"हम लाये हैं तूफ़ान से" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - " जोर " to " ज़ोर ")
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
{| class="bharattable-pink" align="right"
 +
|+ संक्षिप्त परिचय
 +
|-
 +
|
 +
* फ़िल्म : जाग्रति (1954)
 +
* संगीतकार : हेमंत कुमार 
 +
* गायक : [[रफ़ी मुहम्मद|रफ़ी]] 
 +
* गीतकार: प्रदीप
 +
|}
 
{{Poemopen}}
 
{{Poemopen}}
 
<poem>
 
<poem>
पंक्ति 31: पंक्ति 39:
  
 
आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो  
 
आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो  
सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो
+
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो
 
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
 
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
 
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
 
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
पंक्ति 39: पंक्ति 47:
 
</poem>
 
</poem>
 
{{Poemclose}}
 
{{Poemclose}}
 
* फ़िल्म : जागृति
 
* संगीतकार : हेमंत
 
* गायक : रफी
 
* रचनाकार : प्रदीप
 
 
 
  
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

07:13, 21 जून 2012 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय
  • फ़िल्म : जाग्रति (1954)
  • संगीतकार : हेमंत कुमार
  • गायक : रफ़ी
  • गीतकार: प्रदीप

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...

देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

एटम बमों के ज़ोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर क़दम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख