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'''प्रफुल्लचंद्र सेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Prafulla Chandra Sen'', जन्म-[[10 अप्रैल]] [[1897]], हुगली ज़िला; मृत्यु- [[25 सितम्बर]],[[1990]], [[कलकत्ता]]) [[बंगाल]] के प्रमुख [[कांग्रेस|कांग्रेसी]] नेता, [[गांधी जी]] के अनुयायी और स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रफुल्लचंद्र सेन [[1961]] से [[1967]] तक पश्चिम बंगाल के [[मुख्यमंत्री]] थे। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान  के कारण ओग उन्हें 'आरामबाग का गांधी' कहने लगे थे। प्रफुल्लचंद्र सेन ने 11 वर्ष तक जेल की सज़ा भी भोगी थी। ये एक उदार जीवन शैली के साथ जीवन व्यतीत करते रहें।
==जन्म एवं परिचय==
[[प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] प्रफुल्लचंद्र सेन का जन्म 1897 ई. में हुगली जिले के आरामबाग नामक स्थान में एक गरीब परिवार में हुआ था। अपने पिता की हस्तांतरणीय सेवा के कारण, वह पूर्वी भारत में बिहार प्रांत में अपने बचपन बिताया। प्रफुल्लचंद्र ने [[बिहार]] में देवघर में आर मित्रा इंस्टीट्यूट से अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद, वह कलकत्ता में स्कॉटिश चर्च कॉलेज में विज्ञान का अध्ययन किया। फिर [[कोलकाता]] विश्वविद्यालय से [[विज्ञान]] में स्नातक  हुए । गांधी के भाषण से प्रभावित होकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने विदेशों में अध्ययन की सभी योजनाओं को त्याग दिया और अंग्रेजों के खिलाफ एक जन गैर सहयोग आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का साथ दिया।
==गांधी जी के अनुयायी ==
प्रफुल्लचंद्र सेन के ऊपर आरंभ से [[लाला लाजपतराय]], [[बालगंगाधर तिलक]] और [[विपिन चंद्र पाल]] (लाल बाल पाल) के विचारों का प्रभाव था। रामकृष्णा परमहंस और [[स्वामी  विवेकानंद]] से भी वे प्रभावित थे। बाद में जब गांधी जी से संपर्क हुआ तो वे सदा के लिए उनके अनुयायी बन गए। प्रफुल्लचंद्र सेन खादी उद्योग के समर्थन में थे।
==स्वतंत्रता आंदोलन===
प्रफुल्लचंद्र सेन स्वतंत्रता आंदोलन में सदा सक्रिय रहे। [[1921]], [[1930]], [[1932]], [[1934]] और [[1942]] में उन्होंने कैद की सजा भोगी और कुल ग्यारह वर्ष तक जेल में बंद रहे। रचनात्मक कार्यों में प्रफुल्लचंद्र सेन की बड़ी निष्ठा थी। ग्राम विकास के कार्यों और हरिजनोद्धार में योगदान  के कारण ओग उन्हें 'आरामबाग का गांधी' कहने लगे थे।
==राजनैतिक जीवन==
प्रफुल्लचंद्र सेन के राजनैतिक जीवन का आरंभ [[1948]] में डॉ. विधान चंद्र राय के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में सम्मिलित होने के साथ हुआ। [[1962]] में विधान चंद्र राय की [[मृत्यु]] के बाद वे पश्चिम बंगाल के [[मुख्यमंत्री]] बने और [[1967]] तक इस पद पर रहे। इस वर्ष के निर्वाचन में [[कांग्रेस]] पराजित हो गई थी। इसके बाद का प्रफुल्लचंद्र सेन का समय रचनात्मक कार्यों में ही बीता। [[1968]] के कांग्रेस विभाजन में [[इंदिरा गाँधी|इंदिरा जी]] के साथ न जाकर प्रफुल्लचंद्र सेन ने पुराने नेतृत्व के साथ ही रहने का निश्चय किया। इस प्रकार उनकी राजनैतिक गतिविधियाँ समाप्त हो गईं।


==निधन==
प्रफुल्लचंद्र सेन का [[25 सितंबर]] [[1990]] को [[कलकत्ता]] में निधन हो गया।

12:40, 20 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण