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| {निम्नलिखित में से कौन संप्रभुता की विशेषता नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-25,प्रश्न-18 | | {[[भारतीय संविधान]] को निम्नलिखित में से कौन-सी अनुसूची राज्यसभा में स्थानों के आवंटन से संबंधित है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -सर्वव्यापकता | | -[[भारत का संविधान- तीसरी अनुसूची |तीसरी अनुसूची]] |
| -स्थायित्व | | +[[भारत का संविधान- चौथी अनुसूची|चौथी अनुसूची]] |
| -अविभाज्यता | | -[[भारत का संविधान- पांचवीं अनुसूची|पांचवीं अनुसूची]] |
| +जनसंख्या
| | -[[भारत का संविधान- छठी अनुसूची|छठीं अनुसूची]] |
| ||संप्रभुता के कानूनी सिद्धांत के अंतर्गत संप्रभुता की निम्न विशेषताएं निर्धारित की गई हैं- 1.पूर्णता (Absoluteness) 2.सार्वभौमता (Universality) 3.अदेयता (Inalienability) 4.स्थायित्व ( Permanence) 5.अविभाज्यता (Indivisibility)। | | ||[[भारतीय संविधान]] की चौथी अनुसूची [[राज्य सभा]] में स्थानों के आवंटन से संबंधित है। |
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| {व्यवहारवाद प्रेरणा लेता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-35, प्रश्न-28
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| -फॉसीवाद से
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| +प्रत्यक्षवाद से
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| -उपयोगितावाद से
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| -आदर्शवाद से
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| ||व्यवहारवाद प्रत्यक्षवाद से प्रेरणा लेता है। तार्किक व अनुभव जन्य प्रत्यक्षवाद से किसी व्यक्ति का व्यवहार निर्धारित होता है। प्रत्यक्षवाद वह सिद्धांत है जो केवल वैज्ञानिक पद्धति (Scientific Method) से प्राप्त ज्ञान को उपयुक्त (Relevant), विश्वस्त (Relible) और प्रामाणित (Valid) मानता है। प्रत्यक्षवाद के समर्थक यह मांग करते हैं कि सामाजिक विज्ञानों की सामग्री को प्रामाणित रूप देने के लिए उसे प्राकृतिक विज्ञानों की पद्धति के अनुरूप ढालना ज़रूरी है, इसलिए व्यवहारवादी तार्किक प्रत्यक्षवाद से विशेष रूप से प्रमाणित थे।
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| {फॉसीवाद विश्वास करता है कि- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-20
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| +राज्य दल से श्रेष्ठ है
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| -दल राज्य से श्रेष्ठ है
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| -राज्य और दल दोनों एक-दूसरे से अलग हैं
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| -राज्य और दल एक ही हैं
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| ||फॉसीवाद के अनुसार राज्य दल से श्रेष्ठ है। फॉसीवाद शब्द का प्रयोग उस सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक व्यवस्था के रूप का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो मुसोलिनी के नेतृत्व में 1922 में [[इटली]] में स्थापित हुई।
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| {मांतेस्क्यू ने किस संस्था की व्याख्या करने में त्रुटि की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-31
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| -फ्रांसीसी राजतंत्र की व्याख्या में
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| -अमेरिकी राष्ट्रपति की व्याख्या में
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| -स्विस संसद की व्याख्या में
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| +ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था की व्याख्या में
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| ||मान्तेस्क्यू ने ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था की व्याख्या करने में त्रुटि की थी। मांतेस्क्यू का मानना था कि इंग्लैंड का संविधान 'शक्तियों के पृथक्करण' के सिद्धांत पर आधारित है जबकि शक्तियों का पृथक्करण [[इंग्लैंड]] के अलिखित संविधान की विशेषता नहीं है।
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| {उरुग्वे चर्चा के दौर का परिणाम क्या हुआ? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-113,प्रश्न-19
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| -एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग की स्थापना
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| -एन.ए.एफ.टी.ए. की स्थापना
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| -77वें समूह की स्थापना
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| +विश्व व्यापार संगठन की स्थापना
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| ||बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के 8वें एवं अंतिम चक्र का प्रारंभ [[दिसंबर]], 1986 में पुंटा-डेल-एस्टे, उरुग्वे में हुआ। अंतिम रूप से उरुग्वे समझौते पर [[अप्रैल]], 1994 में मराकेश (मोरक्को) में हस्ताक्षर किए गए। इसी समझौते पर [[1 जनवरी]], [[1995]] को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना की गई।
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| {निम्न में से किस देश में नौकरशाही की शुरुआत 'लूट प्रथा' के रूप में हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-135,प्रश्न-40
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| -[[ब्रिटेन]]
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| +[[अमेरिका]]
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| -[[भारत]]
