|
|
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| {| class="bharattable-green" width="100%"
| |
| |-
| |
| | valign="top"|
| |
| {| width="100%"
| |
| |
| |
| <quiz display=simple>
| |
| {[[टीपू सुल्तान]] ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के साथ युद्ध करते हुए कब वीरगति प्राप्त की थी?
| |
| |type="()"}
| |
| -1857 ई.
| |
| -1793 ई.
| |
| +1799 ई.
| |
| -1769 ई.
| |
|
| |
|
| {[[बुद्ध]] में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?
| |
| |type="()"}
| |
| +बूढ़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
| |
| -अन्धा, रोगी, लाश, संन्यासी
| |
| -लंगड़ा, रोगी, लाश, संन्यासी
| |
| -युवा, रोगी, लाश, संन्यासी
| |
|
| |
| {[[सम्राट अशोक]] की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?
| |
| |type="()"}
| |
| -चंडालिका
| |
| -चारुलता
| |
| -गौतमी
| |
| +[[कारुवाकी]]
| |
|
| |
| {निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन राजवंश कौन-सा है?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[मौर्य वंश]]
| |
| -[[गुप्त वंश]]
| |
| -[[कुषाण वंश]]
| |
| -[[कण्व वंश]]
| |
| ||[[चित्र:maurya-empire.jpg|right|150px|चंद्रगुप्त मौर्य का सभा गृह]][[चंद्रगुप्त मौर्य]] की माता का नाम 'मुरा' था। इसी से यह वंश '[[मौर्य वंश]]' कहलाया। [[चंद्रगुप्त]] के बाद उसके पुत्र [[बिंदुसार]] ने 298 ई.पू. से 273 ई. पू. तक राज्य किया। बिंदुसार के बाद उसका पुत्र [[अशोक]] 273 ई.पू. से 232 ई.पू. तक गद्दी पर रहा। अशोक के समय में [[कलिंग]] का भारी नरसंहार हुआ, जिससे द्रवित होकर उसने [[बौद्ध धर्म]] ग्रहण कर लिया। 316 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी [[भारत]] पर अधिकार कर लिया था। अशोक के राज्य में मौर्य वंश का बेहद विस्तार हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मौर्य वंश]]
| |
|
| |
| {[[अशोक के शिलालेख|अशोक के शिलालेखों]] को पढ़ने वाला प्रथम [[अंग्रेज़]] कौन था?
| |
| |type="()"}
| |
| -जॉन टावर
| |
| +जेम्स प्रिंसेप
| |
| -हैरी स्मिथ
| |
| -चार्ल्स मैटकॉफ़
| |
|
| |
| {'[[श्रीनगर]]' की स्थापना किस शासक ने की थी?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[बिन्दुसार]]
| |
| -[[स्कन्दगुप्त]]
| |
| +[[अशोक]]
| |
| -[[दशरथ]]
| |
| ||[[चित्र:Asoka's-Pillar.jpg|right|100px|अशोक का स्तम्भ, वैशाली]]अशोक प्राचीन [[भारत]] के [[मौर्य]] सम्राट [[बिंदुसार]] का पुत्र था, जिसका जन्म लगभग 304 ई. पूर्व में माना जाता है। भाइयों के साथ हुए गृह-युद्ध के बाद 272 ई. पूर्व [[अशोक]] को राजगद्दी मिली और 232 ई. पूर्व तक उसने शासन किया। आरंभ में अशोक भी अपने पितामह [[चंद्रगुप्त मौर्य]] और [[पिता]] बिंदुसार की भाँति युद्ध के द्वारा साम्राज्य विस्तार करता गया। [[कश्मीर]], [[कलिंग]] तथा कुछ अन्य प्रदेशों को जीतकर उसने संपूर्ण [[भारत]] में अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया, जिसकी सीमाएं पश्चिम में [[ईरान]] तक फैली हुई थीं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
| |
|
| |
| {किसने अपनी राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से [[मुंगेर]] स्थानान्तरित की?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[अलीवर्दी ख़ाँ]]
| |
| -[[सिराजुद्दौला]]
| |
| -[[मीर ज़ाफ़र]]
| |
| +[[मीर क़ासिम]]
| |
| ||शासन कार्यों में मीर क़ासिम, मीर ज़ाफ़र से अधिक योग्य तथा अधिक दृढ़ व्यक्ति था। उसने [[मालगुज़ारी]] की वसूली के नियम अधिक कठोर बना दिए और राज्य की आय लगभग दूनी कर दी। उसने फ़ौज का भी संगठन किया और [[कलकत्ता]] (वर्तमान कोलकाता) के अनुचित हस्तक्षेप से अपने को दूर रखने के लिए राजधानी [[मुर्शिदाबाद]] से उठाकर [[मुंगेर]] ले गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मीर क़ासिम]]
| |
|
| |
| {किस ग्रन्थ में [[शूद्र|शूद्रों]] के लिए [[आर्य]] शब्द का प्रयोग हुआ है?
