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बच्चे की मां की भूमिका -जवाहरलाल नेहरू

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बच्चे की मां की भूमिका -जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू
विवरण जवाहरलाल नेहरू
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक जवाहरलाल नेहरू के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

एक दिन तीन मूर्ति भवन के बगीचे में लगे पेड़-पौधों के बीच से गुजरते हुए घुमावदार रास्ते पर जवाहरलाल नेहरू जी टहल रहे थे. उनका ध्यान पौधों पर था. तभी पौधों के बीच से उन्हें एक बच्चे के रोने की आवाज आई. नेहरूजी ने आसपास देखा तो उन्हें पेड़ों के बीच एक-दो माह का बच्चा दिखाई दिया जो रो रहा था.

जवाहरलाल नेहरू ने उसकी माँ को इधर-उधर ढूंढ़ा पर वह नहीं मिली. चाचा ने सोचा शायद वह बगीचे में ही कहीं माली के साथ काम कर रही होगी. नेहरूजी यह सोच ही रहे थे कि बच्चे ने रोना तेज कर दिया. इस पर उन्होंने उस बच्चे की माँ की भूमिका निभाने का मन बना लिया.

वह बच्चे को गोद में उठाकर खिलाने लगे और वह तब तक उसके साथ रहे जब तक उसकी माँ वहां नहीं आ गई. उस बच्चे को देश के प्रधानमंत्री के हाथ में देखकर उसकी माँ को यकीन ही नहीं हुआ.

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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