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| {[[देविका रानी]] को इनमें से कौन पुरस्कार मिला था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-183,प्रश्न-13
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| +[[दादा साहब फाल्के पुरस्कार|दादा साहेब फाल्के]]
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| -[[ज्ञानपीठ पुरस्कार|ज्ञानपीठ]]
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| -[[भारत रत्न]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[देविका रानी]] को वर्ष [[1969]] में [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार|दादा साहेब फाल्के पुरस्कार]] प्रदान किया गया था। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह प्रथम प्राप्तकर्ता थीं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार|दादा साहेब फाल्के पुरस्कार]]
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| {चित्रकार बी.एन. आर्य का 'सांवरी' नामक चित्र सुरक्षित है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-189,प्रश्न-44
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| -[[ललित कला अकादमी]] [[दिल्ली]] में
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| -ललित कला संस्थान, [[लखनऊ]] में
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| +[[इलाहाबाद संग्रहालय]] में
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| -[[इलाहाबाद विश्वविद्यालय]] में
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| {तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में किया जाता है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-52
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| -बाइंडर के रूप में
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| -[[रंग]] में चमक के लिए
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| +[[रंग]] को पतला करने के लिए
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||तारपीन के तेल का प्रयोग ऑयल पेंटिंग में [[रंग]] को पतला करने के लिए किया जाता है।
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| {वह कलाकार जिसने लोककला को अपनी चित्रण शैली के रूप में अपनाया- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-69
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| -मदन लाल नागर
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| -बद्रीनाथ आर्य
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| +[[जामिनी राय]]
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| -ललित मोहन सेन
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| ||आधुनिक भारतीय चित्रकारों में जामिनी राय लोककला में प्रभावित कलाकार हैं।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[जामिनी राय]]
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| {नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' किसने बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-42
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| +जॉर्ज सोरा
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| -रेन्वार
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| -सिन्याक
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| -सेजां
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| ||जॉर्ज सोरा की कला में प्रभाववाद से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियाँ' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था।
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| {सोमेश्वर द्वारा लिखित ग्रंथ है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-205,प्रश्न-152
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| -[[राजतरंगिणी]]
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| +रसमाला
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| -प्रमाण-मीमांसा
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| -[[इंडिका]]
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| ||सोमेश्वर द्वारा लिखित ग्रंथ 'रसमाला' है।
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| {किस चित्र में सृष्टि के सृजन, विनाश, जीवन तथा रमण का सजीव दृश्य दर्शाया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-217,प्रश्न-234
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| +नटराज नृत्य
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| -शिव नृत्य
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| -कामदेव नृत्य
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||तिल्लई में शिव के नृत्य (परंपरागत नाम नटराज) को शिव की विभिन्न आकृतियों में ढाला गया है। [[शिव]] के जगत नृत्य को 'आनन्द तांडव' कहा जाता है। इसका अर्थ आनंद का नृत्य और सृजन तथा विनाश के ब्रह्मांड चक्र का प्रतीक है। नटराज नृत्य में सृजन, विनाश तथा ब्रह्म के रूप में जीवन-मरण के सभी दृश्यों को दिखाया गया है। नृत्य दैवीय ऊर्जा के पांच सिद्धांतों-सृजन, विनाश, रक्षण, मोक्ष (मरण) तथा माया का चित्रमय लक्षण प्रकट करता है। आनंद के. कुमारस्वामी के अनुसार, शिव का नृत्य उनके पांच क्रिया-कलापों को प्रस्तुत करता है- सृष्टि (सृजन, विकास), स्थिति (रक्षण, समर्थन), संहार (विनाश), तिरोभव (माया) और अनुग्रह (मुक्ति अथवा मोक्ष, ईश्वर की कृपा)।
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| {किस कला शैली में रेखीय प्रवृति अत्यधिक प्रबल थी? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-169,प्रश्न-24
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| -शास्त्रीय कला शैली
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| +रोमनस्क कला शैली
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| -गोथिक कला शैली
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| -बाइजेन्टाइन कला शैली
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| ||[[फ्रांस]], [[जर्मनी]], स्विट्जरलैंड व [[स्पेन]] जैसे देशों के रोमनस्क फ्रेस्को चित्रों में कुछ सामान्य विशेषताएं दृष्टिगोचर हैं, जो हैं- रंगों का समतल प्रयोग, काले या [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] की रेखाओं से आकारों का स्पष्टीकरण, रेखाओं का अनुवर्तित्व, दृश्यलद्युता की अपेक्षा व रेखाओं से आकारों का स्पष्टीकरण।
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| {[[कला]] क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-178,प्रश्न-16
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| -प्रकृति का चित्रण
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| -भावों का चित्रण
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| -प्राणियों का चित्रण
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| +कलाकार की अनुभूति से परिपूर्ण चित्रण
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| ||भारतीय परंपरा के अनुसार '[[कला]]' उन सारी क्रियाओं को कहते हैं जिनमें कौशल अपेक्षित है। कला एक प्रकार का कृत्रिम निर्माण है जिसमें शारीरिक और मानसिक कौशलों का प्रयोग होता है। एक कलाकार अपने जीवन की अनुभूति से चित्रण करता है।
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| {'ऑस्कर' पुरस्कार की शुरुआत कब हुई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-185,प्रश्न-23
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| -[[1913]]
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| +[[1929]]
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| -[[1931]]
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| -[[1940]]
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| ||'एकेडमी अवॉर्ड' अथवा 'ऑस्कर' एक वार्षिक अमेरिकन पुरस्कार समारोह है जो फ़िल्म उद्योग में [[सिनेमा]] के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वालों को प्रदान किया गया है। विविध श्रेणी के इस पुरस्कार में विजेता को प्रतिभा प्रदान की जाती है। इसका प्रथम पुरस्कार [[16 मई]], [[1929]] को प्रदान किया गया।
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| {प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-194,प्रश्न-71
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| -साक्षी श्रीवास्तव
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| +[[कल्पना चावला]]
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| -[[सुनीता विलियम्स]]
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| -[[बछेन्द्री पाल]]
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| ||प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री [[कल्पना चावला]] थीं। इनके पति का नाम जीव पियरे हैरिसन था।
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| {सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आई' किसके जीवन पर आधारित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-206,प्रश्न-162
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| -[[के.जी. सुब्रह्मण्यम]]
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| -के.के. हेब्बर
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| -भवेश सान्याल
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| +बिनोद बिहारी मुखर्जी
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| ||सत्यजीत रे की फिल्म 'द इनर आई' बिनोद बिहारी मुखर्जी के जीवन का आधारित है। साउंड एवं ध्वनि सत्यजीत रे की है तथा सिनेमेटोग्राफी सौमेन्दु रॉय ने की है।
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| {'[[मेघदूत]]' किसकी रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-22
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| +[[कालिदास]]
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| -[[बाणभट्ट]]
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| -[[वाल्मीकि]]
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| -[[कपिल मुनि]]
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| ||'[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के रचयिता [[कालिदास]] हैं। [[ऋतुसंहार|ऋतु संहार]], [[अभिज्ञानशाकुंतलम]], [[मेघदूत]], [[कुमारसंभव]] तथा [[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश ]] आदि कालिदास की प्रमुख रचनाएँ हैं। कवि और नाटककार के रूप में कालिदास का अद्वितीय स्थान है।
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| {'[[ललित कला अकादमी|केंद्रीय ललित कला अकादमी]]', [[नई दिल्ली]] के प्रथम [[अध्यक्ष]] कौन चुने गए थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-94
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| |type="()"}
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| -[[नंदलाल बोस]]
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| -[[मकबूल फिदा हुसैन]]
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| -[[नारायण श्रीधर बेंद्रे]]
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| +[[देवी प्रसाद रायचौधरी|डी.पी. रायचौधरी]]
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| ||देवी प्रसाद (डी.पी.) रायचौधरी राष्ट्रीय [[ललित कला अकादमी]], [[नई दिल्ली]] के प्रथम अध्यक्ष चुने गए थे। उनका कार्यकाल 1954-1960 तक था। वे [[दांडी मार्च]] के रूप में पूरी तरह से भारतीय विषयों को चित्रित करने की पश्चिमी तकनीकी और प्रतिनिधित्व के रूपों में प्रयोग करने के लिए अपने समय में अद्वितीय थे।
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| {कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44
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| |type="()"}
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| -प्रतीक से
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| -रेखा से
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| -[[रंग]] से
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| +प्रकाश-छाया से
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| ||प्रकाश-छाया से आकृति आरूपित नहीं होती है। रेखाओं, वर्णों, छाया-प्रकाश अथवा धरातलीय गठन के प्रयोग से चित्र तल का निश्चय अंकन रूप कहलाता है।
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| {मोनालिसा कहां संग्रहित है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-39
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| +म्यूसी द लूव्र
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| -ओरसे म्यूजियम
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| -म्यूसी द क्वाय ब्रान्ले
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| -म्यूसी रोंदा
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| ||मोनालिसा इटैलियन [[चित्रकार]] [[लिओनार्दो दा विंची]] द्वारा 1508-06 ई. के मध्य चित्रित की गई। इस चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य चित्र दर्शाया गया है। वर्तमान में यह पेरिस के लूव्र संग्रहालय में है।
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| {'मैटरनिटी' चित्र किसने तैयार किया था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-52
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| -वान गॉग
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| -रूसो
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| +पॉल गॉगिन
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| -सेजां
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| ||मैटरनिटी (थ्री वुमेन ऑन द सी शोर अर्थात [[समुद्र]] तट पर तीन महिलाएं) नामक चित्र पॉल गॉगिन ने बनाया है, जिसे साधारणतया 'मैटरनिटी' के नाम से जानते हैं जिसे [[1899]] में तैल चित्रण द्वारा चित्रित किया है। यह चित्र रूप के हर्मिटेज (सेंट पीटर्सबर्ग) में सुरक्षित है। 'मैटरनिटी' नाम से पाब्लो पिकासो ने भी [[1909]] में एक चित्र बनाया था।
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| {'प्राइमावेरा' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-73
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| -एक मूर्ति
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| +एक चित्र
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| -एक उपन्यास
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| -एक भवन
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| ||'प्राइमावेरा' एक चित्र है। इसे 'एलेगॉरी ऑफ़ स्प्रिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इसे इतालवी पुनर्जागरण [[चित्रकार]] सैंड्रो बोत्तिसेली ने चित्रित किया था।
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