| |
| |type="()"}
| |
| +[[अर्थशास्त्र ग्रंथ|अर्थशास्त्र]]
| |
| -[[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]]
| |
| -[[अष्टाध्यायी]]
| |
| -वृहत्कथामंजरी
| |
|
| |
| {‘[[पुरुषपुर]]’ निम्नलिखित में से किसका दूसरा नाम है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[पटना]]
| |
| -[[पाटलिपुत्र]]
| |
| +[[पेशावर]]
| |
| -[[पंजाब]]
| |
|
| |
| {[[गुप्तकाल]] के सिक्कों का सबसे बड़ा ढेर कहाँ से प्राप्त हुआ है?
| |
| |type="()"}
| |
| +'[[बयाना]]' ([[भरतपुर]]) से
| |
| -'[[देवगढ़]]' ([[झाँसी]]) से
| |
| -'[[भूमरा]]' ([[मध्य प्रदेश]]) से
| |
| -'[[तिगवा]]' (मध्य प्रदेश) से
| |
| ||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|120px|right|चन्द्रगुप्त मौर्य]][[बयाना]] से 1821 ई. में [[सोना|सोने]] के सिक्कों का भारी ढेर प्राप्त हुआ है, जो [[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] हैं। इससे [[गुप्त]] शासकों की आर्थिक समृद्धि का प्रमाण मिलता है। इनमें अधिक सिक्के [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के हैं। इन सिक्कों में कई नये प्रकार के सिक्के हैं, जो गुप्त शासकों की विविधता प्रमाणित करते हैं। इन सिक्कों से [[गुप्त वंश|गुप्तवंशीय]] [[कुमारगुप्त द्वितीय]] के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ता है। अनुमान लगाया है कि लगभग 540 ई. के आस-पास [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के समय इस खज़ाने को ज़मीन में गाड़ दिया गया था।
| |
|
| |
| {[[वेंगी]] के युद्ध में [[चोल वंश|चोल]] नरेश '[[करिकाल]]' से पराजित होकर किस [[चेर वंश|चेर]] राजा ने आत्महत्या कर ली?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[उदियनजेरल]]
| |
| -[[पलयानैशेल्केलु कुट्टवन]]
| |
| -[[धर्मपरायण कुट्टवन]]
| |
| +[[नेदुनजेरल आदन]]
| |
| ||नेदुनजेरल आदन को [[दक्षिण भारत]] के [[चेर वंश]] के सबसे प्रतापी राजाओं में गिना जाता है। वह [[उदियनजेरल]] का पुत्र था। नेदुनजेरल आदन ने अपना अंतिम युद्ध [[चोल]] नरेश [[करिकाल]] के विरुद्ध लड़ा था। इस युद्ध में करिकाल के द्वारा नेदुनजेरल आदन को पराजय का मुँह देखना पड़ा। अपनी इस पराजय से नेदुनजेरल आदन बहुत ही दु:खी हुआ और अन्दर से टूट गया। इस पराजय के फलस्वरूप उसने आत्महत्या कर ली और उसकी रानी सती हो गई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नेदुनजेरल आदन]]
| |
|
| |
| {[[भीमराव आम्बेडकर]] की पढ़ाई-लिखाई में किसने सर्वाधिक सहयोग दिया?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[जूनागढ़]] के नवाब ने
