"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर

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{[[अजंता]] की अनुकृति का कार्य सर्वप्रथम किसने किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-32,प्रश्न-23
|type="()"}
+राबर्ट गिल
-जान ग्रिफिथ्स
-लेडी हेरिंघम
-[[नंदलाल बोस]]
||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] के भित्तिचित्रों की अनुकृतियां सर्वप्रथम राबर्ट गिल नामक [[चित्रकार]] द्वारा बनाई गईं।


{[[कांगड़ा चित्रकला]] के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा एक [[अंग्रेज़]] यात्री ने सुंदर शब्दों में की है, इसका नाम है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-16
|type="()"}
-हेनरी मूर
-ओ.हेनरी
-वाल्टर स्काट
+मूर क्राफ़्ट
||[[कांगड़ा चित्रकला]] के संरक्षक संसारचंद के कला प्रेम की चर्चा 1820 ई. में [[भारत]] आए प्रसिद्ध यात्री मूर क्राफ़्ट ने की है।
{[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रों में मुख्य चित्रण है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-19
|type="()"}
+[[कृष्ण]]-[[राधा]] के प्रेम का
-[[राम]]-[[सीता]] के प्रेम का
-[[शिव]]-[[पार्वती]] के प्रेम का
-कामदेव एवं रति के प्रेम का
||[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा शैली]] के चित्रकारों का प्रिय विषय '[[राधा]]-[[कृष्ण]]' के चित्रण था। कांगड़ा शैली के संरक्षक राजा संसारचंद [[वैष्णव धर्म]] के अनुयायी और [[कृष्ण]] भक्त थे। उनका प्रश्रय पाकर चित्रकारों ने कृष्ण-लीला जैसे विषय को अपनी रुचि के अनुरूप चित्रित किया। [[कृष्ण]] से बढ़कर नायक उनकी दृष्टि में नहीं था। यही कारण है कि समस्त पहाड़ी कला-कृतियों में कृष्ण-कृतियों में कृष्ण का चित्रण छाया रहा। कृष्ण संबंधी अनेक कांगड़ा चित्र संसार भर के संग्रहालयों में देखे जा सकते हैं।
{[[नवप्रभाववाद]] का जनक कौन था- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-120,प्रश्न-40
|type="()"}
-आगस्ते रेन्वार
-पॉल सिन्याक
-पॉल सेजां
+जॉर्ज सोरा
||'[[नवप्रभाववाद]]' का संस्थापक जॉर्ज सोरा था। नवप्रभाववाद की अवधि 1884-1886 ई. थी। इसमें तेल व कैनवास की सहायता से चित्रों को उकेरा गया।
{घनवाद कितने प्रकार का होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-42
|type="()"}
+दो
-तीन
-चार
-पांच
||घनवाद (क्यूबिज्म) के कलात्मक आंदोलन की दो प्रमुख शाखाएं थीं- विश्लेषणात्मक घनवाद और कृत्रिम घनवाद (सिंथेटिक क्यूबिज्म)।
{'फ्रिडा कहली' किस देश से संबंधित कलाकार थीं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-54
|type="()"}
-[[जर्मनी]]
-अमेरिकन
+मेक्सिकन
-इटालियन
||फ्रिडा कहली डी रिवेरा (1907-1954) एक मैक्सिकन चित्रकार थीं जो स्वयं का चित्र (Self Portraits) बनाने की लिए जानी जाती हैं।
{[[नीला रंग|नीले]] के पूरक अथवा विरोधी [[रंग]] का नाम बताइए- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-160,प्रश्न-18
|type="()"}
-[[लाल रंग|लाल]]
-[[पीला रंग|पीला]]
-[[बैंगनी रंग|बैंगनी]]
+[[नारंगी रंग|नारंगी]]
