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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {प्रागैतिहासिक भारतीय [[चित्रकला]] किस सतह पर बनाई गई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-5,प्रश्न-6
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| -लकड़ी के पटों पर
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| -वृक्ष की छालों पर
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| -ताल-पत्रों पर
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| +चट्टानों पर
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| ||[[प्रागैतिहासिक काल]] के चित्र चट्टानों की दीवारों, गुफ़ाओं के फर्शों, गिट्टियों या छतों में बनाए गए हैं। अनेक चित्र प्रस्तर शिलाओं पर भी अंकित किए गए हैं।
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| {अल्तामिरा का गुफ़ा चित्र कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-17,प्रश्न-6
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| +[[स्पेन]]
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| -[[फ़्राँस]]
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| -[[इटली]]
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| -[[भारत]]
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| ||प्रागैतिहासिक मानव द्वारा अंकित सर्वप्रथम चित्र उत्तरी [[स्पेन]] में अल्तामिरा गुफ़ा की गीली दीवारों पर हाथ की अंगुलियों द्वारा बनाई गई फीते के समान टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं हैं। यह गुफ़ा सेंतेंदर से 31 किमी. दूर उत्तरी स्पेन में स्थित है। यहाँ की गुफ़ाएँ सर्वोत्कृष्ट शिल्प का उदाहरण हैं। गुफ़ा की छत कहीं-कहीं 6-7 फीट ऊँची है, अत: छत पर अंकित चित्रों को देखने हेतु भूमि पर लेटना ठीक रहता है। यही कारण है कि इन्हें सर्वप्रथम 'मारिया सातुओला' नामक एक पांच वर्षीय बालिका ने देखी थी।
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| {[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] के भित्ति-चित्र किस पर बनाए जाते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-37,प्रश्न-1
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| -संगमरमर
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| +गीली सतह
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| -सूखी सतह
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| -ईंट की सतह
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| ||[[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थानी शैली]] को 'आराश' या 'राजस्थानी ([[जयपुर]]) फ्रेस्को बूनो' कहा जाता है। इस शैली में दीवार के गीले प्लास्टर पर ही पतले-पतले रंग लगाए जाते हैं जो प्लास्टर सूखने के साथ ही पक्के हो जाते हैं, इसे 'आर्द्रभित्ति-चित्रण' भी कहते हैं।
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| {[[इटली]] के गोथिक काल के [[चित्रकार|चित्रकारों]] में प्रमुख कलाकार कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-39,प्रश्न-10
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| -दूशियो
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| -एम्ब्रॉजियो लोरंजेट्टी
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| -जॉन वान आईक
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| +जिओत्तो
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| ||जिओत्तो [[इटली]] के गोथिक काल के [[चित्रकार|चित्रकारों]] में प्रमुख कलाकार थे।
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| {राजा उम्मेद सिंह ने किस क्षेत्र शैली को मौलिकता प्रदान की? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-47,प्रश्न-6
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| -[[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]]
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| -किशनगढ़ शैली
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| -अलवर शैली
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| +कोटा शैली
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| ||राजा उम्मेद सिंह ने कोटा चित्रकला शैली को मौलिकता प्रदान की। राजा उम्मेद सिंह (1771-1820 ई.), के काल में कोटा शैली की बड़ी उन्नति हुई। राजा उम्मेद सिंह के शिकार के शौक के चलते चित्रकारों ने शिकार के चित्रण को काफी महत्त्व दिया।
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| {'[[आइना-ए-अकबरी]]' पुस्तक के लेखक कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-56,प्रश्न-6
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| -[[केशव]]
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| -जगन्नाथ
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| -[[दसवन्त]]
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| +[[अबुल फ़ज़ल]]
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| ||'आइने अकबरी' [[अकबर]] के दरबारी [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा रचित (चित्रित) '[[अकबरनामा]]' का ही एक भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को '[[आइना-ए-अकबरी]]' कहते हैं। आइने अकबरी के भी अपने आप में पांच भाग हैं। [[मुग़ल साम्राज्य]] का भौगोलिक सर्वेक्षण तथा सभी प्रांतों विशेष तौर पर [[बंगाल]] के बारे में आंकड़ों पर आधारित विवरण प्रदान करता है। इस पुस्तक में शासन प्रणाली के नियमों का वर्णन किया गया है तथा इसमें [[अकबर]] द्वारा सभी सरकारी विभागों पर नियंत्रण के बारे में जानकरी मिलती है।
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| {[[पहाड़ी चित्रकला]] किस समय विकसित थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-71,प्रश्न-6
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| -बिलम्बित 17 से प्रारम्भिक 18वीं शताब्दी
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| -प्रारम्भिक 15 से विलम्बित 17वीं शताब्दी
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| -विलम्बित 18 और प्रारम्भिक 19वीं शताब्दी
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| +प्रारम्भिक 18 से विलम्बित 19वीं शताब्दी
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| ||पहाड़ी चित्रों का निर्माण 18वीं शताब्दी से (1700 ई. से 1900 ई. तक) प्रारंभ हुआ। आर्चर महोदय के अनुसार, 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक पश्चिमी-हिमालय के क्षेत्र प्रकार की कला विकसित नहीं हुई थी।
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| {[[राजा रवि वर्मा]] की मृत्यु किस वर्ष हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-6
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| +[[1906]]
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| -[[1918]]
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| -[[1941]]
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| -[[1921]]
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| ||[[राजा रवि वर्मा]] का जन्म [[29 अप्रैल]], 1848 को [[केरल]] के एक छोटे कस्बे किलिमनूर ([[त्रावणकोर]]) में हुआ था। वे अपने विस्मय पेंटिंग के लिए जाने जाते हैं जो मुख्यत: [[रामायण]] एवं [[महाभारत]] महाकाव्यों के इर्द-गिर्द घूमता है। इनकी मृत्यु [[2 अक्टूबर]], [[1906]] को हुई थी।
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| {प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कहाँ पाई जाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-102,प्रश्न-7
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| +कांस्टेन्टीनोपल
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| -मास्को
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| -रैवेन्ना
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| -इस्तांबुल
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| ||प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन-कला कान्स्टेन्टीनेपल में पाई जाती है। बाइजेंटिम नामक नगर को ही सम्राट कांस्टेन्टाइन ने जीतकर इसका नाम कान्स्टेन्टीनोपल ([[कुस्तुंतुनिया]]) रख दिया। प्रथम चरण की बाइजेन्टाइन कला में [[रोम]], रैवेन्न तथा सैलोनिका प्रमुख थे।
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