| |
| -[[मैसूर]] के महाराज ने
| |
| +[[बड़ौदा]] के महाराज ने
| |
| -[[नाभा]] के महाराज ने
| |
| ||[[चित्र:Museum-Vadodara.jpg|right|120px|बड़ौदा संग्रहालय]][[डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर]] की कॉलेज की पढ़ाई शुरू हो चुकी थी। इसी बीच उनके पिता का हाथ भी काफ़ी तंग हो गया। पढ़ाई के ख़र्चे में कमी होनी प्रारम्भ हो गई। एक मित्र उन्हें [[बड़ौदा]] के शासक [[गायकवाड़]] के यहाँ ले गए। गायकवाड़ ने उनके लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था कर दी और अम्बेडकर ने अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी की। 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद बड़ौदा महाराज की आर्थिक सहायता से वे 'एलिफ़िन्सटन कॉलेज' से 1912 में ग्रेजुएट हुए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बड़ौदा]]
| |
|
| |
| {[[महाराष्ट्र]] में 'गणपति उत्सव' आरंभ करने का श्रेय किसको प्राप्त है?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[वल्लभभाई पटेल]]
| |
| +[[बाल गंगाधर तिलक]]
| |
| -[[शिवाजी]]
| |
| -[[विपिन चन्द्र पाल]]
| |
| ||[[चित्र:Lokmanya-Bal-Gangadhar-Tilak.jpg|बाल गंगाधर तिलक|100px|right]]बाल गंगाधर तिलक के जीवनकाल के दौरान पुरानी परंपरा और संस्थाओं के प्रति जनता में नई जागरूकता प्रकट हो रही थी। इसके सबसे स्पष्ट उदाहरण थे, पुरानी धार्मिक आराधना, [[गणेश चतुर्थी|गणपति-पूजन]] और [[शिवाजी]] के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर महोत्सवों का आयोजन।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल गंगाधर तिलक]]
| |
|
| |
| {किस [[राष्ट्रकूट वंश|राष्ट्रकूट]] शासक ने [[एलोरा की गुफ़ाएँ|एलोरा]] के [[पर्वत|पर्वतों]] को काटकर प्रसिद्ध 'कैलाश मन्दिर' का निर्माण करवाया था?
| |
| |type="()"}
| |
| -[[इन्द्र तृतीय]]
| |
| -[[कृष्ण तृतीय]]
| |
| +[[कृष्ण प्रथम]]
| |
| -ध्रुव
| |
| ||[[दंतिदुर्ग]] के चाचा एवं उत्तराधिकारी [[कृष्ण प्रथम]] ने [[बादामी]] के [[चालुक्य वंश|चालुक्यों]] के अस्तित्व को पूर्णतः समाप्त कर दिया था। उसने [[मैसूर]] के [[गंग वंश|गंगो]] की राजधानी मान्यपुर एवं लगभग 772 ई. में [[हैदराबाद]] को अपने अधिकार क्षेत्र में कर लिया। उसने सम्भवतः दक्षिण कोंकण के कुछ भाग को भी जीता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण प्रथम]]
| |
|
| |
| {[[वेंगी]] के [[चालुक्य वंश]] का संस्थापक कौन था?
| |
| |type="()"}
| |
| +विष्णुवर्धन
| |
| -[[विजयादित्य]]
| |
| -इन्द्रवर्धन
| |
| -जयसिंह द्वितीय
| |
| </quiz>
| |
| |}
| |
| |}
| |