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"बृहदारण्यकोपनिषद अध्याय-6" के अवतरणों में अंतर

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*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के इस अध्याय में 'प्राण' की श्रेष्ठता, 'पंचाग्नि विद्या' का विवरण, 'मन्थ-विद्या' का उपदेश तथा 'सन्तानोत्पत्ति-विज्ञान' का सुन्दर वर्णन किया गया है।  
 
*[[बृहदारण्यकोपनिषद]] के इस अध्याय में 'प्राण' की श्रेष्ठता, 'पंचाग्नि विद्या' का विवरण, 'मन्थ-विद्या' का उपदेश तथा 'सन्तानोत्पत्ति-विज्ञान' का सुन्दर वर्णन किया गया है।  
 
*सबसे अन्त में समस्त प्रकरण की आचार्य-परम्परा का उल्लेख किया गया है।  
 
*सबसे अन्त में समस्त प्रकरण की आचार्य-परम्परा का उल्लेख किया गया है।  

11:13, 5 सितम्बर 2011 का अवतरण

इस अध्याय में पांच ब्राह्मण हैं।

  • बृहदारण्यकोपनिषद के इस अध्याय में 'प्राण' की श्रेष्ठता, 'पंचाग्नि विद्या' का विवरण, 'मन्थ-विद्या' का उपदेश तथा 'सन्तानोत्पत्ति-विज्ञान' का सुन्दर वर्णन किया गया है।
  • सबसे अन्त में समस्त प्रकरण की आचार्य-परम्परा का उल्लेख किया गया है।
  • जो इस प्रकार है:-


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