इन गुलों का रंग-खुशबू खो न जाये -शिवकुमार बिलगरामी
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कवि
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शिवकुमार 'बिलगरामी'
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जन्म
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12 अक्टूबर, 1963
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जन्म स्थान
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गाँव- महसोनामऊ, हरदोई, उत्तर प्रदेश
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मुख्य रचनाएँ
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'नई कहकशाँ’
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विधाएँ
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गीत एवं ग़ज़ल
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अन्य जानकारी
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाओं में अनूठे बिम्ब और उपमाएं देखने को मिलती हैं। इनकी छंद पर गहरी पकड़ है जिसके कारण इनके गीतों और ग़ज़लों में ग़ज़ब की रवानी देखने को मिलती है।
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इन्हें भी देखें
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कवि सूची, साहित्यकार सूची
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शिवकुमार 'बिलगरामी' की रचनाएँ
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इन गुलों का रंग-खुशबू खो न जाये
फिर कहीं माली चमन का सो न जाये
शाख की कुछ पत्तियाँ मुरझा रही हैं
पत्तियों की जान को कुछ हो न जाये
तितलियों के रंग से है बाग़े रौनक
खुशनुमा ये बाग़े-रौनक खो न जाये
नई हवा के क़ल्ब[1] में काँटे बहुत हैं
राह में काँटे कहीं ये बो न जाये
ध्यान रखना इस चमन का, हिस्सेदारों
इस चमन का कोई बच्चा रो न जाये
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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