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| {1610 ई. से 1620 ई. के मध्य गोलकुंडा में कौन-सी सचित्र पोथी चित्रित की गई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-237,प्रश्न-376
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| -नुजूम अल उलूम
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| -तारीफे हुसैन शाही
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| +दीवान-ए-हाफिज
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| -[[रज़्मनामा]]
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| ||1610ई. से 1620ई. के मध्य [[गोलकुंडा]] में 'दीवान-ए-हाफिज' सचित्र पोथी चित्रित की गई।
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| {मिर्जापुर की गुफ़ाओं में सर्वाधिक चित्र इस विषय पर हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-2
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| -आमोद-प्रमोद
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| +आखेट
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| -पारिवारिक
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| -नृत्य
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| ||[[उत्तर प्रदेश]] में स्थित [[मिर्ज़ापुर]] की गुफ़ाओं में सर्वाधिक चित्र पशु-आखेट के हैं। यह चित्र मिर्ज़ापुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं। रौंप तथा घोड़मंगर गुफ़ा में कॉकबर्न ने गैंडे के आखेट दृश्य अंकित पाए थे। भल्डरिया में शिलाश्रयों तथा गुफाओं में कॉकबर्न ने (वर्ष 1883 में) अनेकानेक पशु-आखेट चित्र अंकित पाए।
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| {अंत्येष्टि संस्कारों की कला किसे कहते हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-210,प्रश्न-189
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| -सिंधु घाटी की कला को
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| -माया सभ्यता की कला को
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| +[[मिस्र]] की कला को
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| -ग्रीक कला को
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| ||[[मिस्र]] की कला सबसे अधिक मृत्यु संबंधी और अंत्येष्टि क्रिया से संबंधित है। इस कला का केंद्र जहां से उत्कृष्ट उदाहरण प्राप्त हुए हैं, मृतक प्राणों का स्मारक रहा है। यहां से चित्रों की लिपि में लिखी एक पुस्तक प्राप्त हुई है जिसे 'मृतकों की पुस्तक' अथवा 'स्वर्गवासियों की पुस्तक' कहते हैं। इसकी खोज जर्मन-मिस्रविद् कार्ल रिचर्ड लेप्सियस ने की जिन्होंने वर्ष 1842 में कुछ पुस्तकों को चयन कर प्रकाशित कराया था।
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| {[[उत्तर भारत]] में [[कंपनी शैली]] का प्रमुख केंद्र था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-4
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| -[[कानपुर]]
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| -[[आगरा]]
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| +[[पटना]]
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| -[[नैनीताल]]
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| ||पटना कला शैली का विकास यूरोपीय एवं भारतीय शैली के सम्मिश्रण से हुआ। इसका दूसरा नाम 'कंपनी शैली' भी है। [[अंग्रेजी]] प्रशासन तथा व्यापार का विशिष्ट केंद्र होने के कारण पटना में [[अंग्रेज़]] व्यापारी, धनाढ्य तथा कंपनी के अधिकारी निवास करते थे। इनके आश्रय में अलाकार 'एंग्लो इंडियन स्टाइल' चित्रण करते थे। 'अर्द्ध-यूरोपीय ढंग' से पूर्व-पाश्चात्य मिश्रण के आधार पर पटना शैली में पशु-पक्षी, प्राकृतिक चित्र, लघु चित्र, भारतीय जनमानस तथा पारिवारिक चित्र बनाए गए। पटना शैली के कलाकारों ने अबरक (अभ्रक) के पत्रों पर अतिलधु चित्रों का निर्माण आरंभ किया।
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| {असंबद्ध शब्द बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-171,प्रश्न-38
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| -रेखा
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| -वर्ण
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| -अनुपात
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| +मूर्ति
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| ||रेखा, वर्ण, अनुपात, कला के तत्त्व हैं जबकि मूर्ति एक कलाकृति है।
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| {'चौरपंचाशिका' किस शती में लिखी गयी थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-51,प्रश्न-30
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| +16वीं शती
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| -15वीं शती
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| -17वीं शती
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| -20वीं शती
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| ||'चौरपंचाशिका' 16वीं शताब्दी (1540 ई.) में कश्मीरी कवि विल्हण द्वारा लिखी गयी थी। राजस्थानी ([[मेवाड़]]) शैली में 16वीं शताब्दी में इस पुस्तक का चित्रण किया गया है।
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