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| {'[[ढोला मारू]]' चित्र का संबंध निम्न में से किससे है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-207,प्रश्न-166
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| -[[किशनगढ़]]
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| +[[मेवाड़]]
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| -[[उदयपुर]]
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| -[[जोधपुर]]
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| ||ढोलामारू 11वीं शताब्दी में रचित एक लोक-भाषा काव्य है। मूलत: दोहों में रचित इस लोक काव्य को सत्रहवीं शताब्दी में कुशलराय वाचक ने कुछ चौपाइयां जोड़कर विस्तार दिया। इसमें नटवर के राजकुमार ढोला और राजकुमारी मारू की प्रेमकथा का वर्णन है। ढोलामारू का चित्र [[मेवाड़]] क्षेत्र से संबंधित है जिस पर राजा और रानी को ऊंट पर सवार चित्रित किया गया है।
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| {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] की शिला उत्कीर्ण चित्रकारी किस अवधि की है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-19,प्रश्न-11
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| -निओलिथिक
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| +पैलिओलिथिक
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| -चैलकोलिथिक
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| -मेसोलिथिक
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| ||[[भीमबेटका गुफ़ाएँ|भीमबेटका]] से प्राप्त होने वाले चित्रों की विषय-वस्तु से पूर्वपाषाण कालीन (Paleolithic) मानव-जीव के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है। इनमें शिकार के दृश्यों की बहुतायत है, जिनमें से कुछ चित्रों में शिकारियों के मुख पर मुखौटा है।
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| {[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ की गुफ़ा]] में कितनी गुफाएं हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-27,प्रश्न-33
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| -5
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| -8
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| -7
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| +9
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| ||[[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ की गुफ़ा]] नौ गुफाएं हैं, जिसके प्रमुख समुख भाग की लंबाई 750 फीट है। यह [[समुद्र]] तल से 850 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहली गुफा 'गृह' है जिसका क्षेत्रफल 23x14 फीट है। 1818 ई. में सर्वप्रथम [[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ गुफ़ाओं]] का परिचय तथा विवरण लेफ्टीनेंट डेंजरफील्ड ने बंबई से प्रकाशित 'साहित्यिक विनिमय संघ' की पत्रिका के द्वितीय अंक में छपवाया था। वर्ष 1907-1908 के मध्य कर्नल सी. ई. लुआर्ड ने इन गुफाओं का निरीक्षण किया और ये चित्र पुन: प्रकाश में आए।
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