"आपको रेत का बोरा दें -जवाहरलाल नेहरू" के अवतरणों में अंतर

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वर्ष [[1956]] में जब [[जवाहरलाल नेहरू]] सऊदी अरब की राजनायिक यात्रा पर गए तो वहां से वापस आते समय शाह सऊद ने उन्हें एक कैडलक कार और उनके साथ आए लोगों को स्विस घड़ियां उपहार में दीं. लेकिन नेहरू इतने महंगे-महंगे तोहफों को पाकर काफी परेशान हो गए थे, वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि यहां से इतने महंगे तोहफे लेकर लौटें. उनके साथ गए एक सदस्य ने उन्हें कहा कि  
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वर्ष [[1956]] में जब [[जवाहरलाल नेहरू]] सऊदी अरब की राजनायिक यात्रा पर गए तो वहां से वापस आते समय शाह सऊद ने उन्हें एक कैडलक कार और उनके साथ आए लोगों को स्विस घड़ियां उपहार में दीं. लेकिन नेहरू इतने महंगे-महंगे तोहफों को पाकर काफ़ी परेशान हो गए थे, वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि यहां से इतने महंगे तोहफे लेकर लौटें. उनके साथ गए एक सदस्य ने उन्हें कहा कि  
  
 
“अगर शाह सऊद आपको कार नहीं देंगे तो उनके पास और है ही क्या आपको देने के लिए. वह आपको रेत का बोरा दें या तेल का पीपा.”
 
“अगर शाह सऊद आपको कार नहीं देंगे तो उनके पास और है ही क्या आपको देने के लिए. वह आपको रेत का बोरा दें या तेल का पीपा.”

11:01, 5 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

आपको रेत का बोरा दें -जवाहरलाल नेहरू
जवाहरलाल नेहरू
विवरण जवाहरलाल नेहरू
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक जवाहरलाल नेहरू के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

वर्ष 1956 में जब जवाहरलाल नेहरू सऊदी अरब की राजनायिक यात्रा पर गए तो वहां से वापस आते समय शाह सऊद ने उन्हें एक कैडलक कार और उनके साथ आए लोगों को स्विस घड़ियां उपहार में दीं. लेकिन नेहरू इतने महंगे-महंगे तोहफों को पाकर काफ़ी परेशान हो गए थे, वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि यहां से इतने महंगे तोहफे लेकर लौटें. उनके साथ गए एक सदस्य ने उन्हें कहा कि

“अगर शाह सऊद आपको कार नहीं देंगे तो उनके पास और है ही क्या आपको देने के लिए. वह आपको रेत का बोरा दें या तेल का पीपा.”

इस बात पर नेहरू जोर से हंसे और कार स्वीकार कर ली. भारत लौटते ही उन्होंने कैडलक कार राष्ट्रपति भवन के वीआईपी कार बेड़े में शामिल करवा दी और वर्ष 1956 में तोहफे में मिली यह कार आज भी राष्ट्रपति भवन के कार बेड़े में शामिल है.

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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