हंस जवाहिर

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हंस जवाहिर नामक पुस्तक की रचना कासिमशाह ने की थी। कासिमशाह बाराबंकी, उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।

  • कासिमशाह संवत 1788 (1731 ई.) के लगभग वर्तमान थे। 'हंस जवाहिर' में राजा हंस और रानी जवाहिर की कथा है।
  • फ़ारसी अक्षरों में छपी इस पुस्तक की एक प्रति उपलब्ध है। उसमें कवि ने शाहे वक्त का इस प्रकार उल्लेख किया है-

मुहमदसाह दिल्ली सुलतानू । का मन गुन ओहि केर बखानू॥
छाजै पाट छत्रा सिर ताजू । नावहिं सीस जगत के राजू॥
रूपवंत दरसन मुँह राता । भागवंत ओहि कीन्ह बिधाता॥
दरबवंत धरम महँपूरा । ज्ञानवंत खड्ग महँ सूरा॥


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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