||[[नीला रंग|नीले]] का विरोधी अथवा पूरक रंग नारंगी होता है। प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो रंग बनते हैं उन्हें विरोधी रंग कहते हैं। इस प्रकार नारंगी का विरोधी [[आसमानी रंग|आसमानी]] (नीला) व बैंगनी का विरोधी रंग पीला है। [[लाल रंग |लाल]] का विरोधी रंग हरा होता है।
{[[नीला रंग]] आयातित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-165,प्रश्न-61
|type="()"}
-[[ईरान]] से
-इराक से
+[[अफ़गानिस्तान]] से
-[[इटली]] से
||[[नीला रंग]] [[फारस]] तथा [[अफ़गानिस्तान]] की 'बदख्शा' नामक पहाड़ी के खानों से निकाला जाता था जो आक्सस नदी के किनारे स्थित है। नीले रंग का प्रयोग प्राचीन चित्रों [[जोगीमारा गुफ़ाएँ|जोगीमारा]] तथा पांचवीं शताब्दी के सिगरिया गुफाओं के चित्रों में भी हुआ। [[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] की दूसरी गुफा के चित्रों में इस [[रंग]] का प्रयोग हुआ था।
{'पटुआ चित्र' कहाँ से संबंधित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-76
|type="()"}
-[[मधुबनी]]
-[[कोटा]]
+कालीघाट
-लालघाट
||'पटुआ' एक कलाकार समुदाय है जो [[पश्चिम बंगाल]] में पाए जाते हैं, कुछ पटुआ हिन्दू जबकि कुछ पटुआ [[मुस्लिम]] हैं। [[हिंदू]] पटुआ [[कलकत्ता]] के कालीघाट और कुमारतुली क्षेत्र में सक्रिय हैं। इनके द्वारा कला का परिष्कृत रूप पटुआ कला कहलाता है। यह शैली कालीघाट शैली के नाम से जानी जाती है।
{[[टेराकोटा]] मूर्ति बनाई जाती है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-68
|type="()"}
-पत्थर
-सीमेंट से
-प्लास्टर से
+[[मिट्टी]] से
||'[[टेराकोटा]]' मूर्ति मिट्टी से बनाई जाती है। इस तरह की मूर्तियां प्राचीन काल से बनाई जाती रही हैं।
{ज्योति भट्ट किस विधा से संबंधित हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-190,प्रश्न-51
|type="()"}
-पेंटिंग
-[[मूर्ति कला]]
-[[संगीत]]
+प्रिंट मेकिंग
||ज्योति भट्ट प्रिंट मेकिंग कला से संबंधित हैं। ज्योति भट्ट का जन्म [[गुजरात]] में हुआ था। यह [[चित्रकार]] के साथ-साथ श्रेष्ठ ग्राफिक [[चित्रकार]] भी हैं। इन्होंने कई 'स्थित जीवन' चित्र तथा आकृति विषय जिनमें वस्तुओं के रूप में घनवादी तरीके से विरूपित किया है, बनाया है।
{[[एत्मादुद्दौला का मकबरा|एत्मादुद्दौला]] का मकबरा कहां स्थित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-218,प्रश्न-240
|type="()"}
+[[आगरा]] में
-[[मथुरा]] में
-[[दिल्ली]] में
-[[इलाहाबाद]] में
||[[एत्मादुद्दौला का मकबरा]] [[नूरजहां]] ने 1622-1628 ई. के मध्य बनवाया। यह [[आगरा]] में [[यमुना नदी]] के तट पर स्थित एक अत्यंत अलंकारिक इमारत है। यह पहली कृति है जो पूर्णतया संगमरमर से बनाई गई है।
{निम्न में से सबसे सॉफ्ट लेड (मुलायम नोंक) वाली पेंसिल है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-170,प्रश्न-30
|type="()"}
-HB
-2B
-4B
+9B
||B,2B,3B,4B,6B,9B आदि सॉफ्ट लेड (मुलायम नॉक) वाली पेंसिले हैं। इनमें सबसे सॉफ्ट लेड (मुलायम नॉक) वाली पेंसिल 9B है। ये कोमल रेखांकन हेतु प्रयुक्त की जाती है।


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12:33, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण