आब गई आदर गया -रहीम
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:37, 4 फ़रवरी 2016 का अवतरण
आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥
- अर्थ
ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।
रहीम के दोहे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख