स्वप्न

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
Disamb2.jpg स्वप्न एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- स्वप्न (बहुविकल्पी)

स्वप्न आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सोते समय की चेतना की अनुभूतियों को कहते हैं। स्वप्न के अनुभव की तुलना मृगतृष्णा के अनुभवों से की गई है। 'स्वप्न' मुखयतः 'स्वप्न निद्रा' की अवस्था में आते हैं। सुषुप्ति अवस्था में देखे गये स्वप्न प्रायः सुबह तक याद नहीं रहते। यह आवश्यक नहीं कि स्वप्न में देखा गया सब कुछ अर्थपूर्ण हो। मानस और चिकित्सा शास्त्रियों के अनुसार जो व्यक्ति अनावश्यक इच्छाओं, चंचल भावनाओं, उच्च आकांक्षाओं और भूत-भविष्य की चिंता से अपने को मुक्त रखते हैं, वही गहरी निद्रा ले पाते हैं। गहरी निद्रा स्वस्थ जीवन के लिए परम आवश्यक है।

धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्म शास्त्रों - अथर्ववेद, योगसूत्र, पुराण, उपनिषदों इत्यादि में स्वप्नों का आध्यात्मिक विश्लेशण मिलता है, जिसके अनुसार स्वप्न की क्रिया मनुष्य की आत्मा से जुड़ी है और आत्मा परमात्मा से। मन की कल्पना शक्ति असीम है। महर्षि वेदव्यास 'ब्रह्मसूत्र' में बताते हैं कि मस्तिष्क में पिछले जन्मों का ज्ञान सुषुप्त अवस्था में रहता है। शुद्ध आचरण वाले धार्मिक और शांत चित्त व्यक्ति के सपने, दैविक संदेशवाहक होने के कारण, सत्य होते हैं। परंतु चिंताग्रस्त या रोगी व्यक्ति का मन अशांत होने के कारण उसके स्वप्न निष्फल होते हैं। स्वप्न भावी जीवन यात्रा से जुड़े शुभ और अशुभ प्रसंग, यहां तक कि विपत्ति, बीमारी और मृत्यु की पूर्व सूचना देते हैं। गौतम बुद्ध के जन्म से कुछ दिन पहले उनकी माता रानी माया ने स्वप्न में एक सूर्य सा चमकीला, 6 दांतों वाला सफेद हाथी देखा था, जिसका अर्थ राज्य के मनीषियों ने एक उच्च कोटि के जगत प्रसिद्ध राजकुमार के जन्म का सूचक बताया, जो सत्य हुआ।

वैज्ञानिक शोध

पाश्चात्य देशों में स्वप्न पर शोध कार्य सर्वप्रथम शारीरिक और फिर मानसिक स्तर पर किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में चिकित्सकों के मतानुसार अप्रिय स्वप्नों का कारण अस्वस्थता, सोते समय सांस लेने में कठिनाई और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना था। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार तलाक, नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा, या परिवार में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव बार-बार आने वाले स्वप्नों में परिलक्षित होते हैं। पाश्चात्य शोध के अनुसार जाग्रत अवस्था में सांसारिक वस्तुओं और घटनाओं का मानव मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिससे अनेक विचारों और इच्छाओं का जन्म होता है। जो प्रसंग मन में अपूर्ण रहते हैं, वे निद्रा की अवस्था में, व्यवस्थित या अव्यवस्थित रूप में, अभिव्यक्त होते हैं। आधुनिक विज्ञान में पाश्चात्य विचारक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी पुस्तक 'थ्योरी ऑफ ड्रीम्स' में कहा है कि स्वप्न मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचार किया होता है। अर्थात स्वप्न मनुष्य की इच्छाएं (मुखयतः काम वासनाएं) जो किसी भी प्रकार के भय (समाज के भय) से जाग्रत अवस्था में पूर्ण नहीं हो पातीं, वे स्वप्न में साकार (चरितार्थ) हो कर व्यक्ति को मानसिक तृप्ति देती हैं और उसको तनावमुक्त और संतुलित रहने में सहायता करती हैं। परंतु यह सिद्धांत अंधे व्यक्ति द्वारा देखे गये स्वप्नों को समझाने में असमर्थ था। कुछ समय बाद फ्रॉयड ने अपने विचारों में परिवर्तन किया। 'ड्रीम टेलीपैथी' के लेखक डॉ. स्टैनली के अनुसार स्वप्नों की पुनरावृत्ति का संबंध वर्तमान में होने वाली समस्याओं और घबराहट से ही नहीं, अपितु अतीत से भी हो सकता है। बचपन में घटी कोई भयानक घटना का मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ने से उससे संबंधित स्वप्न अधिक दिखाई देते हैं। स्वप्न की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए डॉ. स्टैनली ने बताया कि मनुष्य का मस्तिष्क छोटी-छोटी घटनाओं एवं जानकारियों को संगठित रूप दे कर एक ऐसे निष्कर्ष (स्वप्न) पर पहुंचता है, जो कभी-कभी बहुत सही होता है।

ऐतिहासिक तथ्य

रोम के सम्राट जूलियस सीज़र की पत्नी ने उनकी हत्या की पिछली रात सपने में देखा था कि वह अपने बाल बिखेरे पति का लहूलुहान शरीर उठाये फिर रही है। उसने सीज़र को सीनेट जाने से मना किया, पर वह नहीं माना और सीनेट पहुंचने पर ब्रूटस ने उसकी हत्या कर दी। इसी प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी हत्या को कुछ दिन पहले स्वप्न में देखा था। पाश्चात्य शोधकर्ता अब भारतीय विचारधारा से सहमत हो रहे हैं। फ्रॉयड ने नये अनुभवों के आधार पर अगली पुस्तक 'इंटरप्रटेशन ऑंफ ड्रीम्स' में स्वीकार किया कि स्वप्न कभी-कभी मनुष्य की दबी इच्छाओं और मन की उड़ान से बहुत आगे की सूचना देने में सक्षम होते हैं। डॉ. हैवलॉक एलाईस अपनी पुस्तक 'दि वर्ल्ड ऑफ ड्रीम्स' में मानते हैं कि स्वप्न में सुषुप्त मस्तिष्क और 'एकस्ट्रा सेंसरी परसेप्शन' की बड़ी भूमिका होती है। 'बुच सोसाईटी फॉर साईकिक रिसर्च' हॉलैंड, के शोधकार्य ने यह प्रमाणित किया है कि कुछ स्वप्न भविष्य की घटनाओं की सही-सही पूर्वसूचना देते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. हैफनर मोर्स के अनुसार सतत प्रयत्न द्वारा सुषुप्त मस्तिष्क को जगा कर सपनों द्वारा 'दिव्य दृष्टि' प्राप्त की जा सकती है। यूनान के प्रसिद्ध दार्शनिक हिप्पोक्रेटस का मानना था कि निद्रा के समय आत्मा शरीर से अलग होकर विचरण करती है और ऐसे में जो देखती है या सुनती है, वही स्वप्न है। अरस्तू ने अपनी पुस्तक 'पशुओं के इतिहास' में लिखा है कि केवल मनुष्य ही नहीं, अपितु भेड़, बकरियाँ, गाय, कुत्ते, घोड़े इत्यादि पशु भी स्वप्न देखते हैं। प्राचीन भारतीय दार्शनिकों के अनुसार, आत्मा चौरासी लाख योनियों में जन्म लेने और भ्रमण करने के बाद मनुष्य योनि प्राप्त करती है। स्वप्न के माध्यम से वह विभिन्न योनियों में अर्जित अनुभवों का पुनः स्मरण करती है।

स्वप्न का विज्ञान

आदि काल से ही मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में सक्रिय है। परंतु जब किसी भी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती (जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है) तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। प्रायः यह माना जाता है कि स्वप्न या सपने आने का एक कारण 'नींद' भी हो सकता है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं।

आर. ई. एम. अर्थात् रैपिड आई मूवमेंट

इसमें अधिकतर सपने आते हैं। इसमें शरीर शिथिल परंतु आँखें तेज़ीसे घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज़्यादा गतिशील होता है। इस आर. ई. एम. की अवधि 10 से 20 मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर. ई. एम. नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग 1.30 घंटे अर्थात 90 मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर. ई. एम. का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः 10 बजे रात सोता है तो) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है।

कैसे बनते हैं सपने

दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति ज़रूरी होता है और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं (गुस्सा आदि) वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। (इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती) उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं। यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिन में हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता।

