"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-3" के अवतरणों में अंतर

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'''इस अध्याय में नौ ब्राह्मण हैं।'''  
 
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*इनके अन्तर्गत राजा [[जनक]] के यज्ञ में [[याज्ञवल्क्य]] ऋषि से विभिन्न तत्त्ववेत्ताओं द्वारा प्रश्न पूछे गये हैं और उनके उत्तर प्राप्त किये गये हैं।  
 
*इनके अन्तर्गत राजा [[जनक]] के यज्ञ में [[याज्ञवल्क्य]] ऋषि से विभिन्न तत्त्ववेत्ताओं द्वारा प्रश्न पूछे गये हैं और उनके उत्तर प्राप्त किये गये हैं।  
 
*[[गार्गी]] द्वारा बार-बार प्रश्न पूछ जाने पर याज्ञवल्क्य उसे अपमानित करके रोक देते हैं।  
 
*[[गार्गी]] द्वारा बार-बार प्रश्न पूछ जाने पर याज्ञवल्क्य उसे अपमानित करके रोक देते हैं।  

11:08, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण

इस अध्याय में नौ ब्राह्मण हैं।

  • इनके अन्तर्गत राजा जनक के यज्ञ में याज्ञवल्क्य ऋषि से विभिन्न तत्त्ववेत्ताओं द्वारा प्रश्न पूछे गये हैं और उनके उत्तर प्राप्त किये गये हैं।
  • गार्गी द्वारा बार-बार प्रश्न पूछ जाने पर याज्ञवल्क्य उसे अपमानित करके रोक देते हैं।
  • पुन: सभा की अनुमति से उसके द्वारा प्रश्न पूछे जाते हैं।
  • वह उनसे अपनी पराजय स्वीकार कर लेती है।
  • इसी प्रकार शाकल्य ऋषि अतिप्रश्न करने के कारण अपमानित होते हैं।
  • इसी का उल्लेख प्रश्नोत्तर रूप में यहाँ किया गया है।
  • इनमें भारतीय 'तत्त्व-दर्शन' का निचोड़ प्राप्त होता है।
  • जो इस प्रकार है:-


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टीका टिप्पणी और संदर्भ


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