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'''चक्रक्षेप''' का खेल बहुत पुराना है। होमर ने लिखा है कि यूनान में यह खेल अति प्रचलित था। यूनानी चतुर्वार्षिक ओर पंचवार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में इस खेल को भी स्थान दिया जाता था। यूनानी शरीर निर्माण के लिये इस खेल को बड़ा महत्व देते थे। 1896 ई. में एथेंस में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ पुन: प्रारंभ हुईं और इस खेल को भी प्रतियोगिता के लिये सम्मिलित कर लिया गया। उसी वर्ष स्वीडन में भी जो खेलकूद प्रतियोगिता हुई, उसमें भी चक्रक्षेवण का स्थान रखा गया। एथेंस की प्रतियोगिता में संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के छात्र, राबर्ट एस.गैरेट, विजयी हुए। इन्होंने चक्र को 95 फुट इंच फेंका। स्वीडन की प्रथम प्रतियोगिता में हेलगेसन ने 97 फुट इंच के अंतर पर चक्र का फेंककर विजयश्री लाभ की। धीरे धीरे सभी राष्ट्रों की खेलकूद प्रतियोगिताओं में चक्रक्षेपण भी सम्मिलित कर लिया गया। फलस्वरूप संसार के विभिन्न भागों में इस खेल में भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ी, क्षेपणतंत्र में सुधार हुए और नए नए कीर्तिमानों का निर्माण हुआ। इस समय का विश्व का कीर्तिमान संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के जे. सिलनेस्टर ने कायम किया है। इन्होंने चक्र को 1961 ई. में 199 फुट इंच फेंका था।
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'''चक्रक्षेपण''' चक्रक्षेप का खेल बहुत पुराना है। होमर ने लिखा है कि यूनान में यह खेल अति प्रचलित था। यूनानी चतुर्वार्षिक ओर पंचवार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में इस खेल को भी स्थान दिया जाता था। यूनानी शरीर निर्माण के लिये इस खेल को बड़ा महत्व देते थे। 1896 ई. में एथेंस में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ पुन: प्रारंभ हुईं और इस खेल को भी प्रतियोगिता के लिये सम्मिलित कर लिया गया। उसी वर्ष स्वीडन में भी जो खेलकूद प्रतियोगिता हुई, उसमें भी चक्रक्षेवण का स्थान रखा गया। एथेंस की प्रतियोगिता में संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के छात्र, राबर्ट एस.गैरेट, विजयी हुए। इन्होंने चक्र को 95 फुट इंच फेंका। स्वीडन की प्रथम प्रतियोगिता में हेलगेसन ने 97 फुट इंच के अंतर पर चक्र का फेंककर विजयश्री लाभ की। धीरे धीरे सभी राष्ट्रों की खेलकूद प्रतियोगिताओं में चक्रक्षेपण भी सम्मिलित कर लिया गया। फलस्वरूप संसार के विभिन्न भागों में इस खेल में भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ी, क्षेपणतंत्र में सुधार हुए और नए नए कीर्तिमानों का निर्माण हुआ। इस समय का विश्व का कीर्तिमान संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के जे. सिलनेस्टर ने कायम किया है। इन्होंने चक्र को 1961 ई. में 199 फुट इंच फेंका था।<ref>{{cite web |url=http://www.bharatkhoj.org/india/%E0%A4%9A%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%AA%E0%A4%A3 |title=चक्रक्षेपण |accessmonthday=18 मई |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=bharatkhoj.org |language=हिंदी }}</ref>
  
ईसा से पाँच शती पूर्व के माइरान (Myron) नामक ग्रीक शिल्पी की अभिकल्पना।
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ईसा से पाँच शती पूर्व के माइरान (Myron) नामक ग्रीक शिल्पी की अभिकल्पना। प्राचीन काल में चक्र पत्थर की वृत्ताकार पट्टिका का बनाया जाता था। चक्र का व्यास 8 से 9 इंच तक होता था और इसका भार 4 से 5 पाउंड तक रहता था। चक्र के दोनों तल उत्तल होते थे और चक्र के केंद्र में छिद्र रहता था। आजकल प्रतियोगिताओं में जिस चक्र का प्रयोग किया जाता है वह लकड़ी का होता है, जिसके चारों ओर धातु का घेरा बना रहता है। भार को ठीक रखने के लिय चक्र के केंद्रस्थान पर व्यवस्था रहती है। चक्र का भार कम से कम 4 पाउंड 6.4 आैंस हात है। लकड़ी के चारों आर लगी हुई वृत्ताकार, पीतल की पट्टिकाओं का व्यास 2 से इंच के बीच का रहता है। किनारे के प्रारंभ के और केंद्र से 1 इंच की दूरी तक के दोनों तल एक सरल रेख में गावदुम रूप में चले जाते हैं। चक्र की अधिकतम परिधि इंच होती है। चक्र की मोटाई केंद्रस्थान पर कम से कम इंच और किनारे से इंच की दूरी पर कम से कम इंच होती है। चक्र को 8 फुट इंच की परिधि के भीतर से इस प्रकार फेकते हैं कि वह ९० अंश के द्वैत्रिज्य की सीमा के अंदर ही गिरे।
 
 
प्राचीन काल में चक्र पत्थर की वृत्ताकार पट्टिका का बनाया जाता था। चक्र का व्यास 8 से 9 इंच तक होता था और इसका भार से पाउंड तक रहता था। चक्र के दोनों तल उत्तल होते थे और चक्र के केंद्र में छिद्र रहता था। आजकल प्रतियोगिताओं में जिस चक्र का प्रयोग किया जाता है वह लकड़ी का होता है, जिसके चारों ओर धातु का घेरा बना रहता है। भार को ठीक रखने के लिय चक्र के केंद्रस्थान पर व्यवस्था रहती है। चक्र का भार कम से कम 4 पाउंड 6.4 आैंस हात है। लकड़ी के चारों आर लगी हुई वृत्ताकार, पीतल की पट्टिकाओं का व्यास 2 से इंच के बीच का रहता है। किनारे के प्रारंभ के और केंद्र से 1 इंच की दूरी तक के दोनों तल एक सरल रेख में गावदुम रूप में चले जाते हैं। चक्र की अधिकतम परिधि इंच होती है। चक्र की मोटाई केंद्रस्थान पर कम से कम इंच और किनारे से इंच की दूरी पर कम से कम इंच होती है। चक्र को फुट इंच की परिधि के भीतर से इस प्रकार फेकते हैं कि वह 90 अंश के द्वैत्रिज्य की सीमा के अंदर ही गिरे।<ref> (दामोदर दास खन्ना)</ref>
 
  
 
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07:11, 18 मई 2018 के समय का अवतरण

लेख सूचना
चक्रक्षेपण
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 151
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक दामोदर दास खन्ना

चक्रक्षेपण चक्रक्षेप का खेल बहुत पुराना है। होमर ने लिखा है कि यूनान में यह खेल अति प्रचलित था। यूनानी चतुर्वार्षिक ओर पंचवार्षिक खेलकूद प्रतियोगिताओं में इस खेल को भी स्थान दिया जाता था। यूनानी शरीर निर्माण के लिये इस खेल को बड़ा महत्व देते थे। 1896 ई. में एथेंस में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ पुन: प्रारंभ हुईं और इस खेल को भी प्रतियोगिता के लिये सम्मिलित कर लिया गया। उसी वर्ष स्वीडन में भी जो खेलकूद प्रतियोगिता हुई, उसमें भी चक्रक्षेवण का स्थान रखा गया। एथेंस की प्रतियोगिता में संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के छात्र, राबर्ट एस.गैरेट, विजयी हुए। इन्होंने चक्र को 95 फुट इंच फेंका। स्वीडन की प्रथम प्रतियोगिता में हेलगेसन ने 97 फुट इंच के अंतर पर चक्र का फेंककर विजयश्री लाभ की। धीरे धीरे सभी राष्ट्रों की खेलकूद प्रतियोगिताओं में चक्रक्षेपण भी सम्मिलित कर लिया गया। फलस्वरूप संसार के विभिन्न भागों में इस खेल में भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ी, क्षेपणतंत्र में सुधार हुए और नए नए कीर्तिमानों का निर्माण हुआ। इस समय का विश्व का कीर्तिमान संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, के जे. सिलनेस्टर ने कायम किया है। इन्होंने चक्र को 1961 ई. में 199 फुट इंच फेंका था।[1]

ईसा से पाँच शती पूर्व के माइरान (Myron) नामक ग्रीक शिल्पी की अभिकल्पना। प्राचीन काल में चक्र पत्थर की वृत्ताकार पट्टिका का बनाया जाता था। चक्र का व्यास 8 से 9 इंच तक होता था और इसका भार 4 से 5 पाउंड तक रहता था। चक्र के दोनों तल उत्तल होते थे और चक्र के केंद्र में छिद्र रहता था। आजकल प्रतियोगिताओं में जिस चक्र का प्रयोग किया जाता है वह लकड़ी का होता है, जिसके चारों ओर धातु का घेरा बना रहता है। भार को ठीक रखने के लिय चक्र के केंद्रस्थान पर व्यवस्था रहती है। चक्र का भार कम से कम 4 पाउंड 6.4 आैंस हात है। लकड़ी के चारों आर लगी हुई वृत्ताकार, पीतल की पट्टिकाओं का व्यास 2 से इंच के बीच का रहता है। किनारे के प्रारंभ के और केंद्र से 1 इंच की दूरी तक के दोनों तल एक सरल रेख में गावदुम रूप में चले जाते हैं। चक्र की अधिकतम परिधि इंच होती है। चक्र की मोटाई केंद्रस्थान पर कम से कम इंच और किनारे से इंच की दूरी पर कम से कम इंच होती है। चक्र को 8 फुट इंच की परिधि के भीतर से इस प्रकार फेकते हैं कि वह ९० अंश के द्वैत्रिज्य की सीमा के अंदर ही गिरे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चक्रक्षेपण (हिंदी) bharatkhoj.org। अभिगमन तिथि: 18 मई, 2018।

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