सपनों का सच

हर इंसान स्वप्न देखता है। कुछ हमें याद रहते हैं और कुछ भूल जाते हैं। यदि आप अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं, किसी कार्य को कुशलता से कर सकते हैं तो आप स्वप्न देखते हैं। सपने हमारे मानसिक संतुलन को बनाये रखने में सहायता करते हैं। यदि हम स्वप्न न देखें तो हमारा मस्तिष्क इतने विचारों से भर जाएगा कि हम सोचने समझने की शक्ति खो देंगे। स्वप्नों को समझने के लिए हमें अपने चित्त को समझना होगा। मशहूर मनोचिकित्सक कार्ल गुस्ताव जंग ने चित्त को तीन भागों में बांटा है- सचेत, वैयक्तिक अचेत मन और सामूहिक अचेत मन। सोचने, समझने, महसूस करने का कार्य सचेत मन से करते हैं। किन्तु हमारे कई अव्यक्त विचार व भावनाएं, जीवन के अनुभव, भय आदि अचेत मन में रहते हैं जो जाने अनजाने हमारे व्यक्तित्व को निर्धारित करते हैं। मनोचिकित्सक फ्रायड का ऐसा मानना है कि हमारे स्वप्न अचेत मन के विचारों को व्यक्त करते हैं। लेकिन स्वप्न इसके अतिरिक्त और भी कई उद्देशयों के लिए उपयोग किये जा सकते हैं। हमें हमारे जीवन के कई प्रशनों का उत्तर इनमें मिल सकता है। स्वप्न संकेतों की भाषा बोलते हैं जिसे समझने के लिए हमें उन संकेतों को समझना पड़ता है। इन्हें समझने का सबसे अच्छा तरीका है स्वप्न को लिखना। आप जिस प्रश्न का उत्तर चाहते हैं या जीवन की किसी स्थिति को समझना चाहते हैं तो रात को सोने से पहले अपने प्रश्न को मन में या बोलकर स्पष्ट कीजिये। आपने जो स्वप्न देखा उसे उठते ही सबसे पहले संक्षेप में लिखिए। फिर बारीकियां जो आपको याद हों वह लिखिए। यदि आपको स्वप्न याद न रहते हों, तो सोने से पहले यह भी बोलिए कि आपको स्वप्न याद रहें। हमारा मस्तिष्क बहुत ही विचित्र यंत्र है। हम जैसा सोचते हैं वह वैसे ही काम करने लगता है। यही आधार है रेकी जैसी कई चिकित्सा पद्धतियों का। स्वप्न लिखने से हमें उसकी बहुत सी बारीकियों का पता चलेगा जो शायद केवल मनन करने से न पता चले। ज़रूरी नहीं कि हमें एक ही बार में पूर्ण उत्तर मिल जाये। ऐसा भी होता है कि कई स्वप्न एक ही जवाब के अलग-अलग हिस्से हों। स्वप्नों की सांकेतिक भाषा को समझने के लिए हमें निष्पक्षता से उन संकेतों और अपने विचारों को समझना होगा। आजकल स्वप्न विशलेषण विशषज्ञ हमारी सहायता भी कर सकते हैं। क्योंकि वे एक निष्पक्ष विशलेषण कर सकते हैं व कई संकेतों को समझने की क्षमता रखते हैं। आजकल इन्टरनेट पर स्वप्न समझने के कई स्रोत हैं। किन्तु सामान्यतः यह संकेत बहुत ही व्यक्तिगत होते हैं और हर स्थिति में अलग अर्थ भी हो सकता है। जैसे नौजवान के लिए गाड़ी आज़ादी का सूचक हो सकती है, लेकिन यदि किसी की गाड़ी से कोई दुर्घटना हो चुकी हो, उसके लिए गाड़ी एक भयानक याद भी हो सकती है। इसलिए हमारे स्वप्नों को समझने के लिए हमसे बेहतर कोई नहीं। कुछ स्वप्न बहुत सरल होते हैं जो आसानी से समझ आ जाते हैं। किन्तु कुछ जटिल भी होते हैं। हमने जो स्वप्न लिखे हैं, उन्हें कुछ दिन बाद पढ़ने पर हमें एक पैटर्न नजर आएगा। उस पैटर्न का विशलेषण एक बहुत ही सटीक व पूर्ण उत्तर दे सकता है। उदाहरण के लिये, एक व्यक्ति कुछ समय से बीमार था और उसका इलाज चल रहा था। एक दिन उसने स्वप्न देखा कि एक चिड़िया उसके घर में फंस गई है और बाहर निकलने के लिए पंख फड़फड़ा रही है। लेकिन जैसे ही वह चिड़िया घर से बाहर निकली, नीचे गिर गयी। उस व्यक्ति ने देखा कि वह चिड़िया इतनी कमज़ोर थी कि वह उड़ नहीं पा रही थी। इस स्वप्न का मतलब था कि वह व्यक्ति अपनी बीमारी से बहुत परेशान हो गया था व बाहर जाना चाहता था। लेकिन वह बहुत कमज़ोर भी हो गया था। उसे पूर्णतया से ठीक होने के लिए अभी और कुछ दिन चिकित्सा की आवश्यकता थी। इस प्रकार स्वप्न हमारे मन के प्रशनों के उत्तर देकर हमें कई बार कई कार्यों के प्रति सचेत भी कर सकते हैं। इसलिए अपने स्वप्नों को समझना आना चाहिए और यह एक बहुत ही रोचक कार्य भी है। कौन नहीं चाहता कि उसके पास एक खुद का मार्गदशन करने का स्रोत हो। सपने देखना और समझना अपने आप को समझने जैसा है। हम जितना अपने आप को समझेंगे, हमारा जीवन उतना ही सरल और सकारात्मक होगा।

स्वप्नों के प्रकार

भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार भूत, वर्तमान और भविष्य का सूक्ष्म आकार हर समय वायुमंडल में विद्यमान रहता है। जब व्यक्ति निद्रावस्था में होता है तो सूक्ष्माकार होकर अपने भूत और भविष्य से संपर्क स्थापित करता है। यही संपर्क स्वप्न का कारण और स्वप्न का माध्यम बनता है। जो व्यक्ति सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। सभी प्राणियों में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो स्वप्न देख सकता है। अर्थात् जो मनुष्य स्वप्न नहीं देखता, वह जीवित नहीं रह सकता। इसका अभिप्राय यह है कि जो जीवित और सक्रिय है, वह स्वप्न अवश्य देखता है। केवल जन्म से अंधे व्यक्ति स्वप्न नहीं देख सकते लेकिन वे भी स्वप्न में ध्वनियां तो सुनते ही हैं। अर्थात स्वप्न तो उनको भी आते हैं। स्वप्न सोते हुए ही नहीं, जागते हुए भी देखे जा सकते हैं। इस प्रकार स्वप्न को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. जागृत अवस्था के स्वप्न
  2. निद्रावस्था के स्वप्न

जागृत अवस्था के स्वप्न कवियों, दार्शनिकों, प्रेमी-प्रेमिकाओं, अविवाहित किशोर, युवक-युवतियों को अधिक आते हैं। ये स्वप्न कलात्मक होते हैं। जिस व्यक्ति विशेष की साधना इतनी प्रबल होती है कि वह जागृतावस्था में या ध्यानावस्था में इन भूत-भविष्य के सूक्ष्म आकारों से संपर्क कर लेता है, वही योगी और भविष्यद्रष्टाकहलाता है। अवचेतन मन की पहुंच हमारे शरीर तक ही सीमित नहीं, वरन् वह विश्व के किसी भी भाग में जब चाहे पहुंच सकता है। उसके द्वारा तीनों लोकों के कोने-कोने का समाचार प्राप्त हो सकता है। अतः भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों का ज्ञान अवचेतन मन से ही संभव है। नीचे कुछ मुख्य-मुख्य स्वप्नों के भावों फलों का संक्षिप्त वर्णन किया जा रहा है। स्वप्न फलों के संबंध में निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। स्वप्न ज्योतिष के अनुसार रात के प्रथम प्रहर में जो स्वप्न दिखते हैं उसका एक वर्ष में शुभ या अशुभ फल मिलता है। दूसरे प्रहर में जो स्वप्न दिखते हैं उनका नौ माह में, तीसरे प्रहर में देखे गए सपने का तीन माह में, चौथे प्रहर में देखे सपने का एक माह में और प्रात:काल (सुबह भोर काल) के स्वप्न शीघ्र ही फल देते हैं। दिन निकलने के बाद देखे जाने वाले स्वप्नों का फल आधे माह के भीतर ही मिल जाते है। अथवा रात्रि में तीन बजे से सूर्योदय के पूर्व के स्वप्न सात दिन में, मध्य रात्रि के स्वप्न 1 माह में, मध्य रात्रि से पहले के स्वप्न 1 वर्ष में अपना फल प्रदान करते हैं। दिन के स्वप्न महत्वहीन होते हैं। एक रात में एक से अधिक स्वप्न आएं तो अंतिम स्वप्न ही फलदायक होगा।

  • दृष्ट- जो जाग्रत अवस्था में देखा गया हो उसे स्वप्न में देखना।
  • श्रुत- सोने से पूर्व सुनी गई बातों को स्वप्न में देखना।
  • अनुभूत- जो जागते हुए अनुभव किया हो उसे देखना।
  • प्रार्थित- जाग्रत अवस्था में की गई प्रार्थना की इच्छा को स्वप्न में देखना।
  • दोषजन्य- वात, पित्त आदि दूषित होने से स्वप्न देखना।
  • भाविक- जो भविष्य में घटित होना है, उसे देखना। उपर्युक्त सपनों में केवल भाविक ही विचारणीय होते हैं।

स्वप्नों का अर्थ (स्वप्न फल)

प्रकृति अपने ढंग से भावी शुभाशुभ संकेत देती है। स्वप्न भी इसका माध्यम होते हैं। स्वप्नों के फलों की विवेचना के संदर्भ में भारतीय ग्रंथों में इनके देखे जाने के समय, तिथि व अवस्था के आधार पर इनके परिणामों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है। इनके अनुसार -

  • शुक्ल पक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी तथा चतुर्दशी तिथि को देखा गया स्वप्न शीघ्र फल देने वाला होता है।
  • पूर्णिमा को देखे गए स्वप्न का फल अवश्य प्राप्त होता है।
  • शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया व कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवमी को देखा गया स्वप्न विपरीत फल प्रदान करता है।
  • शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष की द्वितीया के स्वप्न का देरी से फल प्राप्त होता है।
  • शुक्ल पक्ष की चतुर्थीपंचमी को देखे गए स्वप्न का फल दो माह से दो वर्ष के अंदर प्राप्त होता है।
  • रात्रि के प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ प्रहर के स्वप्नों का फल क्रमशः एक वर्ष, आठ माह, तीन माह व छह दिन में मिलता है।
  • उषाकाल में देखे गए स्वप्न का फल दस दिन में मिलता है।
  • सूर्योदय से पूर्व देखे जाने वाले स्वप्न का फल अतिशीघ्र प्राप्त होता है।

स्वप्नों के शुभ व अशुभ फलों की अवधारणाएं

मानव मन का स्वप्नों के साथ गहरा संबंध है निद्रा की अवस्था में भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अवचेतन मन की इच्छाएँ, दिन प्रतिदिन के तनाव एवं चिन्ताएं स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है। ननिहाल में भरत ने एक स्वप्न देखा था जिसका परिणाम सामने आया। त्रिजटा ने भी लंका के विध्वंस होने का स्वप्न देखा था। सपनों का जीवन में विशेष महत्व है। सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना देते हैं। इनका अपना गोपनीय महत्व होता है। स्वप्न ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार स्वप्न दो प्रकार के होते हैं एक इष्ट फल देने वाला तथा दूसरा दुष्ट फल देने वाला। इष्ट तथा दुष्ट फल देने वाले स्वप्न की जानकारी नीचे दी गई है -

शुभ स्वप्न फल विचार

  • स्वप्न में जिस पुरुष को अपने सिर पर घर जलता दिखाई दे, उसे राज्य पद मिलता है।
  • जो पुरुष स्वप्न में कानों में कुंडल, माथे पर मुकुट और गले में मोतियों का हार धारण करता है वह निश्चित ही राज्यपद को प्राप्त करता है।
  • जो पुरुष स्वप्न में अपने शत्रुओं को पराजित होते हुए देखता है, वह पुरुष पदोन्नति प्राप्त करता है।
  • जो पुरुष स्वप्न में गाय, बैल, पक्षी, हाथी पर चढ़कर अपने आपको समुद्र को पार करता हुआ देखता है वह राजा है।
  • जो पुरुष स्वप्न में कमल के पत्ते पर बैठकर खीर खाता है वह राज्यपद को प्राप्त करता है।
  • यदि कोई स्त्री स्वप्न में अपनी योनि के क्षेत्र को विकसित देखती है तो उसे किसी पुरुष के धन की प्राप्ति होती है।
  • जिस पुरुष के स्वप्न में सारे बाल झड़ जाते हैं या वह अपने आपको केश विहीन देखता है तो उसे अतुल्य धन की प्राप्ति होती है।
  • जो पुरुष स्वप्न में कुम्हार को घड़ा बनाते देखता है उसके शोक का नाश होता है और उसे बहुत धन की प्राप्ति होती है।
  • जो पुरुष स्वप्न में अपने आपको ऊंची दीवार पर बैठा देखे तो उसको सुख-संपत्ति प्राप्त होती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने को अपनी आयु से बड़ा देखे तो उसको मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
  • जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में घोड़ा, हाथी, सफेद बैल, जूते, रथ में स्वयं को सवार देखता है - उसे ग्राम, नगर, राज्य अथवा देश से अवश्य ही सम्मान की प्राप्ति होती है।
  • किसी बड़े जलाशय, सरोवर, नदी अथवा सागर में स्वयं को तैरता देखने वाला मनुष्य सभी प्रकार के संकटों से मुक्त हो जाता है।
  • स्वप्न में उल्लू देखने से भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।
  • जो व्यक्ति स्वप्नावस्था में तिल, चावल, गेहूं, सरसों, जौ, अन्न का ढेर, पुष्प, छाता, ध्वज, दही, पान, कमल, कलश, शंख और सोने के गहने देखता है उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है।
  • स्वप्न में देवी लक्ष्मी की मूर्ति देखने से धन की प्राप्ति होती है।
  • गौरैया, नीलकंठ, कबूतर, सारस, तोता व तीतर दिखाई देने से गृहस्थ जीवन खुशहाल होता है।
  • स्वप्न में स्वयं को किसी महल के ऊँचे बुर्ज पर खड़े देखना भावी जीवन में उन्नति का संकेत है।
  • यदि कोई रोगी स्वप्न में दवाई की बोतल टूटी हुई देखता है तो वह शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाता है।
  • स्वप्न में फल देखना बहुत शुभ होता है।
  • यदि आप स्वयं को किसी ऊंचाई पर चढ़ता देखें तो यह भविष्य में उन्नति का संकेत है।
  • यदि आप स्वप्न में नए वस्त्र पहने दिखते हैं तो आपको कोई मांगलिक कार्य का संदेश मिलने वाला है।
  • यदि आप किसी वृद्ध व्यक्ति अथवा साधु को देखते हैं तो आपको बड़ा लाभ अथवा सम्मान मिलने वाला है।
  • नदी या समुद्र में तैरना, आकाश में उड़ना, सूर्योदय, प्रज्वलित आग, सूर्य आदि देखना, महल, मंदिर, शिखर चढ़ने का सपना देखें तो हर कार्य सफल व सिद्ध होता है।
  • स्वप्न में शराब पीना, मांस खाना, कीड़े खाना, शरीर पर विष्ठा (मल) लगाना, शरीर पर रक्त लगाना व दही-भात खाना शुभ व लाभदायक होता है।
  • स्वप्न में श्वेत चंदन लगाना, अलंकार पहनना अथवा पहने हुए देखना, यह सब देखने वाले जातक को शुभ समाचार मिलता है।
  • स्वयं को स्वप्न में पर्वत पर चढ़ते हुए देंखे तो उच्चपद की प्राप्ति होती है।
  • जो व्यक्ति स्वप्न में गेंहू का ढेर देखता है तो उसे अचानक धन लाभ होता है।
  • स्वप्न में यदि दांत गिरते हुए दिखें तो आयु बढ़ती है।

अशुभ स्वप्न फल विचार

  • यदि कोई स्त्री अपने आपको स्वप्न में गंजा देखे तो उसे ग़रीबी का सामना करना पड़ेगा।
  • यदि पुरुष स्वप्न में देखे कि उसके साथ दुर्घटना घट गयी है तो उसे शीघ्र ही बीमारी जकड़ लेती है।
  • यदि कोई स्वप्न में यात्रा के लिए वाहन द्वारा जाने की तैयारी में है तो उसे यात्रा छोड़ देनी चाहिए, क्योंकि यात्रा में उसकी मृत्यु हो सकती है।
  • यदि कोई स्वप्न में अपने आपको शीशा तोड़ते हुए देखता है तो उसके परिवार में शीघ्र ही किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में चीटियों को मारे तो व्यापार का नाश होता है।
  • जो पुरुष अपनी नाव को तूफ़ान में फंसते देखता है तो आने वाला समय दुर्भाग्य की सूचना देता है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में कड़वी दवा लेता है तो वह अनेक प्रकार की कठिनाईयों में पड़ जाता है।
  • स्वप्न में रोता बच्चा देखना बीमारी और निराशा की सूचना देता है।
  • यदि स्वप्न में किसी बच्चे का जन्म होता दिखाई दे तो सावधान होना चाहिए क्योंकि यह आगामी दुर्घटना का संकेत है।
  • यदि स्वप्न में किसी रोते बच्चे को देखें तो कोई संकट आने वाला है।
  • स्वप्न में जिस व्यक्ति को दक्षिण दिशा में खड़े पितर बुलाते हैं उसको अपना अंतिम समय आया हुआ जान लेना चाहिए।
  • स्वप्न में कोई खंडहर, सुनसान जगह देखना, भटक जाना और निकलने का कोई मार्ग न मिलना हानि कारक होता है।
  • स्वप्न में यदि कोई किसी के पांवों को कटा हुआ देखेगा तो उसके जीवन में अनेक प्रकार की आर्थिक और व्यवसायिक बाधाएं आने वाली हैं।
  • स्वप्न में यदि कोई पानी में डूबता जा रहा है तो यह आने वाले संकटों का सूचक है।
  • यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को डोरी से बंधा हुआ देखता है तो उसे शीघ्र ही किसी अपराध में बंदी बनाया जा सकता है।
  • स्वप्न में यदि ऐसा प्रतीत हो कि कोई व्यक्ति स्वप्न देखने वाले की पत्नी का अपहरण करके ले जा रहा है तो शीघ्र ही उसके धन की हानि होती है।
  • स्वप्न में किसी बारात में शामिल होना अशुभ है।
  • स्वप्न में किसी की हत्या होते देखने का अर्थ है कि कोई आपक ख़िलाफ़ बगावत कर रहा है।
  • स्वप्न में यदि कोई सोना, चांदी आदि धातुओं की चोरी करता है तो यह अशुभ है। इस का प्रभाव व्यवसाय पर पड़ सकता है।
  • सूर्य या चंद्र को स्वप्न में निस्तेज देखना, ध्रुव या अन्य तारों को गिरते हुए देखने पर मनुष्य मरण अथवा शोक को प्राप्त होता है।
  • स्वप्न में यदि स्वयं को नाव में बैठकर नदी पार करते देखते हैं तो दूर की यात्रा का योग बनता है।
  • यदि स्वप्न में गंदे नाले में स्वयं को गिरते हुए देंखे तो बीमारी होती है और एक महीने के भीतर ही किसी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ता है।
  • यदि स्वप्न में सर्प दिखे तो अनिष्ट होने की संभावना रहती है तथा वंश वृद्धि में भी परेशानी आती है।
  • स्वप्न में घर का दरवाज़ा गिरते हुए देखें तो कुल का नाश हो जाता है।
  • सपने में खुद को थूकते हुए देंखे तो अनिष्ट फल मिलता है।
  • अत्यंत वृद्ध और काले शरीर वाली स्त्री का नाच देखना, अथवा नंगधडंग फ़कीर को नाचते, हंसते, अपनी ओर क्रूर दृष्टिपात करते देखना, काले वस्त्र पहने, हाथ में लौह का डंडा लिये किसी को देखना मृत्यु के सूचक होते हैं।

प्रणय संबंधी स्वप्न फल विचार

  • यदि कोई युवती स्वप्न में किसी रत्न जड़ी अंगूठी अथवा नैकलेस को देखती है तो उसका दांपत्य जीवन सुखी व्यतीत होता है।
  • यदि युवती स्वप्न में किसी मित्र के दिये हुए कंगन पहनती है तो उसका शीघ्र ही विवाह हो जाता है।
  • यदि पुरुष स्वप्न में कोई सुंदर वस्त्र देखता है तो उसे मधुर स्वभाव वाली विदुषी पत्नी की प्राप्ति होती है।
  • यदि पुरुष स्वप्न में औरत को घूंघट निकालते देखता है तो उसका दांपत्य जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
  • जब कोई पुरुष स्वप्न में अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।
  • यदि कोई युवती स्वप्न में अपने आपको मेले अथवा नुमाइश में घूमती देखे तो उसे योग्य पति की प्राप्ति होती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में इंद्रधनुष देखता है तो उसका वास्तविक जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
  • यदि अविवाहित युवती अपने प्रेमी को किसी अन्य युवती से विवाह करता देखे तो विवाह शीघ्र हो जाता है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी सुंदर व स्वस्थ्य नवजात शिशु को देखता है तो उसको संतान प्राप्त होती है।
  • यदि किसी स्त्री को कोई पुरुष स्वप्न में अंगूठी भेंट में दे तो उसका पति उसे अत्यंत प्रेम करेगा।

मिश्रित स्वप्न फल विचार

  • जो पुरुष स्वप्न में जीवित गिद्ध को देखता है उसके सौभाग्य में वृद्धि होती है। यदि गिद्ध आकाश में ऊंचाई पर उड़ता दिखाई दे तो अत्यधिक सौभाग्यशाली होता है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में साफ-सुथरी श्मशान भूमि को देखे तो उसके व्यापार में वृद्धि होती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने आपको पुस्तक पढ़ते देखता है तो उसका समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  • स्वप्न में मशीन द्वारा घास काटना सौभाग्य वृद्धि का प्रतीक है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में किसी युवती को कर्णफूल पहने देखे तो उसे कोई शुभ समाचार मिलता है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में खटमलों को अथवा मच्छरों को मारता है तो उसके कार्य सफल हो जाते हैं।
  • जो पुरुष स्वप्न में अनाज का ढेर देखता है उसे अपने परिश्रम से सफलता प्राप्त होती है।
  • जो पुरुष स्वप्न में कॉफी अथवा चाय पीता है, उसे जीवन में हर्षोल्लास और समृद्धि मिलती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में अपने पैरों-हाथों में दर्द का अनुभव करे तो उसे धन की प्राप्ति होती है।
  • यदि कोई पुरुष स्वप्न में कारीगर बनकर मकान बनाता है तो उसको जीवन में अपार सफलता मिलती है।

अनिष्ट फल नाशक उपाय

यदि मन यह स्वीकार करे कि देखे गए स्वप्न का परिणाम अनिष्टकारी हो सकता है तो उसके निवारण का उपाय अवश्य किया जाना चाहिए। चित्रकूट वास के समय श्रीराम ने भी एक स्वप्न देखा था जिसके अनिष्ट फल के निवारण हेतु उन्होंने भगवान शिव की पूजा की थी। उचित उपाय करने से बुरे स्वप्न से होने वाला दुष्प्रभाव अत्यन्त क्षीण अथवा समाप्त हो जाता है। यदि स्वप्न अधिक भयानक और रात्रि 12 से 2 बजे देखा जए तो तुरंत श्री शिव का नाम स्मरण करें। 'ऊँ नमः शिवाय' का जप करते हुए सो जाएं। तत्पश्चात् ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि करके शिवमंदिर में जाकर जल चढ़ाएं पूजा करें व पुजारी को कुछ दान करें। इससे संकट नष्ट हो जाता है।

  • यदि स्वप्न 4 बजे के बाद देखा गया है और स्वप्न बुरा है, तो प्रातः उठकर बिना किसी से कुछ बोले तुलसी के पौधे से पूरा स्वप्न कह डालें। कोई दुष्परिणाम नहीं होगा। स्नान के बाद 'ऊँ नमः शिवाय' का 108 बार जप करें।
  • हनुमान जी सब प्रकार का अनिष्ट दूर करने वाले हैं। बुरे स्वप्न का अनिष्ट दूर करने के लिए सुंदरकांड, बजरंग बाण, संकटमोचन स्तोत्र अथवा हनुमान चालीसा का पाठ भी सांयकाल के समय किया जा सकता है।
  • यदि स्वप्न बहुत बुरा है और आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है, तो सुबह उठकर सफेद काग़ज़ पर स्वप्न को लिखें फिर उसे जला दें। राख नाली में पानी डाल कर बहा दें। फिर स्नान करके एक माला शिव के मंत्र 'ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। दुष्प्रभाव नष्ट हो जाएगा।