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| -[[फ्रांस]]
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| ||[[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में नागरिक सेवा (सिविल सर्विसेज) की शुरुआत वर्ष 1871 में हुई। 19वीं सदी के शुरुआती दौर में उच्च सरकारी पदों पर नियुक्तियां [[राष्ट्रपति]] की इच्छा तथा आज्ञा से होती थीं तथा नियुक्त नौकरशाहों को किसी भी समय सेवामुक्त कर दिया जाता था। नौकरशाही की इस लूट प्रणाली को राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से उपयोग किया गया। इसी समस्या के समाधनार्थ पेंडलेटन सिविल सेवा सुधार अधिनियम, 1883 तथा हैच अधिनियम, 1939 बना।
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| {निम्न में से कौन-सा युग्म ग़लत है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-196,प्रश्न-23 | | {'पैकेज डील' का संबंध है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-121,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -फ्रांस-संवैधानिक परिषद | | -[[भारत]]-[[चीन]] वार्ता से |
| -स्विट्जरलैंड- लैंड्सजीमाइंड | | -[[भारत]]-[[पाक]] वार्ता से |
| -चीन- केंद्रीय सैन्य आयोग | | +[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सदस्यता से |
| +अमेरिका- एक बार स्पीकर, सदैव स्पीकर
| | -कॉमनवेल्थ की सदस्यता से |
| | ||पैकेज डील का संबंध संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता से था। |
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| ||[[फ्रांस]] में संवैधानिक परिषद को सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारिता प्राप्त है। स्विट्जरलैंड में लैंड्सजीमाइंड (कैंटोनल असेंबली) प्रत्यक्ष लोकतंत्र का एक प्राचीनतम प्रकार है। केंद्रीय सैन्य आयोग का गठन 18 जून, 1983 को [[चीन]] में किया गया। [[अमेरिका]] में स्पीकर का चुनाव बहुमत द्वारा होता है, एक बार स्पीकर, सदैव स्पीकर नहीं होता है।
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| {'इंट्रोडक्शन टू दि स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' पुस्तक के लेखक हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-19
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| |type="()"}
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| -आर.आर. माहेश्वरी
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| -ए.पी. शर्मा
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| +एल.डी. व्हाइट
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| -वुड्रो विल्सन
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| ||'इंट्रोडक्शन टू दि स्टडी ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन' पुस्तक के लेखक लेनॉर्ड डी. व्हाइट हैं। यह पुस्तक उनके मृत्यु वर्ष 1958 में प्रकाशित हुई। यह पुस्तक उनके सहयोगी जीन श्निडर (Jean schneider) द्वारा प्रकाशित की गई।
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| {"संकल्प न कि शक्ति राज्य का आधार है" किसने कहा था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-12,प्रश्न-44 | | {सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखित पुस्तक कौन नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-205,प्रश्न-34 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[प्लेटो]] | | -सम कैरेक्टरस्टिक्स ऑफ़ दि इंडियन कांस्टीट्यूशन |
| +ग्रीन | | -दी लॉ एंड दी कांस्टीट्यूशन |
| -हॉब्स | | +माडर्न कांस्टीट्यूशन |
| -मैकियावेली
| | -कैबिनेट गवर्नमेंट |
| ||राज्य का आधार व्यक्तियों की सामाजिक और जन-कल्याणकारी इच्छा है। ग्रीन के अनुसार, "राज्य शक्ति नहीं, वरन् मानवीय इच्छा पर आधारित होता है"। व्यक्ति राज्य की आज्ञाओं का पालन स्वयं अथवा भय के कारण नहीं वरन् अपनी स्वाभाविक प्रवृति के कारण करते हैं। | | ||'मॉडर्न कांस्टीट्यूशन' नामक पुस्तक के.सी. व्हीयर द्वारा लिखी गई है। शेष पुस्तकों को सर आइवर जेनिंग्स द्वारा लिखा गया है। |
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| {कौन-सा सिद्धांत एकतत्त्ववादी संप्रभुता विरोधी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-25,प्रश्न-19 | | {यदि राज्य सभा किसी संविधान संशोधन विधेयक पर लोक सभा से असहमत हो तो ऐसी स्थिति में-(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-141,प्रश्न-25 |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -समाजवाद | | +संशोधन विधेयक पारित नहीं माना जाता |
| +बहुलवाद
| | -दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा इसका निर्णय होगा |
| -व्यक्तिवाद | | -लोक सभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह विधेयक पारित कर दिया जाएगा |
| -उदारवाद | | -लोक सभा राज्य सभा के मत को अस्वीकृत कर देगी |
| ||प्रभुसत्ता के एकतत्त्ववादी या एकलवादी सिद्धांत के अनुसार, प्रभुसत्ता राज्य का सारभूत और अनिवार्य लक्षण है। इसके बिना कोई समाज राज्य का रूप धारण नहीं कर सकता, जबकि बहुलवादी (Pluralists) विचारधारा के अनुसार राज्य की रचना हेतु प्रभुसत्ता अनिवार्य नहीं है। | | ||संविधान संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग विशेष बहुमत से स्वीकृत किया जाना आवश्यक है। दोनों सदनों में असहमति की स्थिति में विधेयक अंतिम रूप से समाप्त हो जाएगा क्योंकि संविधान संशोधन के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की संविधान में कोई व्यवस्था नहीं हैं। |
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| </quiz> | | </quiz> |
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