 20 गुना ज़्यादा [[ब्रोमिन]], 50 गुना ज़्यादा [[मैग्नीशियम]] तथा 10 गुना ज़्यादा [[आयोडिन]] उपस्थित रहता है। इस सागर के भौतिक गुणों का वर्णन स्वयं अरस्तु ने भी किया है। | |||
==आकर्षण तथा जैव जगत== | ==आकर्षण तथा जैव जगत== | ||
मृत सागर सदा से ही विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। 65 किलोमीटर लम्बा और 18 किलोमीटर चौड़ा यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि इस सागर में किसी का भी डूबना असम्भव है। मृत सागर में मुख्यत: जॉर्डन नदी और अन्य छोटी नदियाँ आकर गिरती हैं। हालाँकि इसमें कोई मछली जिंदा नहीं रह सकती, लेकिन इसमें बैक्टीरिया की 11 जातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा मृत सागर में प्रचुर मात्रा में [[खनिज]] पाए जाते हैं। ये खनिज पदार्थ वातावरण की मदद से कई स्वास्थ्यवर्धक | मृत सागर सदा से ही विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। 65 किलोमीटर लम्बा और 18 किलोमीटर चौड़ा यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि इस सागर में किसी का भी डूबना असम्भव है। मृत सागर में मुख्यत: जॉर्डन नदी और अन्य छोटी नदियाँ आकर गिरती हैं। हालाँकि इसमें कोई [[मछली]] जिंदा नहीं रह सकती, लेकिन इसमें [[बैक्टीरिया]] की 11 जातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा मृत सागर में प्रचुर मात्रा में [[खनिज]] पाए जाते हैं। ये खनिज पदार्थ वातावरण की मदद से कई स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें मुहैया कराते हैं। मृत सागर अपनी विलक्षण ख़ासियतों के लिए कम से कम चौथी सदी से जाना जाता रहा है, जब विशेष नावों द्वारा इसकी सतह से शिलाजीत निकालकर [[मिस्र]] के लोगों को बेचा जाता था। | ||
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मृत सागर का जल चीज़ों को सड़ने से बचाने, सुगंधित करने के अलावा अन्य दूसरे काम के उपयोग में भी आता था। इसके अलावा मृत सागर के अंदर की गीली मिट्टी को 'क्लेयोपेट्रा' की | मृत सागर का जल चीज़ों को सड़ने से बचाने, सुगंधित करने के अलावा अन्य दूसरे काम के उपयोग में भी आता था। इसके अलावा मृत सागर के अंदर की गीली [[मिट्टी]] को 'क्लेयोपेट्रा' की ख़ूबसूरती के राज से भी जोड़ा जाता है। अरस्तु ने भी इस सागर के [[जल]] का महत्त्व समझाया है। हाल के समय में इस जगह को हेल्थ रिज़ॉर्ट के तौर पर विकसित किया गया है। [[चित्र:Dead-Sea-1.jpg|thumb|left|250px|मृत सागर]] इसके पास अनेक पिकनिक स्पॉट और होटल बनाए गए हैं। हर समय यहाँ लोगों की भीड़ लगी रहती है। छुट्टियाँ और मौज-मस्ती के अन्य मौकों पर लोग सागर में तैराकी का लुत्फ उठाते हैं। किनारों पर आकर लोग इसका काला कीचड़ अपने शरीर व चेहरे पर लगाते हैं। माना जाता है कि यह कीचड़ न सिर्फ़ [[त्वचा]] को निखारता है, बिल्क इसमें कई बीमारियों को समाप्त करने का भी गुण है। | ||
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14:13, 29 जनवरी 2013 के समय का अवतरण

मृत सागर समुद्र के तल से 400 मीटर नीचे दुनिया का सबसे निचला बिंदु है। यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। इस सागर में तैराकों का डूबना लगभग असम्भव है। आम पानी की तुलना में मृत सागर के पानी में 20 गुना ज़्यादा ब्रोमिन, 50 गुना ज़्यादा मैग्नीशियम तथा 10 गुना ज़्यादा आयोडिन उपस्थित रहता है। इस सागर के भौतिक गुणों का वर्णन स्वयं अरस्तु ने भी किया है।
आकर्षण तथा जैव जगत
मृत सागर सदा से ही विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। 65 किलोमीटर लम्बा और 18 किलोमीटर चौड़ा यह सागर अपने उच्च घनत्व के लिए जाना जाता है। यही वजह है कि इस सागर में किसी का भी डूबना असम्भव है। मृत सागर में मुख्यत: जॉर्डन नदी और अन्य छोटी नदियाँ आकर गिरती हैं। हालाँकि इसमें कोई मछली जिंदा नहीं रह सकती, लेकिन इसमें बैक्टीरिया की 11 जातियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा मृत सागर में प्रचुर मात्रा में खनिज पाए जाते हैं। ये खनिज पदार्थ वातावरण की मदद से कई स्वास्थ्यवर्धक चीज़ें मुहैया कराते हैं। मृत सागर अपनी विलक्षण ख़ासियतों के लिए कम से कम चौथी सदी से जाना जाता रहा है, जब विशेष नावों द्वारा इसकी सतह से शिलाजीत निकालकर मिस्र के लोगों को बेचा जाता था।
मनोरंजक स्थान
मृत सागर का जल चीज़ों को सड़ने से बचाने, सुगंधित करने के अलावा अन्य दूसरे काम के उपयोग में भी आता था। इसके अलावा मृत सागर के अंदर की गीली मिट्टी को 'क्लेयोपेट्रा' की ख़ूबसूरती के राज से भी जोड़ा जाता है। अरस्तु ने भी इस सागर के जल का महत्त्व समझाया है। हाल के समय में इस जगह को हेल्थ रिज़ॉर्ट के तौर पर विकसित किया गया है।

इसके पास अनेक पिकनिक स्पॉट और होटल बनाए गए हैं। हर समय यहाँ लोगों की भीड़ लगी रहती है। छुट्टियाँ और मौज-मस्ती के अन्य मौकों पर लोग सागर में तैराकी का लुत्फ उठाते हैं। किनारों पर आकर लोग इसका काला कीचड़ अपने शरीर व चेहरे पर लगाते हैं। माना जाता है कि यह कीचड़ न सिर्फ़ त्वचा को निखारता है, बिल्क इसमें कई बीमारियों को समाप्त करने का भी गुण है।
रोग नाशक तत्त्व
इस सागर के जल में ब्रोमिन, मैग्नीशियम तथा आयोडिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ब्रोमीन धमनियों को शांत करता है, मैग्नीशियम त्वचा की एलर्जी से लड़ता है और श्वासनली को साफ़ करता है। जबकि आयोडिन कई ग्रंथियों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है। सौन्दर्य और स्वास्थ्य के लिए मृत सागर के गुणों की सिद्धि की वजह से ही कई प्रसिद्ध कंपनियाँ मृत सागर से ली गईं चीज़ों पर आधारित सौन्दर्य प्रसाधन की सामग्री बनाती हैं। इसके गर्म सल्फ़र और कीचड़ कई बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका निभाते है, ख़ासकर आर्थराइटिस और जोड़ों से संबंधित बीमारियों के इलाज में इनक योगदान अधिक है।
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वीथिका
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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