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{{main|विष्णु}}
#[[अच्युत (आर्यावर्त राजा)]]- आर्यावर्त के राजाओं में से एक।
*भगवान [[विष्णु]] का नाम अच्युत भी है।
#[[अच्युत (विष्णु)]]- भगवान विष्णु का एक नाम।
*चार भुजाधारी भगवान विष्णु के दाहिनी एवं ऊर्ध्व भुजा के क्रम से अस्त्र विशेष ग्रहण करने पर [[केशव]] आदि नाम होते हैं अर्थात, दाहिनी ओर का ऊपर का हाथ, दाहिनी ओर का नीचे का हाथ, बायीं ओर का ऊपर का हाथ और बायीं ओर का नीचे का हाथ- इस क्रम से चारों हाथों में शंख, चक्र आदि आयुधों को क्रम या व्यतिक्रमपूर्वक धारण करने पर भगवान की भिन्न-भिन्न [[संज्ञा|संज्ञाएँ]] होती हैं। उन्हीं संज्ञाओं का निर्देश करते हुए यहाँ भगवान का पूजन बतलाया जाता है।
#[[अच्युत (जैन)]]- वैमानिक श्रेणी के कल्पभव देवताओं का एक भेद।
*पद्म, चक्र, शंख और गदा लेने वाले अच्युत स्वरूप को प्रणाम है।
#[[अच्युत (पौधा)]]- एक पौधे का नाम
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#[[अच्युत (पद्मरचना)]]- एक प्रकार की पद्मरचना
|+ भगवान विष्णु के अन्य नाम
{{शब्द संदर्भ लघु
|[[विष्णु]]
|हिन्दी=अटल, जिसका नाश न हो, जिसने भूल या त्रुटि न की हो, विष्णु और उनके अवतारों का नाम, जैनियों के एक [[देवता]]
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|उदाहरण=अपने स्थान या स्थिति से न गिरने या हटने वाले को '''अच्युत''' कहते हैं।
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|पर्यायवाची=[[विष्णु]], शाश्वत
|[[वैकुण्ठ]]
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|अन्य ग्रंथ=
|[[जिन (विष्णु)|जिन]]
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|[[ह्रषिकेश]]
|[[केशव]]
|[[माधव]]
|[[स्वभू]]
|[[दैत्यारि]]
|[[पुण्डरीकाक्ष]]
|[[गोविन्द]]
|[[गरुड़ध्वज]]
|-
|[[पीताम्बर]]
|[[अच्युत]]
|[[शार्गिं]]
|[[विष्वक्सेन]]
|[[जनार्दन]]
|[[उपेन्द्र]]
|[[इन्द्रावरज]]
|[[चक्रपाणि]]
|-
|[[चतुर्भुज]]
|[[पद्मानाभ]]
|[[मधुरिपु]]
|[[वासुदेव]]
|[[त्रिविक्रम]]
|[[देवकीनन्दन]]
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|-
|[[पुरुषोत्तम]]
|[[वनमालिन्]]
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|[[अधोक्षज]]
|[[विश्वम्भर]]
|[[कैटभजित्]]
|[[विधु]]
|-
|[[श्रीवत्सलाञ्छन]]
|[[पुराणपुरुष]]<ref>अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।</ref>
|[[यज्ञपुरुष]]
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|[[जलशायिन्]]
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|[[मुकुन्द]]
|[[मुरमर्दन]]
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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  1. अच्युत (आर्यावर्त राजा)- आर्यावर्त के राजाओं में से एक।
  2. अच्युत (विष्णु)- भगवान विष्णु का एक नाम।
  3. अच्युत (जैन)- वैमानिक श्रेणी के कल्पभव देवताओं का एक भेद।
  4. अच्युत (पौधा)- एक पौधे का नाम
  5. अच्युत (पद्मरचना)- एक प्रकार की पद्मरचना
शब्द संदर्भ
हिन्दी अटल, जिसका नाश न हो, जिसने भूल या त्रुटि न की हो, विष्णु और उनके अवतारों का नाम, जैनियों के एक देवता
-व्याकरण    पुंल्लिग
-उदाहरण   अपने स्थान या स्थिति से न गिरने या हटने वाले को अच्युत कहते हैं।
-विशेष   
-विलोम   
-पर्यायवाची    विष्णु, शाश्वत
संस्कृत
अन्य ग्रंथ
संबंधित शब्द
संबंधित लेख

अन्य शब्दों के अर्थ के लिए देखें शब्द संदर्भ कोश

अच्युत (विशेषण) [न. त.]

1. अपने स्वरूप से न गिरा हुआ, दृढ़, स्थिर, अचल, निर्विकार
2. स्थायी, अनवश्वर,-तः विष्णु, सर्वशक्तिमान् प्रभु- गच्छाम्यच्युतदर्शनेन-काव्य. 5 (यहां अ° का भी अर्थ है-दृढ़, जो वासनाओं का शिकार न हो)।

सम.-अग्रजः बलराम या इन्द्र,-अङ्‌गज:,-आत्मजः,-पुत्रः कामदेव, कृष्ण और रुक्मिणी का पुत्र,-आवासः,-वासः पीपल का वृक्ष।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 14 |