दीनार

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1994 का कुवैती दीनार

दीनार स्वर्ण का सिक्का, जो प्राचीन समय में एशिया तथा यूरोप में प्रमुखता से चलता था। संस्कृत में दीनार का उल्लेख 'दीनारः' के रूप में मिलता है। कुषाण शासन काल के सोने के सिक्के का वजन 124 ग्रेन होता था, जबकि गुप्त काल में इस सिक्के का वजन 144 ग्रेन था। यह कुषाण के सिक्कों पर आधारित था। अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है।

इतिहास

'दीनार' शब्द को अधिकतर भारतीय हिन्दी में मुस्लिम हमलावरों के साथ आया हुआ शब्द मानते हैं। 'दीनार' का मतलब होता है- 'एक स्वर्ण मुद्रा' या 'अशरफी'। मूलतः यह शब्द रोमन शब्द से जन्मा है और क़रीब तीन सदी ईसा पू्र्व स्वर्ण मुद्रा के तौर पर इसका रोमन गणतंत्र में प्रचलन शुरू हुआ। रोम से ही 'दिनारियस' अरब क्षेत्र मे दीनार के रूप में पहुंचा। किसी ज़माने में यह मुद्रा भारत में चलती थी, लेकिन मुस्लिम शासन में दीनार का चलन नहीं रहा।[1]

संस्कृत में उल्लेख

संस्कृत में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। भारतीय संस्कृति में दीनार किस हद तक रची-बसी थी, इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए 'दशकुमारचरित' में मिलता है, जिसमें द्यूतक्रीड़ा[2] के संदर्भ में उल्लेख है कि 16000 दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतने वाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूत सभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।

रोम की 'दिनारियस'

कनिष्क का स्वर्ण दीनार

रोम में भारतीय मसाले और मलमल की बेहद मांग रही थी। क़रीब पहली सदी ईसा पूर्व से लेकर चौथी-पांचवीं सदी तक रोमन साम्राज्य से भारत के कारोबारी रिश्ते रहे। भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहता था। भारतीय माल के बदले रोमन अपनी स्वर्ण मुद्रा 'दिनारियस' में भुगतान करते रहे। ये कारोबारी रिश्ते इतने फले- फूले की दिनारियस 'दीनार' के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98 ई. में कुषाण सम्राट कनिष्क के जमाने का एक रोमन उल्लेख महत्त्वपूर्ण है- "भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है।" जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया गया है।[1]

राजकीय मुद्रा

अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय काग़ज़ के नोट के रूप में डटी हुई है। बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार ईरान और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया, बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि भारत से गायब होने के बावजूद हिन्दी के शब्दकोशों में आज भी दीनार संस्कृत शब्द के रूप में स्वर्ण मुद्रा के अर्थ में विराजमान है, जबकि उर्दू-फ़ारसी शब्दकोश में यह फ़ारसी शब्द के तौर पर 'अशरफी' बन कर जमा है। लेकिन इसके रोमन मूल का कहीं भी ज़िक्र तक नहीं है। हिन्दी में इसका एक रूप 'दिनार' भी है।[1]

सबसे महंगी दीनार

यदि कोई यह सोचे कि विश्व की सबसे महंगी मुद्रा ब्रिटिश 'पाउंड' है तो यह ग़लतफहमी है। पाउंड एक महंगी मुद्रा तो है, लेकिन उतनी महंगी भी नहीं कि इसे विश्व की सबसे महंगी मुद्रा का खिताब दिया जाए। दरअसल विश्व की सबसे महंगी मुद्रा एक छोटे-से देश की है, जिसके बारे में अधिक सुना नहीं जाता। यह देश है कुवैत और यहाँ की मुद्रा है- दीनार। यह दुनिया की सबसे महंगी मुद्रा है। कुवैती दीनार इतनी महंगी है कि एक दीनार 3.60 अमेरिकी डॉलर के बराबर होता है। यानी एक कुवैती दीनार 176 रुपए 73 पैसे का है। कुवैती दीनार शुरू से बहुत महंगी मुद्रा रही है, लेकिन इससे इस देश को कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि यह तेल से भरपूर देश है। यह कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादक देशों में शामिल है। इसे तेल के एक्सपोर्ट से अरबों डॉलर हर साल मिलते हैं, जो इसकी छोटी-सी आबादी के लिए पर्याप्त है।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 दीनार का चलता था सिक्का कभी... (हिन्दी) शब्दों का सफर। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2014।
  2. जूआ
  3. दीनार है दुनिया की सबसे महंगी करेंसी (हिन्दी) न्यूज फ्लेश। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2014।

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