"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर

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==कला और संस्कृति==
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{[[गौतम बुद्ध]] को 'महापरिनिर्वाण' की प्राप्ति कहाँ हुई थी?
|type="()"}
-[[कपिलवस्तु]]
-[[बोधगया]]
-[[सारनाथ]]
+[[कुशीनगर]]
||[[चित्र:Nirvana-Temple-Kushinagar.jpg|right|100px|निर्वाण मन्दिर, कुशीनगर]]कुशीनगर पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] के [[गोरखपुर]] ज़िले से 51 किमी की दूरी पर स्थित है। किंवदंती के अनुसार यह नगर श्री [[रामचन्द्र]] जी के ज्येष्ठ पुत्र [[कुश]] द्वारा बसाया गया था। कुशीनगर [[बुद्ध]] के 'महापरिनिर्वाण' का स्थान है। निर्वाण के पूर्व कुशीनगर पहुँचने पर तथागत (बुद्ध) कुशीनगर में [[कमल|कमलों]] से सुशोभित एक तड़ाग के पास उपवन में ठहरे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कुशीनगर]]


{[[सिक्ख|सिक्खों]] के किस गुरु का जन्म [[पटना]] में हुआ था?
|type="()"}
-[[गुरुनानक|गुरुनानक देव]]
+[[गुरु गोविंद सिंह]]
-[[गुरु तेगबहादुर सिंह]]
-[[गुरु अर्जुन देव]]
||[[चित्र:Guru Gobind Singh.jpg|80px|right|गुरु गोविंद सिंह]]गुरु गोविंद सिंह के जन्म के समय [[भारत]] पर [[मुग़ल|मुग़लों]] का शासन था। [[हिन्दू|हिन्दुओं]] को [[मुस्लिम]] बनाने के लिए [[औरंगज़ेब]] के अत्याचार बढ़ रहे थे। इसी समय 22 दिसंबर, सन 1666 ई. को [[गुरु तेगबहादुर सिंह]] की धर्मपत्नी 'गूजरी देवी' ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया, जो [[गुरु गोविंद सिंह]] के नाम से विख्यात हुआ। बचपन में सभी लोग गोविंद जी को 'बाला प्रीतम' कहकर बुलाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु गोविंद सिंह]]
{'[[छाऊ नृत्य]]' किस राज्य का प्रसिद्ध [[लोक नृत्य]] है?
|type="()"}
+[[उड़ीसा]]
-[[असम]]
-[[झारखण्ड]]
-[[पश्चिम बंगाल]]
||[[चित्र:Chhau-Dance.jpg|120px|right|छाऊ नृत्‍य]][[लोक नृत्य]] में [[छाऊ नृत्‍य]] रहस्‍यमय उद्भव वाला है। छाऊ नर्तक अपनी आं‍तरिक भावनाओं व विषय वस्‍तु को, शरीर के आरोह-अवरोह, मोड़-तोड़, संचलन व गत्‍यात्‍मक संकेतों द्वारा व्‍यक्‍त करता है। 'छाऊ' शब्‍द की अलग-अलग विद्वानों द्वारा भिन्‍न-भिन्‍न व्‍याख्‍या की गई है। छाऊ नृत्य की तीन विधाएँ मौजूद हैं, जो तीन अलग-अलग क्षेत्रों- 'सेराईकेला' ([[बिहार]]), 'पुरूलिया' ([[पश्चिम बंगाल]]) और 'मयूरभंज' ([[उड़ीसा]]) से शरू हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उड़ीसा]]
{प्रसिद्ध गायिका पीनाज मसानी किस गायिकी से सम्बंधित हैं?
|type="()"}
-शास्त्रीय गायन
+गजल गायिकी
-ठुमरी गायिकी
-कर्नाटक संगीत
{उमाकांत और रमाकांत गुंडेचा बंधु कौन हैं?
|type="()"}
+[[ध्रुपद]] के गायक
-[[कत्थक]] के नर्तक
-सरोज जे संगीतज्ञ
-[[तबला|तबले]] के वादक
||आज तक सर्वसम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है, कि 'ध्रुपद' का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। [[अकबर]] के समय में [[तानसेन]] और उनके गुरु [[हरिदास|स्वामी हरिदास]], [[बैजू बावरा|नायक बैजू]] और [[गोपाल नायक|गोपाल]] आदि प्रख्यात गायक ही गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिये लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]]
{विश्वविख्यात पेंटिंग 'द लास्ट सपर' किसकी कृति है?
|type="()"}
-पिकासो
-एंजेलो
+‌विंची
-राफ़ेल
{[[शंकराचार्य]] ने चार मठों की स्थापना कहाँ-कहाँ की थी?
|type="()"}
-[[काशी]], [[पुरी]], [[रामेश्वर]], [[द्वारिका]]
-[[बद्रीनाथ]], [[सोमनाथ]], [[हरिद्वार]], [[पुरी]]
+[[बद्रीनाथ]], [[पुरी]], [[श्रृंगेरी]], [[द्वारिका]]
-[[श्रृंगेरी]], [[पुरी]], [[द्वारिका]], [[ऋषिकेश]]
||[[चित्र:Badrinath-Temple.jpg|thumb|100px|right|बद्रीनाथ मंदिर]]पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब गंगा नदी धरती पर अवतरित हुई, तो यह 12 धाराओं में बंट गई। इस स्थान पर मौजूद धारा अलकनंदा के नाम से विख्यात हुई और यह स्थान बद्रीनाथ, भगवान विष्णु का वास बना। भगवान विष्णु की प्रतिमा वाला वर्तमान मंदिर 3,133 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और माना जाता है कि आदि शंकराचार्य, आठवीं शताब्दी के दार्शनिक संत ने इसका निर्माण कराया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बद्रीनाथ]]
{किस [[सिक्ख]] गुरु ने 'अमृत सरोवर' (अब [[अमृतसर]]) नामक एक नये नगर की स्थापना की?
