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{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
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'''अर्जुन अटवाल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Arjun Atwal'', जन्म- [[20 मार्च]], [[1973]], [[आसनसोल]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]]), भारतीय पहले [[गोल्फ़|गोल्फ]] खिलाड़ी हैं, जिन्होंने यू.एस., पी.जी.ए. टूर में खिलाड़ी के रूप में भाग लिया था। इन्होंने यूरोपीय टूर में ‘आर्डर ऑफ मेरिट’ जीता था तथा वर्ष [[2003]] में ‘एशियाई आर्डर ऑफ मेरिट’ में भी सर्वश्रेष्ठ स्थान पाया।


==परिचय==
अर्जुन अटवाल का जन्म 20 मार्च 1973 को [[आसनसोल]], [[पश्चिम बंगाल|प. बंगाल]]) में हुआ था। भारत के सर्वश्रेष्ठ [[गोल्फ़|गोल्फ]] खिलाड़ियों में से एक हैं। इन्होंने गोल्फ में एक प्रोफेशनल खिलाड़ी के रूप में अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। अर्जुन प्रतिष्ठित यू.एस., पी.जी.ए. टूर में [[खेल]] कर प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का गौरव पाया है। जब अर्जुन किशोरावस्था में ही थे, तब उन्होंने गोल्फ की ट्रिक्स व बारीकियां सीख ली थीं। रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब के हरे-भरे मैदानों में इस खेल को भली-भांति सीखा था। [[1995]] में वह इस खेल के ‘प्रोफेशनल’ खिलाड़ी बन गए थे। तथा इनकी ऊंचाई 6 फुट एक इंच हैं।
;एशियाई टूर
इसके पश्चात अर्जुन ने एशियाई टूर में अपने खेल की श्रेष्ठता साबित कर दी। [[2003]] में एशियाई ‘आर्डर ऑफ मेरिट’ में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया था। वर्ष 2003 में अर्जुन [[भारत]] के ऐसे पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने एशियाई पी.जी.ए. टूर में 10 लाख अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की। इन्होंने ‘हीरो होंडा मास्टर्स’ में भारत में एक स्ट्रोक से जीत हासिल कर इतनी बड़ी रकम पर विजय प्राप्त की थी।
;यूरोपियन टूर
[[चित्र:Arjun-Atwal-1.jpg|thumb|250px|left|अर्जुन अटवाल]]
अटवाल जीव मिल्खा सिंह के बाद दूसरे खिलाड़ी हैं जिन्हें ‘यूरोपियन टूर’ की सदस्यता हासिल हुई है। अर्जुन को एक अन्य मामले में भी प्रथम खिलाड़ी होने का श्रेय प्राप्त है। वह ऐसे प्रथम भारतीय हैं जिन्होंने ‘यूरोपीय टूर आर्डर ऑफ मेरिट’ जीता है। यह खिताब उन्होंने [[2002]] में ‘काल्टेक्स सिंगापुर मास्टर्स’ में जीता था।
2003 में अटवाल ने यूरोपीय टूर में दूसरी बार सफलता हासिल की। उन्होंने ‘केरिस वर्ग मलेशियाई ओपन’ में अमेरिकी ओपन विजेता रिटीफ गूजन को हराकर चार शॉट विजय हासिल की।
अटवाल ने [[2004]] में यू.एस. पी.जी.ए. टूर में पहली बार भाग लिया और बेहतरीन प्रदर्शन किया। फिर 2005 में भी उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, यद्यपि उन्होंने ‘बेल साउथ क्लासिक’ में एक छोटी हार का सामना किया।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/arjun-atwal-biography-in-hindi-language/|title=अर्जुन अटवाल का जीवन परिचय |accessmonthday=06 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
==अंतरराष्ट्रीय विजय==
#वर्ष [[1995]] में अर्जुन अटवाल ने डीसीएम ओपन (एशिया) जीता।
#[[1997]] अर्जुन अटवाल ने क्लासिक दक्षिण इंडिया ओपन में विजय प्राप्त की।
#विल्स इंडियन ओपन (एशिया) का खिताब [[1999]] में जीता।
# अर्जुन अटवाल ने हीरो होंडा मास्टर्स (एशिया) और स्टार एलायंस ओपन (एशिया) में वर्ष [[2000]] में जीत हासिल की।
#वर्ष 2002 में अर्जुन ने कार्ल्सबर्ग मलेशियाई ओपन (ईयूर) विजय प्राप्त की।
#हीरो होंडा मास्टर्स (एशिया) और कैल्टेक्स सिंगापुर मास्टर्स (ईयूर) का खिताब [[1999]] में जीता।
#अर्जुन ने वर्ष [[2008]] में मेबैंक मलेशियाई ओपन (ईयूर) जीता।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:खेलकूद कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
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__NOTOC__
{{सूचना बक्सा खिलाड़ी
|चित्र=Sunita-Rani.jpg
|चित्र का नाम=सुनीता रानी
|पूरा नाम=सुनीता रानी
|अन्य नाम=
|जन्म=[[4 दिसंबर]], [[1979]]
|जन्म भूमि=संगरूर, [[पंजाब]]
|मृत्यु=
|मृत्यु स्थान=
|अभिभावक=पिता-राम सरूप, माता-संतोष रानी
|पति/पत्नी=
|संतान=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|खेल-क्षेत्र=दौड़
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’, ‘ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट’ ([[2005]]), ‘बुसान एशियाई खेलों ’ ([[2000]])
|प्रसिद्धि=एथलेटिक्स
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=[[पी. टी. उषा]], [[मिलखा सिंह]], [[गुरबचन सिंह रंधावा]]
|शीर्षक 1=
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|पाठ 2=
|अन्य जानकारी='सुनीता रानी' ने वर्ष [[2005]] में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़  4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा इनको [[के. आर. नारायणन|राष्ट्रपति के. आर. नारायणन]] के द्वारा ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया जा चुका है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''सुनीता रानी''' (अंग्रेज़ी: ''Sunita Rani'', जन्म: [[4 दिसंबर]], [[1979]], संगरूर, [[पंजाब]]) भारतीय महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने [[जून]], [[2005]] में शानदार वापसी करते हुए 1500 मीटर दौड़  4:20:63 में पूरी करके प्रथम स्थान प्राप्त किया था। सुनीता को [[के. आर. नारायणन|राष्ट्रपति के. आर. नारायणन]] के द्वारा ‘[[अर्जुन पुरस्कार]]’ से सम्मानित किया जा चुका है।
==परिचय==
सुनीता रानी का जन्म 4 दिसंबर, 1979 को संगरूर, [[पंजाब]] में हुआ था। इनके पिता का नाम राम सरूप तथा मां का नाम संतोष रानी है। सुनीता रानी मध्यम परिवार से हैं। उनके पिता [[गांव]] के पटवारी पद से रिटायर हुए हैं। सुनीता का खेल का सफर [[1994]] में स्कूली जीवन से शुरू हुआ। पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम में 15 वर्षीय सुनीता सोचती थी कि यह तो एक जन्मजात प्रतिभा होती है, तभी व्यक्ति दौड़कर इनाम हासिल कर पाता है। तभी उनकी सीनियर छात्रा गोल्डी रानी ने उन्हें समझाया कि दौड़ में जीतने के लिए मेहनत करो। उसी की प्रेरणा से सुनीता रानी ने ज़िला स्तर पर [[1994]] में 3000 मीटर की दौड़ में भाग लिया और 18 वर्ष से कम आयु वर्ग में गोल्डी के बाद द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा 16 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम स्थान पाया।
इसके बाद अपने [[पिता]] व [[भाई|भाइयों]] की प्रेरणा से उन्होंने अनेक प्रतियोगिताओं में भाग लिया। [[1995]] के फेडरेशन कप में विजय प्राप्त करने के बाद वह खेल अधिकारीयों की निगाह में आई।
सुनीता सिडनी ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में लगी रही। उसे महसूस हुआ कि 10000 मीटर की स्पर्धा छोड़कर उसे 50000 मीटर दौड़ने की क्षमता का विकास करना चाहिए, साथ ही 800 मीटर दौड़ का अभ्यास करना चाहिए ताकि स्पीड बनी रहे। उसे यकीन था कि वह अपनी टाइमिंग ठीक करके पदक पा लेगी परन्तु किन्हीं कारणों वश वह सिडनी ओलंपिक में भाग नहीं ले सकी।
==पुरस्कार==
राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के हाथों ‘अर्जुन पुरस्कार’ भी दिया जा चुका है।
==एशियाई खेल==
[[2002]] में हुए बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने अपना राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ते हुए 1500 मीटर का स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 4:06:03 मिनट में दूरी तय करके सुनीता ने 6 सेकंड से एशियाई रिकार्ड तोड़ दिया। वह दूसरी प्रतियोगियों से भी छह सेकंड आगे थी।
सुनीता की यह ख्याति रातोंरात बदल गई और उसे उसकी निन्दनीय स्थिति की ओर ले गई। उसका डोप टेस्ट पाजिटिव रहा, जिसके कारण उसकी सर्वत्र निंदा होने लगी। एथलेटिक्स फेडरेशन और भारतीय ओलंपिक संघ ने उसे बचाना तो दूर उससे दूरी बनानी आरम्भ के दी। सुनीता गुमनामी में खोने लगी। जब की यही स्थिति [[श्रीलंका]] की सुशान्तिका जयसिंहे और इंग्लैंड के लिन्फोर्ड क्रिस्टी की हुई थी तो उनके देशों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया था।
23 वर्षीय खिलाड़ी को उस वक्त किसी ने ढाढस बंधाने का साहस नहीं किया। कहा जाता है कि भारत में [[1998]] से राज्यों द्वारा स्पांसर किए गए डोपिंग प्रोग्राम चल रहें हैं, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें और पदक जीत सकें।
[[24 दिसम्बर]], [[2002]] भारतीय ओलंपिक संघ ने घोषणा की कि अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक मेडिकल कमीशन ने सुनीता के डोप टेस्ट के आरोप वापस ले लिए हैं। सुनीता के लिए यह नए वर्ष के उपहार जैसा ही था जो कुछ समय पूर्व ही आ गया था।
जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में वह [[दिन]] कोई नहीं भूल सकता जब सुनीता सलवान कमेटी के सामने अपना मामला रखने आई थी। मीडिया ने उन्हें घेर लिया तो उन्हें बचाकर ले जाना पड़ा था। ड्रग टेस्ट में विफल होना पहले पृष्ठ की सुर्ख़ियों में रहा था। लेकिन अंत में सुनीता इस मामले से बच निकलने में कामयाब रही। वह अपने पदक भी बचा सकी। कुवैत में ओलंपिक कांउसिल ऑफ एशिया के पास उनके पदक रख दिये गए थे, जो उन्हें अन्त में वापस दे दिए गए।
अंत में ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया की डोपिंग और बायो कैमिस्ट्री कमेटी ने पाया कि सियोल की टेस्ट लेबोरेटरी में कुछ गड़बड़ियां थीं। इस केस को खत्म करने का निर्णय लिया गया। अत: घोषित किया गया कि उनके द्वारा बनाए गए रिकार्ड भी ज्यों के त्यों उन्ही के नाम रहेंगे।
एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहला मौका था जब डोपिंग टैस्ट का फैसला बदला गया हो। भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने भी सुनीता को बचाने का प्रयास किया था।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/sunita-rani-biography-in-hindi-language/ |title=सुनीता रानी का जीवन परिचय |accessmonthday=07 अक्टूबर |accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिंदी }}</ref>
कई वर्षों के अन्तराल के पश्चात सुनीता रानी ट्रैक पर पुन: लौटी। [[मई]], [[2005]] में [[पंजाब]] पुलिस की सुनीता ने ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एथलेटिक सर्किट मीट में 10000 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक हासिल किया। उसने यह दौड़ 34:57:42 सेकंड में पूरी करके पदक प्राप्त किया।
==उपलब्धियां==
#[[2000]] में सुनीता ने बुसान एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता।
#बुसान एशियाई खेलों में उन्होंने 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता।
#मई 2005 में ए. एफ. आई. राष्ट्रीय एयलेटिक्स मीट में उन्होंने 10000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
#जून [[2005]] में सुनीता रानी ने 1500 मीटर दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://h1.okiron.com/?content=Arjun Arjun]
==संबंधित लेख==
{{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
[[Category:खेलकूद कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:महिला खिलाड़ी]][[Category:मैदानी स्पर्धा]]
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__NOTOC__

11:40, 13 जनवरी 2018 के समय का अवतरण