|
|
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 79 अवतरण नहीं दर्शाए गए) |
पंक्ति 1: |
पंक्ति 1: |
| {{सूचना बक्सा खिलाड़ी
| |
| |चित्र=Geeta Phogat.jpg
| |
| |चित्र का नाम=गीता फोगाट
| |
| |पूरा नाम=गीता फोगाट
| |
| |अन्य नाम=
| |
| |जन्म=[[15 दिसंबर]], [[1988]]
| |
| |जन्म भूमि=[[भिवानी ज़िला]], [[हरियाणा]]
| |
| |मृत्यु=
| |
| |मृत्यु स्थान=
| |
| |अभिभावक=पिता- महावीर सिंह फोगाट, माता- दया कौर
| |
| |पति/पत्नी=पवन कुमार
| |
| |संतान=
| |
| |कर्म भूमि=[[हरियाणा]]
| |
| |खेल-क्षेत्र=कुश्ती
| |
| |शिक्षा=
| |
| |विद्यालय=
| |
| |पुरस्कार-उपाधि=
| |
| |प्रसिद्धि=राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक, [[कॉमनवेल्थ गेम्स]] में स्वर्ण पदक विजेता।
| |
| |विशेष योगदान=
| |
| |नागरिकता=भारतीय
| |
| |संबंधित लेख=महावीर सिंह फोगाट
| |
| |शीर्षक 1=बहन
| |
| |पाठ 1=बबीता, रितु, संगीता
| |
| |शीर्षक 2=भाई
| |
| |पाठ 2=दुष्यंत फोगाट
| |
| |अन्य जानकारी=गीता फोगाट को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।
| |
| |बाहरी कड़ियाँ=
| |
| |अद्यतन=16:46, [[27 जनवरी]] [[2017]] (IST)
| |
| }}
| |
| '''गीता फोगाट''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Geeta Phogat'', जन्म- [[15 दिसंबर]], [[1988]], [[भिवानी ज़िला]], [[हरियाणा]]) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान है जिन्होंने पहली बार [[भारत]] के लिए [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने 55 किलो वजन के अंतर्गत [[राष्ट्रमंडल खेल 2010|2010 राष्ट्रमंडल खेलों]] में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।<ref>{{cite web |url=http://hindi-biography.com/geeta-phogat/ |title=गीता फोगाट|accessmonthday=28 जनवरी |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=biography.com |language= हिंदी}}</ref>
| |
|
| |
|
| ==जन्म एवं परिचय==
| |
| गीता फोगाट का जन्म 15 दिसंबर, 1988 को हरियाणा में भिवानी ज़िले के छोटे से गाँव बलाली के [[हिन्दू]]-[[जाट]] [[परिवार]] में हुआ था। जो अपने [[पिता]] से विरासत में मिलि पहलवानी को आगे बढ़ा रही हैं। गीता फोगाट की [[माँ]] दया कौर एक गृहणि हैं। परिवार में गीता की तीन [[बहन|बहनें]] बबीता, रितु, संगीता और एक [[भाई]] दुष्यंत है। गीता और बबीता पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान है और रितु अभी अपने पिता से पहलवनी की ट्रेनिंग ले रही है। साथ ही गीता की सबसे छोटी बहन संगीता और भाई दुष्यंत भी पहलवनी के रास्ते पर हैं। गीता के पिता पेशे से एक ग्रीक-रोमन स्टाइल के पहलवान है, जो कभी मेट पर तो कभी मिट्टी में ही पहलवनी कर लिया करते थे और एक [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] प्राप्तकर्ता हैं और गीता फोगाट के कोच भी हैं। अपनी पहलवानी से अच्छे-अच्छे पहलवानों की छक्के छुड़ाने वाले महावीर फोगाट धन से गरीब थे, पर लड़कियों के प्रति विचारों को लेकर धनी थे। जब उनकी पहली संतान बेटी रत्न गीता फोगाट के रूप में हुई और एक [[वर्ष]] एक [[महीना|महीने]] के बाद दूसरी बेटी रत्न बबीता फोगाट का जन्म हुआ तो उन्होंने लड़कों-लड़कियों में भेदभाव ना करते हुए निश्चय किया कि वे उन्हें लड़कों की तरह पहलवान बनाएँगे। गीता फोगाट की बहन बबीता कुमारी और उसके चचेरे भाई विनेश फोगाट भी [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] की स्वर्ण पदक विजेता हैं। दोनों राष्ट्रमंडल खेलों के [[2014]] संस्करण में उनके संबंधित श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीता। गीता फोगाट की एक और छोटी बहन रितु फोगाट, भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पहलवान है और [[2016]] राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लिया है।
| |
| ==पहलवानी का सफ़र==
| |
| पाँच वर्ष के होते ही गीता फोगाट के पिता ने गीता फोगाट और बबीता फोगाट को पहलवनी की ट्रेनिंग देने लगे। शुरुआत में पापा हमें दौड़ लगवाने के लिए खेतों में ले जाते थे। धीरे-धीरे समय निकलता गया तो अभ्यास (ट्रेनिंग) कठिन होया चला गया। महावीर फोगाट लड़कों के साथ ही अपनी बेटियों को दौड़ करवाते और दांव-पैच सिखाते थे। अगर हम उनसे कोई दौड़ या दौड़ करते समय कमजोर पड़ जाते तो पापा गुस्सा भी काफी करते थे। इतनी कठिन ट्रेनिंग के कारण गीता कभी हार भी मान जाती थी। जैसे-जैसे गीता और बबीता बड़ी होने लगी तो जमाना उनका सहयोग करने के बजाय अजीब-अजीब मुंह बनाने लगा। कई बार ऐसे सोचते थे भी कि अगर हम किसी दूसरे अखाड़े या और स्टेडियम में होते तो अगर पापा जैसा कोच मिल जाए तो हम कभी भी वापस वहाँ नहीं जाते। घर ही आ जाते। कई बार तो हम को लोगों से विरोध और धमकियाँ भी मिलती थी। पर वे सभी अपने पथ पर पूर्ण विश्वास के साथ डटे रहे। उन्हीं दिनों [[2000]] के सिडनी ऑलिंपिक्स में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्ण मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में [[भारत]] के लिये ब्रोंज मैडल जीती, जो ऑलिंपिक्स में किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी का पहला पदक था। गीता फोगाट के पिता एक जुनूनी कोच थे, इसलिए वो अखाड़े की बात अपनी दोनों बेटियों के साथ खाने पर या अन्य काम करते हुए भी करते थे। जिससे वो अपने पिता से काफी परेशान हो जाती थी। इतनी कड़ी ट्रेनिंग के बाद गीता और बबीता को बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के मुक़ाबले के लिए ले जाने लगे। पर पुरुषवादी खेल के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें बेटियों को ना खिलाने की हिदायत भी दे डाली। पर वे रुकें नहीं। बल्कि वे अपनी बेटियों को आगे की ट्रेनिंग के लिए स्पोर्ट्स ऑथोरीटी ऑफ इंडिया में दाखिला दिला दिया। बचपन में मिट्टी में खूब पसीना बहाने वाली गीता और बबीता में वहाँ के कोचों को जल्द ही टैलेंट दिखा और उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने लगे।
| |
|
| |
| ==जीत का सफर==
| |
| मेहनत का सुनहरा परिणाम [[2009]] में आया, जब गीता ने इतिहास रचते हुए जलंधर [[कॉमनवेल्थ गेम्स]] में गोल्ड मेडल जीती, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थी। इसी तरह [[2010]] के [[दिल्ली|न्यू दिल्ली]] कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार सोने का तमगा जीतकर गीता फोगाट ने यह साबित कर दिया। यदि किसी लक्ष्य के लिए जी-तोड़ मेहनत किया जाए तो जमाना भी आपके आड़े नहीं आ सकता। अब गीता के जीत का यह आलम था कि वो [[2012]] के वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियशिप में ब्रोंज मैडल, [[2013]] के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल और [[2015]] के एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीती। [[18 अक्तूबर]] [[2016]], [[मंगलवार]] को [[हरियाणा]] कैबिनेट की मंजूर पर गीता फोगाट के अंतर्राष्ट्रीय खेलों योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।
| |
|
| |
| {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
| |
| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
| |
| <references/>
| |
| {{भारत के प्रसिद्ध खिलाड़ी}}
| |
| __INDEX__
| |
| __NOTOC__
| |
|
| |
| '''महावीर सिंह फोगाट''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mahavir Singh Phogat'', जन्म- [[भिवानी ज़िला]], [[हरियाणा]]) प्रसिद्ध रेसलर व ओलिंपिक में कोच के साथ एक [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] प्राप्तकर्ता भी हैं। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड के लिए नामांकित किया गया है। दंगल फिल्म की कहानी हरियाणा के पहलवान महावीर सिंह फोगट की जिंदगी पर आधारित है।<ref>{{cite web |url=http://www.deepawali.co.in/mahavir-singh-phogat-biography-dangal-movie-review-hindi.html|title=महावीर सिंह फोगाट|accessmonthday=28 जनवरी |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bharatdiscovery.org |language= हिंदी}}</ref>
| |
| ==जन्म एवं परिचय==
| |
| महावीर सिंह फोगाट का जन्म हरियाणा में भिवानी ज़िले के छोटे से गाँव बलाली के [[हिन्दू]]-[[जाट]] [[परिवार]] में हुआ था। ये प्रसिद्ध रेसलिंग कोच [[गीता फोगट]] के पिता हैं। इन्होने [[2010]] में हुए [[कॉमन्वेल्थ गेम्स|कोमन्वेल्थ गेम्स]] में महिला केटेगरी में [[भारत]] को पहली बार गोल्ड मैडल दिलाया था। गीता पहली महिला रेसलर है, जो ओलंपिक के लिए चुनी गई। महावीर सिंह फोगाट की दूसरी बेटी बबिता कुमारी भी [[2014]] के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल जीत चुकी है.
| |
| महावीर सिंह का जीवन बहुत संघर्ष से भरा हुआ रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
| |
| यही वजह है उनके जीवन से बहुत लोग प्रेरणा लेते है, उनके जीवन पर आमिर खान ने फिल्म भी
| |
| बनाई है. महावीर जी का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के बलाली गाँव में हुआ था. छोटे से गावं में
| |
| जन्मे महावीर जी ने बचपन से बहुतसी रूढ़िवादी व दकियानूसी बातों को अपने आसपास देखा
| |
| था, उस समय वहां के लोग घर में बेटी होने पर उन्हें तुरंत मार देते थे. लेकिन वे खुद खुले
| |
| विचारों वाले इन्सान थे. महावीर जी की शादी दया कौर से हुई थी. जिनसे उन्हें 2 बेटी
| |
| गीता व् बबिता है. महावीर जी ने कम उम्र से ही रेसलिंग की शुरुवात कर दी थी, वे अच्छे
| |
| रेसलर तो थे, लेकिन उनको उस हिसाब से लोकप्रियता नहीं मिली. उन्होंने अपने इस अधूरे सपने
| |
| को अपनी बेटियों के द्वारा पूरा करना चाहा. महावीर जी ने अपनी बेटियों को रेसलिंग की
| |
| ट्रेनिंग देनी शुरू की, वे चाहते थे उनकी बेटियां सफल रेसलर बने और उनका व् देश का नाम
| |
| रोशन करें. इस निर्णय की वजह से उन्हें पुरे गावं के गुस्से का शिकार होना पड़ा. यहाँ तक कि
| |
| उनके गावं वालों ने उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया. इस फिल्म में पहलवान महावीर सिंह
| |
| फोगाट की सच्ची और प्रेरणादायी कहानी बताई गई है कि वे कैसे समाज की परवाह किये
| |
| बिना अपनी बेटियों को भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के लिए कुश्ती में ट्रेन करते हैं.
| |
|
| |
| गावं वालों का कहना था कि महावीर एक अच्छे पिता नहीं है, जिस उम्र में उन्हें अपनी
| |
| लड़कियों की शादी करनी चाहिए, उस उम्र में ये उन्हें रेसलर बना रहा है, लड़कियों को हमेशा
| |
| पर्दा में रहना चाहिए व घर संभालना चाहिए. इन सब बातों के परे महावीर ये सोचते थे कि
| |
| अगर भारत देश की प्रधानमंत्री एक महिला हो सकती है, तो एक महिला एक रेसलर भी बन
| |
| सकती है. महावीर जी ने 3 लोगों को ऐसा ट्रेन किया जिसके बाद वे लोग गोल्ड मैडल के
| |
| विजेता बने.
| |
| महावीर जी का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के बलाली गाँव में हुआ था. छोटे से गावं में
| |
| जन्मे महावीर जी ने बचपन से बहुतसी रूढ़िवादी व दकियानूसी बातों को अपने आसपास देखा
| |
| था, उस समय वहां के लोग घर में बेटी होने पर उन्हें तुरंत मार देते थे. लेकिन वे खुद खुले
| |
| विचारों वाले इन्सान थे. महावीर जी की शादी दया कौर से हुई थी. जिनसे उन्हें 2 बेटी
| |
| गीता व् बबिता है. महावीर जी ने कम उम्र से ही रेसलिंग की शुरुवात कर दी थी, वे अच्छे
| |
| रेसलर तो थे, लेकिन उनको उस हिसाब से लोकप्रियता नहीं मिली. उन्होंने अपने इस अधूरे सपने
| |
| को अपनी बेटियों के द्वारा पूरा करना चाहा. महावीर जी ने अपनी बेटियों को रेसलिंग की
| |
| ट्रेनिंग देनी शुरू की, वे चाहते थे उनकी बेटियां सफल रेसलर बने और उनका व् देश का नाम
| |
| रोशन करें. इस निर्णय की वजह से उन्हें पुरे गावं के गुस्से का शिकार होना पड़ा. यहाँ तक कि
| |
| उनके गावं वालों ने उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया. इस फिल्म में पहलवान महावीर सिंह
| |
| फोगाट की सच्ची और प्रेरणादायी कहानी बताई गई है कि वे कैसे समाज की परवाह किये
| |
| बिना अपनी बेटियों को भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने के लिए कुश्ती में ट्रेन करते हैं.
| |
|
| |
| गावं वालों का कहना था कि महावीर एक अच्छे पिता नहीं है, जिस उम्र में उन्हें अपनी
| |
| लड़कियों की शादी करनी चाहिए, उस उम्र में ये उन्हें रेसलर बना रहा है, लड़कियों को हमेशा
| |
| पर्दा में रहना चाहिए व घर संभालना चाहिए. इन सब बातों के परे महावीर ये सोचते थे कि
| |
| अगर भारत देश की प्रधानमंत्री एक महिला हो सकती है, तो एक महिला एक रेसलर भी बन
| |
| सकती है. महावीर जी ने 3 लोगों को ऐसा ट्रेन किया जिसके बाद वे लोग गोल्ड मैडल के
| |
| विजेता बने.
| |
|
| |
| आज महावीर सिंह फोगाट का नाम भले ही दुनिया के हर कोने में गूंज रहा हो.
| |
|
| |
| महावीर फोगाट के लिए यह सब आसान नहीं था. उनके लिए सब कुछ जैसे पहली बार था. वे भारतीय कुश्ती संगठन द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किए गए हैं. आखिर कौन सी बातें महावीर फोगाट को आम भीड़ से अलग खड़ा करती हैं
| |
|
| |
| वैसे तो भारत के कुश्ती सर्किल से वाकिफ रहने वाले महावीर फोगाट के नाम से परिचित हैं, मगर हम बताते चलें कि अपने राज्य के कुश्ती चैंपियन के अलावा वे भारतीय कुश्ती टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं. वे दिल्ली के मशहूर चांदगी राम अखाड़ा की शान रह चुके हैं. वे हरियाणा के भिवानी जिले में स्थित बलाली गांव के निवासी हैं.
| |
|
| |
| हरियाणा जैसा राज्य अपनी स्थापित पितृसत्ता और प्रतिष्ठा हत्याओं के लिए कुख्यात रहा है. वहां से आए दिन महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और भ्रूण हत्याओं की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस सभी के बीच महावीर फोगाट की चार बेटियां हुईं और वे अपने भाई की दो बेटियों की भी देखभाल कर रहे हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पहलवान होने के नाते वे हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा उनका सपना पूरा करे. देश के लिए गोल्ड मेडल जीते, मगर अफसोस कि उन्हें कोई बेटा न हुआ. उन्होंने अपनी बेटियों को ही कुश्ती के दांवपेंच सिखाने का फैसला किया.
| |
|
| |
| हमारे समाज में अमूमन ऐसा माना जाता है कि बेटे ही बाप की विरासत को आगे बढ़ाएंगे. बाप के अधूरे सपने को पूरा करेंगे लेकिन यहां मामला एकदम उलट था. महावीर फोगाट ने अपनी बेटियों बबीता और गीता को अखाड़े में उतार दिया. उनकी बेटियां अखाड़ों में लड़कों से बीस छूटने लगीं. मिट्टी और पसीने से लथपथ लड़कियों को देखकर शुरुआत में तो गांव वाले अजीब चेहरे बनाते लेकिन फिर सब कुछ सामान्य होने लगा. चारों तरफ उनके नाम के ही चर्चे थे. वह धीरे-धीरे मगर मजबूत कदमों से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रही थीं. एक बाप अपनी बेटियों के सुनहरे सफर का गवाह बन रहा था.
| |
|
| |
| आज भले ही ओलंपिक में साक्षी के कांस्य जीतने के बाद उनका नाम चर्चा में हो लेकिन फोगाट सिस्टर्स को नींव का पत्थर कहा जा सकता है. उनकी बेटी गीता फोगाट (55 किलो वर्ग) में भारत की ओर से गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली महिला पहलवान हैं. उन्होंने यह कारनामा 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में किया था. उसके बाद साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में बबीता ने गोल्ड मेडल जीता. इसके अलावा गीता भारत की ओर से ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाली पहली महिला पहलवान भी रह चुकी हैं.
| |
|
| |
| अपनी बेटियों के अलावा भाई की बेटियों को भी दी ट्रेनिंग...
| |
| ऐसा नहीं है कि महावीर फोगाट सिर्फ अपनी बेटियों को ही दंगल में उतारते रहे. गीता और बबीता की चचेरी बहन विनेश फोगाट भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं. वह साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर चुकी हैं. आज की तारीख में फोगाट बहने किंवदंती बन चुकी हैं और इसका श्रेय महावीर फोगाट की निष्ठा और दूरदृष्टि को भी जाता है.
| |
|
| |
| पहलवान महावीर सिंह फोगट की जिंदगी पर आधारित है और आमिर खान ने महावीर सिंह की भूमिका को परदे पर जीवंत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह महावीर सिंह अपनी बेटियों गीता और बबीता को कुश्ती के दांव-पेंच सिखाकर उन्हें रेसलिंग का चैंपियन बनाता है. एबीपी न्यूज ने महावीर सिंह और उनके परिवार से बात की और जानने की कोशिश की कि उनको आमिर खान की ये फिल्म कैसी लगी. आमिर ने फोगट फैमिली के लिए मुंबई में स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी. जिसके बाद एबीपी न्यूज ने उनसे बातचीत की.
