"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर

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{'शिकरे के साथ महिला' किस शैली का चित्र है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-2
|type="()"}
+[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]]
-[[बसोहली चित्रकला|बसौली शैली]]
-जयपुर शैली
-चम्बा शैली
||[[गुलेरी चित्रकला|गुलेर शैली]] के [[रामायण]] पर आधारित 14 चित्र प्राप्त होते हैं, जो [[दलीप सिंह|राजा दलीप सिंह]] के समय के हैं। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- (1) गुलेर शैली आरंभिक चित्र 'पंड़ित सेऊ' और उनके दो पुत्र 'मानकू' और 'नैनसुख' ने बनाए। (2) गुलेर कलम का विषय रामायण और [[महाभारत]] की प्रमुख घटनाएँ रहीं लेकिन इस शैली में स्त्री-चित्रण को विशेष महत्त्व दिया गया है।
{[[भारतीय कला]] में पुनरुत्थान किससे आरंभ होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-3
|type="()"}
-पटना स्कूल
-बिहार स्कूल
+बंगाल स्कूल
-ईस्टर्न स्कूल
||[[चित्रकला|भारतीय चित्रकला]] के पुनर्जागरण का श्रेय बंगाल शैली को दिया जाता है। इसी शैली को 'टैगोर शैली', वॉश शैली', 'पुनरुत्थान या पुनर्जागरण शैली' भी कहा जाता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई और [[भारतीय चित्रकला]] ने पाश्चात्य के प्रभाव से मुक्ति पाई। यहीं से भारतीय आधुनिक चित्रकला का इतिहास आरंभ होता है। बंगाल पुनरुत्थान युग के प्रवर्तक [[अबनीन्द्रनाथ टैगोर]] थे।
{[[शान्ति निकेतन]] में मध्य युगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को किसने चित्रित किया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-88,प्रश्न-83
|type="()"}
-[[नंदलाल बोस]]
-[[रविन्द्रनाथ टैगोर]]
+बिनोद बिहारी मुखर्जी
-के.जी. सुब्रमण्यन
||[[शान्ति निकेतन]] की मध्ययुगीन हिंदू संत के भित्ति चित्रों को बिनोद बिहारी मुखर्जी ([[1904]]-[[1980]]) ने 'हिंदी भवन' में वर्ष [[1946]]-[[1947]] में चित्रित किया था। अपनी दृष्टि क्षमता खोने के बाद उन्होंने वर्ष [[1972]] में 'कला भवन' कैंपस में बड़े आकार का सिरेमिक चित्र बनाया था। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार हैं- शांति निकेतन की अधिकतम इमारतें वर्ष [[1919]] के बाद बनीं और सभी 5 [[उत्तरायन]] [[दिशा]] में हैं जिसकी डिज़ाइन सुरेंद्रनाथ कर ने तैयार की थी। [[शांति निकेतन]] में [[रामकिंकर बैज|रामकिंकर वैज]] ने 'लार्जर दैन लाइफ़ फ़िगर ऑफ़ सैन्टल्स' नामक भू-दृश्य तैयार किया था।


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12:33, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण