पावस देखि रहीम मन -रहीम

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पावस देखि ‘रहीम’ मन, कोइल साधे मौन ।
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछत कौन ॥

अर्थ

वर्षा ऋतु आने पर कोयल ने मौनव्रत ले लिया, यह सोचकर कि अब हमें कौन पूछेगा ? अब तो मेंढ़क ही बोलेंगे, उन्हीं वक्ताओं के भाषण होंगे अब।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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