| |
|
| |
| दोनों बहनें पिता के साथ यहां आई। द्रोणाचार्य अवॉर्डी महावीर यहां दंगल से पहले अपनी किताब 'अखाड़ा' को रिलीज करने पहुंचे थे।
| |
| - फिल्म का ये गाना तो सच है, लेकिन हम जो भी हैं इसी हानिकारक बापू की ही बदौलत है। जो भी बने हैं इन्हीं के दम पर बने हैं।
| |
| - महावीर फोगाट आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी खुद की चार बेटियों के साथ परिवार की पांच लड़कियों को इंटरनेशनल रेसलर बनाया है।
| |
| - इसमें से तीन तो ओलिंपियन है। गीता, बबीता और विनेश फोगाट जिन दावों के दम पर दुनिया को हिला रही हैं वो महावीर फोगाट की ही देन हैं।
| |
| - साल 2000 में कर्णम मलेश्वरी के ओलिंपिक में मेडल जीतने के बाद महावीर ने अपनी बेटियों को रेसलर बनाने की ठानी। घरवाले बेटियों को कुश्ती सिखाने के खिलाफ थे।
| |
| - गांव वालों ने भी विरोध किया। बावजूद इसके महावीर नहीं थमे। आज वे एक सफल कोच तो हैं ही साथ में एक सफल पिता और सफल रेसलर भी हैं।
| |
| - लेकिन इस अपार सफलता के बाद भी उनकी तलाश जारी है। घर में नेशनल से लेकर वर्ल्ड चैंपियनशिप तक के मेडल हैं, लेकिन ओलिंपिक मेडल की जगह खाली है।
| |
| - महावीर उस जगह को भरने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
| |
| आज से ही तैयारी करनी होगी:
| |
| - महावीर फोगाट का मानना है कि अगर हमें टोक्यो ओलिंपिक में मेडल जीतना है तो हमें देर से नहीं बल्कि आज से ही तैयारी करनी होगी।
| |
| - कोच को जिम्मेदारी दें तो उससे नतीजे लाने को भी कहें। उसे कहा जाए कि जितना खर्च आप करेंगे मेडल न आने पर वो खर्च आपको देना होगा।
| |
| - कोच दोगुणी ताकत के साथ रेसलर तैयार करेगा। चीन ने भी ऐसा किया है। हम क्यों नहीं कर सकते।
| |
| - भारत में खाने के लिए जो है वो पूरी दुनिया में नहीं। हम इतने सालों के बाद इस पटरी पर लौटे हैं, आने वाला ओलिंपिक मेरे हिसाब से अच्छे नतीजे देगा।
| |
| आज तक न पैसा मिला और न मैट:
| |
| - द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि कुछ महीनों के अभ्यास से ही हमारे खिलाड़ी मेडल लेकर आएं, लेकिन ऐसा नहीं होता।
| |
| - मेरी अभी तक की सफलता के बाद भी सरकार ने मुझे मैट तक नहीं दिया। मैं नए रेसलर्स तैयार करना चाहता हूं लेकिन कोई मदद तो करे।
| |
| - हरियाणा सरकार ने मुझे 2012 से 2016 तक की 50 लाख की प्राइज मनी देनी है जो अभी तक नहीं मिली।
| |
| - मैंने कभी लालच नहीं किया, न ही किताब के लिए पैसे लिए न फिल्म के लिए। मेरे हक के पैसे मुझे मिलेंगे तो वो खिलाड़ियों पर ही लगेंगे।
| |
| लड़कियां आज लड़कों से आगे:
| |
| - फोगाट का कहना है कि आज देश की लड़कियों किसी भी मायने से लड़कों से कम नहीं हैं।
| |
| - मैंने हमेशा अपनी बेटियों को लड़कों से ज्यादा खिलाया है, ज्यादा अभ्यास कराया है और ज्यादा काबिल बनाया है।
| |
| - 2009 से पहले प्रदेश में एक भी अखाड़ा लड़कियों के लिए नहीं था लेकिन आज यहां पर 50 से ज्यादा अखाड़े हैं जहां पर लड़कियां अभ्यास करती हैं।
| |
| - मेरे पास भी 25 से 30 लड़कियां हैं जो अभ्यास करती हैं। उनमें से पांच रेसलर बहुत ही अच्छी हैं और आने वाले समय में आपको वो भी बड़े लेवल पर खेलते हुए दिखाई देंगी।
| |
|
| |
| बबिता फोगट
| |
|
| |
| बबिता फोगट का जन्म 20 नवम्बर 1989 को हरियाणा में हुआ था. बबिता अपनी बहन व्
| |
| पिता की तरह रेसलर है. वे अपनी बहन गीता व् कजिन विनेश फोगट के साथ अपने गावं में
| |
| लड़की व् महिलाओं के हक लिए काम कर रही है. वे चाहती है कि उनके गावं वालों की सोच
| |
| बदले और वे लोग भी अपनी बेटियों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाये.
| |
|
| |
| 2009 से 2015 तक बबिता ने सभी कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स में हिस्सा लिया है, जहाँ उन्होंने
| |
| बहुत से मैडल व् प्राइज अपने नाम किये.
| |
|
| |
| बबिता की कजिन विनेश उनके चाचा की बेटी है. अपने चाचा ने रेसलिंग के गुर सिखने के बाद
| |
| विनेश ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का नाम बहुत ऊँचा किया है.
| |