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*गंगाभक्तितरंगिणी ग्रन्थ के रचनाकार धारेश्वर के पुत्र गणपति हैं।
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{{बहुविकल्पी शब्द}}
*यह ग्रंथ तीन अध्यायों में है। इनका कथन है कि मिथिला के राजा नान्य ने इनके पितामह को वृत्ति दी थी।<ref>जिल्द 5, पृष्ठ 183, पाण्डु. की तिथि संख्या 1766, 1710 ई.</ref>
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*[[गंगाभक्तितरंगिणी (गणपति)]]
*[[भारत]] में धार्मिक ग्रन्थों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक ग्रन्थ है।
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*[[गंगाभक्तितरंगिणी (चतुर्भुजाचार्य)]]
  
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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{{menu}}
<references/>
 
==संबंधित लेख==
 
{{धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ}}
 
 
 
[[Category:धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ]]
 
[[Category:संस्कृति कोश]]
 
 
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