|type="()"}
-[[गुरु अमरदास]]
+[[गुरु रामदास]]
-[[गुरु अर्जुन देव]]
-[[गुरु गोविंद सिंह]]
||[[चित्र:Guru ramdas.jpg|thumb|100px|right|गुरु रामदास]]गुरु रामदास के समय में लोगों से 'गुरु' के लिए चंदा या दान लेना शुरु हुआ। वे बड़े साधु स्वभाव के व्यक्ति थे। इस कारण सम्राट अकबर भी उनका सम्मान करता था। गुरु रामदास के बाद गुरु की गद्दी वंश-परंपरा में चलने लगी। उन्होंने अपने पुत्र गुरु अर्जुन देव को अपने बाद गुरु नियुक्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु रामदास]]
{[[बुद्ध]] के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह किस [[ग्रंथ]] में है?
|type="()"}
+[[सुत्तपिटक]]
-[[विनयपिटक]]
-[[अभिधम्मपिटक]]
-[[जातक कथा]]
||बुद्ध के धार्मिक विचारों व उपदेशों के संग्रह वाला गद्य-पद्य मिश्रित यह पिटक सम्भवतः त्रिपिटकों में सर्वाधिक बड़ा एवं श्रेष्ठ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुत्तपिटक]]
{[[गौतमबुद्ध]] की माँ किस वंश से सम्बंधित थी?
|type="()"}
-शाक्य वंश
-माया वंश
-लिच्छवि वंश
+कोलिय वंश
{[[लोकायत दर्शन]] का संस्थापक किसे माना जाता है?
|type="()"}
-[[कपिल]]
-बादरायण
+चार्वाक
-[[रामानुज]]
{सरहुल पर्व का सम्बंध किस राज्य से है?
|type="()"}
-[[राजस्थान]]
+[[झारखण्ड]]
-[[मध्य प्रदेश]]
-[[पश्चिम बंगाल]]
||[[चित्र:Vaidyanath-Temple.jpg|thumb|100px|right|वैद्यनाथ मन्दिर, [[देवघर]]]]जनजातीय त्योहार (जैसे सरहुल), वसंतोत्सव (सोहरी) और शीतोत्सव (माघ परब) उल्लास के अवसर हैं। जनजातीय संस्कृति बाहरी प्रभावों, जैसे ईसाईयत, औद्योगिकीकरण, नए संचार सम्पर्कों, जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास परियोजनाओं चलते तेज़ी से बदल रही है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[झारखण्ड]]
{सूफी संत ख्वाजा मुईनुद्दीन चीश्ती का उर्स कहाँ पर मनाया जाता है?
|type="()"}
-[[फतेहपुर सीकरी]] में
-[[आगरा]] में
+[[अजमेर]] में
-[[बिहारशरीफ]] में
||[[चित्र:Pushkar-Lake-Ajmer-3.jpg|thumb|100px|right|पुष्कर झील, अजमेर]]यहाँ की वास्तु धरोहरों में एक प्राचीन जैन मन्दिर (लगभग 1200 ई. पू. में इसे एक मस्जिद में बदल दिया गया), ख़्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती (मृ. 1236) की सफ़ेद संगमरमर से निर्मित दरग़ाह और अब संग्रहालय बन चुका अकबर का महल (1556 से 1605 तक मुग़ल बादशाह) शामिल है। यह शहन राजपूतों (ऐतिहासिक राजपूताना के क्षत्रिय शासक) के ख़िलाफ़ मुसलमान शासकों की सैन्य चौकी था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अजमेर]]
{[[दुमका]] का हिजला मेला किस नदी के किनारे आयोजित होता है?
|type="()"}
-[[दामोदर नदी|दामोदर]]
-स्वणरिखा
-[[बराकर नदी|बराकर]]
+[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]]
||[[चित्र:Masanjore-Dam.jpg|thumb|100px|right|मसनजोर बांध, मयूराक्षी नदी]]इसका उदगम स्थल त्रिकुट में है जो वैद्यनाथ धाम से 16 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस पर एक बांध भी बना हुआ है जिसका नाम मसनजोर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मयूराक्षी नदी दुमका|मयूराक्षी]]
{[[माउण्ट आबू]] का [[दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू|दिलवाड़ा मंदिर]] किसको समर्पित है?
|type="()"}
-[[भगवान विष्णु]]
-[[शिव|भगवान शिव]]
-[[बुद्ध|भगवान बुद्ध]]
+[[जैन|जैन तीर्थंकर]]
||[[चित्र:Jainism-Symbol.jpg|thumb|100px|right|जैन धर्म का प्रतीक]]इन तीर्थंकरों का वह उपदेश जिन शासन, जिनागम, जिनश्रुत, द्वादशांग, जिन प्रवचन आदि नामों से उल्लिखित किया गया है। उनके इस उपदेश को उनके प्रमुख एवं प्रतिभाशाली शिष्य विषयवार भिन्न-भिन्न प्रकरणों में निबद्ध या ग्रथित करते हैं। अतएव उसे 'प्रबंध' एवं 'ग्रन्थ' भी कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जैन|जैन तीर्थंकर]] 
{[[जयपुर]], [[दिल्ली]], [[मथुरा]], तथा [[उज्जैन]] में [[जन्तर मन्तर दिल्ली|जन्तर-मन्तर]] के नाम से वेधशाला का निर्माण किसने कराया था?
|type="()"}
+सवाई राजा जय सिंह
-राजा प्रताप
-[[मान सिंह|राजा मान सिंह]]
-इनमें से कोई नहीं
</quiz>
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09:28, 18 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण