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| {{सनातन गोस्वामी विषय सूची}}
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| [[चित्र:madan-mohan-temple-1.jpg|मदन मोहन जी का मंदिर, [[वृन्दावन]]<br /> Madan Mohan temple, Vrindavan|thumb|200px]]
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| ==वृन्दावन में एकान्त भजन और लुप्त तीर्थोद्धार==
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| [[ब्रज|ब्रजधाम]] पहुँचते ही सनातन गोस्वामी ने पहले सुबुद्धिराय से साक्षात् किया, फिर लोकनाथ गोस्वामी और भूगर्भ पण्डित से, जो महाप्रभु के आदेश से पहले ही ब्रज में आ गये थे, तत्पश्चात उन्होंने जमुना-पुलिन पर आदित्य टीला नाम के निर्जन स्थान में रहकर आरम्भ किया। एकान्त भजन-साधन, त्याग और वैराग्य का जीवन। किसी पद कर्ता ने उनके भजनशील जीवन का सजीव चित्र इन शब्दों में खींचा है—
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| <blockquote>
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| "कभू कान्दे, कभू हासे, कभू प्रेमनान्दे भासे
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| कभू भिक्षा, 'कभु उपवास।
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| छेंड़ा काँथा, नेड़ा माथा, मुखे कृष्ण गुणगाथा
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| परिधान छेंड़ा बहिर्वास
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| कखनओ बनेर शाक अलवने करि पाक</blockquote>
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| मुखे देय दुई एक ग्रास।"<ref>-वे कृष्ण प्रेमरस में सदा डूबे रहते। कभी रोते, कभी हंसते, कभी भिक्षा करते, कभी उपवासी रहते, कभी बन का साग-पात अलोना पकाकर उसके दो-एक ग्रास मुख में दे लेते। फटा-पुराना बहिर्वास और कथा धारण करते और [[कृष्ण]] के नाम-गुण-लीला का गान करते हुए एक अलौकिक आनन्द के नशे में शरीर की सुध-बुध भूले रहते।</ref>
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| उस समय [[वृन्दावन]] में बस्ती नाम मात्र की थी। इसलिये साधकों को मधुकरी के लिये [[मथुरा]] जाना पड़ता था। [[सनातन गोस्वामी]] की तन्मयता जब कुछ कम होती तो वे कंधे पर झोला लटका मथुरा चले जाते। वहाँ जो भी भिक्षा मिलती उससे उदरपूर्ति कर लेते। कुछ दिन बाद उन्होंने महाप्रभु के आदेशानुसार व्रज की लीला-स्थलियों के उद्धार का कार्य प्रारम्भ किया। इसके पूर्व लोकनाथ गोस्वामी ने इस दिशा में कुछ कार्य किया था। उसे आगे बढ़ाते हुए उन्होंने व्रज के वनों, उपवनों और पहाड़ियों में घूमते हुए और कातर स्वर से व्रजेश्वरी की कृपा [[प्रार्थना]] करते हुए, शास्त्रों, लोक-गाथाओं और व्रजेश्वरी की कृपा से प्राप्त अपने दिव्य अनुभवों के आधार पर एक-एक लुप्त तीर्थ का उद्धार किया।
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| ==वीथिका-गौड़ीय संप्रदाय==
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-3.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-4.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-5.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-26.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-7.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-27.jpg|गुरु पूर्णिमा पर शंख बजाती श्रद्धालु युवती, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-8.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| चित्र:Guru-Purnima-Govardhan-Mathura-10.jpg|गुरु पूर्णिमा पर [[भजन-कीर्तन]] करते श्रद्धालु, [[गोवर्धन]], [[मथुरा]]
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==संबंधित लेख==
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| {{चैतन्य महाप्रभु}}{{सनातन गोस्वामी2}}{{सनातन गोस्वामी}}
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| [[Category:चैतन्य महाप्रभु]]
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| [[Category:भक्ति साहित्य]]
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| [[Category:सगुण भक्ति]][[Category:साहित्य कोश]]
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