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| |+भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना से पूर्व स्थापित कुछ राजनीतिक संस्थायें
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| ! संस्था !! स्थापना वर्ष !! स्थान !! संस्थापक !! उद्देश्य
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| | हिन्दू कॉलेज || 1817 ई. || कलकत्ता || || पश्चिम के उदारवादी दर्शन का ज्ञान प्राप्त करना
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| | साधारण ज्ञान सभा || 1838 ई. || बंगाल || || सरकारी विभागों में हो रहे भ्रष्टाचार, समाचार-पत्रों की स्वतन्त्रता आदि के बारे में विचार विमर्श कर समस्या का हल करना।
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| | बंगाल जमींदार सभा (लैण्ड होल्डर्स सोसाइटी) || 1838 ई. || कलकत्ता || द्वारका नाथ टैगोर के प्रयासों से || जमींदारों के हितों की देखभाल करना। बंगाल, बिहार और उड़ीसा के जमींदारों की यह संस्था आधुनिक भारत की पहली सार्वजनिक एवं राजनैतिक संस्था थी।
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| | बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन || 1843 ई. || || || सार्वजनिक हितों की रक्षा करना
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| | ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन || 28 अक्टूबर, 1851 || कलकत्ता || राजेन्द्र लाल मित्र, राधाकान्त देव (अध्यक्ष), देवेन्द्र नाथ टैगोर (महासचिव), हरिश्चन्द्र मुखर्जी आदि। || भारत के लिए राजनीतिक अधिकारों की मांग करना। यह संस्था लैण्ड होल्डर्स सोसइटी एवं बंगाल ब्रिटिश एसोसिएशन के आपस में विलय के बाद बनी। भारत के राजनीतिक अधिकारों की मांग करने वाली यह प्रथम संस्था थी।
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| | इण्डियन एसोसिएशन || 26 जुलाई, 1876 || इल्बर्ट हाल, कलकत्ता || सुरेन्द्र नाथ बनेर्जी, आनन्द मोहन बोस || शिक्षित मध्यम वर्ग का प्रतिनिधित्व करना एवं सार्वजनिक कार्यो में उनकी दिलचस्पी पैदा करना। कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों में यह सबसे महत्वपूर्ण संगठन था। इस संगठन ने 1876 मेंनागरिक सेवा परीक्षा की आयु 21 वर्ष से घटाकर 19 वर्ष करने पर ब्रिटिश भारत सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन चलाया। प्रो. हीरालाल के अनुसार सुरेन्द्र नाथ बनर्जी का राजनीतिक जीवन ‘इण्डियन सिविल आंदोलन’ से आरम्भ हुआ जो कि ‘इण्डियन नेशनल कांग्रेस’ जैसे अधिक व्यापक राजनीतिक आंदोलन का अग्रसर बना।
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| | बम्बई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन || 1885 || बम्बई || फिरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैय्यबजी, के.टी. तेलंग आदि। || भारत में सिविल सर्विस परीक्षा को आयोजित करना एवं सरकारी पदों पर भारतीयों की नियुक्ति कराना आदि। बम्बई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन को पहले ‘बाम्बे एसोसिएशन’ के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना 1852 ई. में की गई थी।
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| | ईस्ट इंडिया एसोसिएशन || 1866 ई. || लंदन || दादा भाई नौरोजी || तत्कालीन भारतीय समस्याओं पर विचार करना तथा ब्रिटिश जनमत को प्रभावित करना।
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| | मद्रास नेटिव एसोसिएशन || 1852 || मद्रास || || इस संस्था ने 1857 ई. के विद्रोहों की निंदा की। अतः इसे जनसमर्थन नहीं प्राप्त हो सका, जिससे शीघ्र ही इसका अस्तित्व समाप्त हो गया।
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| | मद्रास महाजन सभा || मई 1884 || मद्रास || || स्थानीय संगठनों व संस्थाओं के कार्यो को समन्वित करना।
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| | पूना सार्वजनिक सभा || 1876 ई. || पूना || महादेव गोविन्द रानाडे || जनता में राजनीतिक चेतना का जागरण करना एवं महाराष्ट्र में समाज सुधार करना आदि।
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| | इण्डिया लीग || 1875 || || शिशिर कुमार घोष || भारतीय जनमानस में राष्ट्रयता की भावना को फैलाना वं उन्हें राजनीतिक शिक्षा प्रदान करना आदि।
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