पंचायतों की संरचना
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संविधान (73वां सेशोधन) अधिनियम, 1992 द्वारा त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का प्रावधान किया गया है। इसके अनुसार
- सबसे निचले अर्थात् ग्राम स्तर पर ग्राम सभा ज़िला पंचायत के गठन का प्रावधान है।
- मध्यवर्ती अर्थात् खण्ड स्तर पर क्षेत्र पंचायत और
- सबसे उच्च अर्थात् ज़िला स्तर पर पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद | विवरण |
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अनुच्छेद 243 | परिभाषाएँ |
अनुच्छेद 243 क | ग्रामसभा |
अनुच्छेद 243 ख | ग्राम पंचायतों का गठन |
अनुच्छेद 243 ग | पंचायतों की संरचना |
अनुच्छेद 243 घ | स्थानों का आरक्षण |
अनुच्छेद 243 ङ | पंचायतों की अवधि |
अनुच्छेद 243 च | सदस्यता के लिए अयोग्यताएँ |
अनुच्छेद 243 छ | पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्व |
अनुच्छेद 243 ज | पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्तियाँ और उनकी निधियाँ |
अनुच्छेद 243 झ | वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन |
अनुच्छेद 243 ञ | पंचायतों की लेखाओं की संपरीक्षा |
अनुच्छेद 243 ट | पंचायतों के लिए निर्वाचन |
अनुच्छेद 243 ठ | संघ राज्यों क्षेत्रों को लागू होना |
अनुच्छेद 243 ड | इस भाग का कतिपय क्षेत्रों को लागू न होना |
अनुच्छेद 243 ढ | विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना |
अनुच्छेद 243 ण | निर्वाचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्णन |
जिन राज्यों की जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है, वहाँ मध्यवर्ती स्तर पर क्षेत्र पंचायत का गठन नहीं किया जाएगा। राज्यों द्वारा बनाई विधियों में निम्नलिखित के प्रतिनिधित्व का उपबन्ध किया जाता है-
- ग्राम पंचायत का अध्यक्ष मध्यवर्ती (क्षेत्र) पंचायत का सदस्य होता है। यदि किसी राज्य में मध्यवर्ती स्तर नहीं हो तो वह ज़िला पंचायत का सदस्य होगा।
- मध्यवर्ती (क्षेत्र) स्तर का अध्यक्ष ज़िला पंचायत का सदस्य होता है।
- उस राज्य के लोकसभा के सदस्य और विधान सभा के सदस्य अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ज़िला और मध्यवर्ती पंचायत के सदस्य होते हैं।
- राज्य के राज्यसभा के सदस्य विधान परिषद् (यदि हो) उस क्षेत्र की ज़िला और मध्यवर्ती पंचायत के सदस्य होते हैं। अध्यक्ष, संसद सदस्य और विधानसभा के सदस्यों को पंचायत की बैठकों में मत देने का अधिकार है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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