एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

लोकदल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:45, 19 अगस्त 2020 का अवतरण (''''लोकदल''' भारतीय राजनीतिक दल है। इस दल के संस्थापक भ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

लोकदल भारतीय राजनीतिक दल है। इस दल के संस्थापक भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह थे। वर्तमान में वरिष्ठ समाजसेवक एवं राजनीतिज्ञ चौधरी सुनील सिंह इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं जो कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक राष्ट्रभक्त परिवार से आते हैं।

इतिहास

यूपी की राजनीति में किसान नेता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले चौधरी चरण सिंह के विचारों को मानने वाले लोगों की आज भी कमी नहीं है। यह एक ऐसा दल है जो कई बार टूटा कई बार जुड़ा, लेकिन विचारधारा नहीं बदली।[1]

किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस मंत्रिमण्डल से इस्तीफा दिया। इसके बाद उन्होंने 'भारतीय क्रांति दल' की स्थापना साल की। 1974 में उन्‍होंने इसका नाम बदलकर लोकदल कर दिया। इसके बाद जनता पार्टी में 1977 में इसका विलय हो गया। जनता पार्टी जब 1980 में टूटी तो चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी एस का गठन किया। 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में इस दल का नाम बदलकर 'दलित मजदूर किसान पार्टी' हो गया और इसी बैनर तले चुनाव लड़ा गया। पार्टी में विवाद के चलते हेमवती नन्दन बहुगुणा इससे अलग हो गये और 1985 में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल का गठन किया।

इसी बीच 1987 में चौधरी अजित सिंह के राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते पार्टी में फिर विवाद हुआ और लोकदल (अ) का गठन किया गया। इसके बाद लोकदल (अ) का 1988 में जनता दल में विलय हो गया। जब जनता दल में आपसी टकराव हुआ तो 1987 लोकदल (अ) और लोकदल (ब) बन गया। किसानों का कहे जाने वाले इस दल का 1988 में जनता पार्टी में विलय हो गया। फिर जब जनता दल बना तो अजित सिंह का दल उसके साथ हो गया। लोकदल (अ) यानी चौ. अजित सिंह का 1993 में कांग्रेस में विलय हो गया। चौधरी अजित सिंह ने एक बार फिर कांग्रेस से अलग होकर 1996 में 'किसान कामगार पार्टी' का गठन किया। इसके बाद 1998 में चौ. चरण सिंह की विचारधारा पर चलने वाले इस दल का नाम उनके पुत्र चौ. अजित सिंह ने बदलकर 'राष्ट्रीय लोकदल' कर दिया।

मुलायम सिंह यादव की भूमिका

मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही चौधरी चरण सिंह के साथ की। मुलायम सिंह ने 1967 में 'संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी' से चुनाव जीतने के बाद 1969 में वह चौधरी चरण सिंह से जुड़ गए। चौधरी चरण सिंह ने जब लोकदल का गठन किया तो मुलायम सिंह यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। प्रदेश में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुलायम सिंह को सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गयी। चौधरी चरण सिंह ने मुलायम सिंह को यूपी विधानसभा में वीर बहादुर सिंह की सरकार में नेता विरोधी दल बनाने का काम किया। 1987-1988 में जनता दल के गठन के बाद मुलायम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। इसमें चौधरी अजित सिंह भी साथ थे।

प्रभावी ज़िले

चौधरी चरण सिंह की राजनीति जिन जिलों में अधिक प्रभावी रही, उनमें मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, बागपत, मुज़फ्फरपुर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, जेपी नगर, रामपुर, आगरा, अलीगढ़, मथुरा, फिरोजाबाद, महामायानगर, एटा, मैनपुरी, बरेली, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख