डिजिटलीकरण
डिजिटलीकरण या 'डिजिटाइजेशन' (अंग्रेज़ी: Digitization) किसी भी प्रकार की सुचना को या किसी भी प्रकार के दस्तावेज को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखने की प्रक्रिया है। आज के आधुनिक समय में इसका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि हमें किसी भी प्रकार की सुचना या डाटा को हार्ड फॉर्मेट में रखना हो तो बहुत ज्यादा समय तथा कागज आदि बर्बाद होता है। इसी से बचने के लिए अपने सभी प्रकार के दस्तावेजों. जैसे- अपने शिक्षा सम्बन्धी प्रपत्र, फोटो, कम्पनी आदि के सभी दस्तावेजों आदि को अपने डिजिटल मशीनों या कम्प्यूटर में संग्रहित करके रखते हैं, जिससे हमारा डाटा ज्यादा सुरक्षित रहता है और उसे प्राप्त करना बहुत ही आसान होता है।
क्यों है आवश्यक
- सभी जानते है की किसी भी इंसान या किसी संगठन के द्वारा अपने सभी रिकॉर्ड तथा दस्तावेजों के कागज हार्ड रूप में रखने में बहुत ज्यादा समय की बर्बादी होती है तथा इसमें बहुत अधिक पैसे की बर्बादी होती है। जबकि यदि हमारा डाटा डिजिटल फॉर्मेट में है तो उसे प्राप्त करना बहुत ही सरल होता है तथा इसमें समय की भी बचत होती है।[1]
- डिजिटल रूप में रखे गये डाटा को हम जब भी चाहे उसमें बदलाव कर सकते हैं जबकि हार्ड रूप ऐसा करना हमेशा संभव नहीं होता। डिजिटल रूप में रखे गए डाटा को कभी भी बहुत जल्दी चेक किया जा सकता है जबकि कागजी रूप में स्टोर डाटा को चेक करने में बहुत समय लगता है।
- अधिकतर किसी संगठन में बार बार अपने ग्रहकों आदि के लेखों को जांचने के लिए भी डिजिटल फॉर्मेट में सेव किया गया डाटा ही सबसे अधिक अच्छा रहता है। जिसमें डाटा को ऑडिट करना बहुत ही आसान होता है।
- डिजिटल रूप में रखे गए डाटा का खराब होने या बेकार होने का खतरा बहुत ही कम होता है तथा इसको कुछ ही पलों में एक से अधिक रूप में सुरक्षित करके रखा जा सकता है। इसमें हमारे दस्तावेजों के आग या पानी अदि से नष्ट होने के खतरे को बिलकुल कम किया जा सकता है। क्योंकि यह एक से ज्यादा तरीकों से अलग अलग उपकरणों जैसे हार्ड डिस्क , मेमोरी कार्ड, सीडी ड्राइव और आजकल जो बिलकुल नया है गूगल ड्राइव जिसमें ऑनलाइन रूप में ही अपने डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं।
- डिजिटल रूप में हम किसी भी तरह के डाटा को रख सकते हैं चाहे वह लिखित रूप में हो या दृश्य या श्रव्य रूप में हो। यदि हम अपने डाटा को ऑनलाइन ड्राइव में रखते हैं तो उसे हम इंटरनेट के जरिये कभी भी और कहीं भी प्राप्त कर सकते हैं।
- डिजिटल रूप में रखा गया डाटा अधिक विश्वसनीय होता है क्योंकि उसमें गलती होने के अवसर कम होते हैं।
कैसे हुई शुरुआत
दुनिया में इसकी शुरुआत डिजिटलरिवॉलुशन के रूप में हुई, जिसे तीसरी आैद्योगिक क्रांति के रूप में जाना जाता है। 1970 के दशक से मैकेनिकल और इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी से आगे बढ़ते हुए चीजों को डिजिटल टेक्नोलॉजी में ढाला जाना शुरू हो गया। डिजिटल कंप्यूटरों की इसमें बड़ी भूमिका मानी जाती है। डिजिटल कंप्यूटिंग और कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी ने इसकी स्पीड को और तेज कर दिया। इसके बाद डिजिटल सेल्यूलर फोन और इंटरनेट ने इसे पूरी तरह से बदल कर रख दिया। वैश्विक तकनीकी फर्म गार्टनर के मुताबिक, वर्ष 1990 में जहां दुनियाभर में पर्सनल कंप्यूटर्स की संख्या 100 मिलियन थी, वहीं 2010 में यह संख्या 1.4 बिलियन के आंकड़े को पार कर गयी।
सामाजिक और आर्थिक असर
इसका एक बड़ा सकारात्मक पहलू यह दिखा है कि संचार सुविधा आसान होने के साथ सूचनाएं एक्सपोज हुई हैं यानी जो सूचनाएं अब तक कुछ ही लोगों की मुट्ठी में सीमित थीं, उनका विस्तार हुआ है। इसने एक नये तरह के सामाजिक समीकरण को गढ़ने में भूमिका निभायी है। प्रख्यात लेखक मिचियो काकु ने अपनी किताब ‘फिजिक्स ऑफ द फ्यूचर’ में लिखा है कि वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन का बड़ा कारण फैक्स मशीनों और कंप्यूटर्स का उदय होना माना है, जिसने मिल कर वर्गीकृत सूचनाओं को एक्सपोज कर दिया। वर्ष 2011 के आसपास मिस्र समेत अनेक देशों में हुई क्रांति में सोशल नेटवर्किंग और स्मार्टफोन टेक्नोलाॅजी की बड़ी भूमिका मानी जाती है। इस तकनीक का आर्थिक असर भी व्यापक रहा है।
‘वर्ल्ड वाइड वेब’ के बिना ग्लोबलाइजेशन और आउटसोर्सिंग मुमकिन नहीं हो पाता। डिजिटाइजेशन ने व्यक्तियों और कंपनियों से जुड़ी अनेक चीजों को बदल दिया। छोटे स्तर की क्षेत्रीय कंपनियों का दायरा बढ़ाने में डिजिटाइजेशन का बड़ा योगदान रहा है। इसने न केवल ऑन-डिमांड सेवाओं के कॉन्सेप्ट का जन्म दिया, बल्कि निर्माण सेक्टर को तेजी प्रदान की। रोजमर्रा की जिंदगी और उद्योग-धंधों से जुड़ी अनेक चीजों में नये-नये इनोवेशन को मुमकिन बनाया। हालांकि, सूचनाओं के प्रवाह ने एक नयी समस्या भी पैदा की है, जिसे इसका एक नकारात्मक पहलू माना जा रहा है, लेकिन यह एक अलग मसला है।
कंपनियों के विस्तार में सहायक
भारत में अनेक कंपनियों को इसकी ताकत का एहसास हो चुका है। ‘एक्सेंट्यूर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक अध्ययन में यह साबित हुआ है कि 90 फीसदी एग्जीक्यूटिव्स ने माना है कि अपनी कंपनी के विस्तार के लिए अगले पांच वर्षों के दौरान वे डिजिटाइजेशन को रणनीतिक तरीके से इस्तेमाल में लायेंगे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सप्लाइ चेन की क्षमता को बढ़ाने के लिए ‘एसएमएसी’ यानी सोशल मीडिया, मोबाइल डिवाइस, एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी डिजिटल टेक्नोलॉजी को प्रोमोट करेंगे।
डिजिटल मार्केटिंग
स्मार्टफोन का बढ़ता बिजनेस और लोगों के बीच बढ़ती इंटरनेट की पहुंच ने कई कंपनियां अपने कारोबार को और पंख देने के लिए ऑनलाइन का रास्ता अपना रही हैं। माना जा रहा है कि अगले कुछ सालों में इस तरह का बिजनेस अरबों डॉलकर का हो जाएगा। डिजिटाइजेशन ने पूरी दुनिया में अपनी पैठ बना ली है और भारत भी इससे अछूता नहीं रह गया है। ऑटोमेशन, डिजिटल प्लेटफॉर्म और अन्य नवाचार काम की मौलिक प्रकृति को बदल रहे हैं, इसलिए डिजिटाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, ऑटोमेशन और अन्य तकनीक की मदद से उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। लेकिन, ये प्रौद्योगिकियां नौकरियां, कौशल, वेतन और काम की प्रकृति पर स्वचालन के व्यापक प्रभाव के बारे में कठिन सवाल भी उठाती हैं।
कुछ मायनों में, डिजिटल मार्केटिंग पारंपरिक विपणन से अलग नहीं है। आपका एक उत्पाद है जिसको आपको बेचना है और ब्रांड जागरुकता पैदा करने के लिए ग्राहकों के साथ जुडऩे के तरीकों की तलाश कर अपने उत्पादेां को बेचा जा सके। डिजिटल मार्केटिंग में पहले से कहीं अधिक भूमिकाएं और कौशल शामिल हैं, इसका लचीला पन, बहुमुखी प्रकृति इसे आकर्षक और रोमांचक बनाती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ डिजिटिकरण क्या होता है: अर्थ तथा महत्व (हिंदी) humanlifefacts.com। अभिगमन तिथि: 24 मई, 2022।