आरोग्य आश्रम

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आरोग्य आश्रम (सैनाटोरियम या सैनीटेरियम) उन संस्थाओं को कहते हैं जहाँ लोग स्वास्थ्य की उन्नति के लिए भरती किए जाते हैं। दीर्घकालीन रोगों की विशेष चिकित्सा करनेवाली संस्थाओं को भी बहुधा यह नाम दिया जाता है। जैसे टी.बी. सैनाटोरियम।

साधारणत: किसी ठंडे स्थान में, जहाँ स्वाभाविक रूप से स्वास्थ्य अच्छा रहता है, आरोग्य आश्रम खोले जाते हैं। प्रकृति की गोद में, नगरों के दूषित वातावरण और कोलाहल से दूर, जहाँ सीलन (आर्द्रता) न हो, शीतल मंद समीर उपलब्ध हो, इस प्रकार की आरोग्यप्रद संस्थाएं अधिकतर स्थापित की गई हैं। जो व्यक्ति इस प्रकार के महंगे आश्रमों में नहीं जा सकते, उनके लिए बड़े नगरों के समीप उपयुक्त स्थान पर आरोग्य सदनों की व्यवस्था होनी चाहिए।

कई बार रोगी और उसके संबंधी भी आरोग्य आश्रम की उपयोगिता और महत्व को नहीं समझ पाते और घर में ही रहने की इच्छा प्रकट करते हैं। यह हो सकता है कि आश्रम में घर जैसी सुविधाएं न मिलें, किंतु घरों की अपेक्षा इन स्वास्थगृहों में रोगी बड़ी संख्या में शीघ्र अच्छे होते पाए गए हैं। इनमें सफल उपचार की अचूक सिद्धि के लिए सभी सामग्री उपलब्ध रहती है।

अच्छे आरोग्य आश्रमों में सुंदर और स्वास्थ्यप्रद व्यवस्था में, आठों पहन कुशल परिचारिकाओं और चिकित्सकों की देखभाल में रहता। वहाँ मिलने जुलनेवाले व्यक्ति चाहे जिस समय आकर तंग नहीं कर पाते। भेंट करने का समय निश्चित रहता है। व्यर्थ का हल्ला गुल्ला नहीं होता और रोगी अनावश्यक सतर्कता के तनाव से मुक्त रहकर शांति पाता है।

आरोग्य आश्रम में परीक्षा के लिए प्रयोगशाला, एक्स-किरण-कक्ष और उपचार की अन्य सुविधाएं तो रहती ही हैं, उनके साथ मनोरंजन, चित्रकला, संगीत और लेखनकला आदि मनबहलाव द्वारा चिकित्सा का प्रबंध रहता है। इससे बहुत संतोषजनक प्रगति होती देखी गई है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि रोगी को पूर्ण विश्राम दिया जाए, परंतु उसका समय खाली न रहे। आसपास कई मरीजों को अच्छा होते तथा कुछ काम धंधा करते देखकर रोगी को को आत्मबल और ढाढस प्राप्त होता है जिससे उसका स्वास्थ्य शीघ्र सुधरता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 425 |

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