दुःस्वप्न : कारण-प्रभाव-निवारण

क्या आप जानते हैं कि लगभग 5 प्रतिशत लोगों को ऐसे सपने रोज दिखाई देते हैं? अन्य सपनों की भांति इन बुरे सपनों के कारण अचानक अत्यधिक पसीने का निकलना, गालों का लाल हो जाना, नाड़ी का तेज़ीसे चलने लगना आदि शारीरिक लक्षण दिखाई देते हैं। यह कहना कठिन है कि बुरे सपने या फिर सपने क्यों आते हैं। कारण कई हो सकते हैं। दूसरों के विचारों और मतों के प्रति संवेदनशल लोगों को ऐसे सपने ज़्यादा दिखाई देते हैं। यदि कोई उनकी बुराई या आलोचना करे, तो वे विचलित हो उठते हैं और उनका यह विचलित होना बुरे सपने का एक कारण हो सकता है। गहरी नकारात्मक सोच या फिर दिन में मन में उठने वाले तरह-तरह के नकारात्मक विचार बुरे सपनों का कारण हो सकते हैं। ये बुरे सपने लंबे होते हैं और अक्सर रात के पिछले पहर में दिखाई देते हैं। कोई बुरा सपना देखने पर व्यक्ति को अपनी जान का ख़तरा सताता है। बुरे सपने ज़्यादातर बच्चों को आते हैं, बढ़ती उम्र के साथ इनका आना कम होता जाता है। बुरे सपनों का ताल्लुक व्यक्ति की संवेगात्मक अवस्था से होता है। किसी व्यक्ति को उसके गंभीर मानसिक अवसाद तथा तनाव के दिनों में या फिर हाल में हुई किसी प्रियजन की मौत पर अक्सर ऐसे सपने दिखाई देते हैं। अगर सपने में आपको परीक्षा में असफलता दिखाई दे या आप स्वयं को किसी ऐसी विकट स्थिति में जकड़ा हुआ पाएं जिससे आप चाहकर भी निकल न पा रहे हों, तो इसका अर्थ है कि आप यथार्थ जीवन में संभवतः अवसाद के शिकार हों। अगर आप बीते दिनों हताशा से गुजरे हों, तो संभव है कि आपकी यह मानसिक अवस्था आपको सपने में दिखाई दे। भारतीय ज्योतिष में सपनों की विशद व्याख्या की गई है। इस व्याख्या के अनुसार सपनों में विभिन्न वस्तुओं, पशु-पक्षियों आदि के किन अवस्थाओं में दिखाई देने का क्या अशुभ फल हो सकता है इसका संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।

  • प्रार्थना : यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में यह देखे कि वह अकेला ही अपने इष्ट देव की प्रार्थना कर रहा है, तो यह समझना चाहिए कि उसकी सहायता के सभी दरवाज़े बंद हो गए हैं। यदि कोई प्रार्थना से अलग रहने का स्वप्न देखे, तो उसके परिवार के किसी सदस्य को कष्ट प्राप्त होना संभव है।
  • चीता : स्वप्न में चीते का दिखाई देना व्यक्ति की सफलता के मार्ग में कठिनाइयों का सूचक होता है। स्वप्न में चीता व्यक्ति पर आक्रमण करता दिखाई दे, तो व्यक्ति की कठिनाइयां शीघ्र ही बढ़ जाती हैं। यदि स्वप्न में चीता किसी दूसरे व्यक्ति पर आक्रमण करता हुआ दिखाई दे, तो किसी गभीर दुर्घटना के कारण, बड़े संकट में पड़ता है।
  • ढोलक : यदि व्यक्ति किसी उत्सव में स्वयं को ढोल बजाता हुआ देखे, तो उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • मशीन : यदि किसी व्यापारी को स्वप्न में पंचिंग मशीन को छोड़ कर अन्य मशीनें दिखाई दें, तो व्यवसाय में असफलता मिलती है।
  • तितली : यदि कोई लड़की स्वप्न में किसी तितली को पकड़े किंतु वह तितली पकड़ से बाहर निकल जाए, तो उस लड़की का विवाह इच्छित लड़के से नहीं होता।
  • दस्तावेज : यदि स्वप्न में कोई दस्तावेज, अथवा बांड पर हस्ताक्षर करे, तो उसे धन की हानि होती है।
  • आँखें : यदि स्वप्न में व्यक्ति को अपनी आँखें लाल दिखाई दें, तो उसे कोई रोग होता है।
  • बिल्ली : यदि स्वप्न में बिल्ली दिखाई दे, तो व्यक्ति के आचरण के विषय में ख़राब
  • छिपकली : यदि व्यक्ति को स्वप्न में अपने शरीर पर छिपकली गिरती दिखाई दे, तो उसे कोई रोग हो सकता है। यदि कोई स्त्री अपने कपड़ों पर छिपकली गिरती हुई देखे, तो किसी कारणवश कुछ दिनों के लिए उसका पति से वियोग खबरें फैलती हैं, लोग उससे घृणा करते हैं। साथ ही उसके घर चोरी आदि होने के कारण उसे आर्थिक हानि भी होती है।
  • भोजन : यदि व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को भोजन करता हुआ देखे, तो उसे कोई रोग होता है। हो सकता है। यदि स्वप्न में 2 छिपकलियां लड़ती हुई दिखाई दें, तो परिवार पर भारी विपत्ति आ सकती है।
  • चूहा : स्वप्न में चूहा दिखाई दे, तो व्यक्ति के अनेकानेक शत्रु हो सकते हैं। स्वप्न में चूहे का फंसना दिखाई देना व्यक्ति के शत्रुओं के षड्यंत्र के शिकार होने का सूचक है। यदि स्वप्न में बहुत से चूहे दिखाई दें, तो व्यक्ति को प्रत्येक क्षेत्र में असफलता मिलती है।

शुभाशुभ स्वप्नों के पुराणोक्त फल

जागृतावस्था में देखें, सुने एवं अनुभूत प्रसंगों की पुनरावृत्ति, सुषुप्तावस्था में मनुष्य को किसी न किसी रूप में एवं कभी-कभी बिना किसी तारतम्य के शुभ और अशुभ स्वप्न के रूप में दिग्दर्शित होती है, जिससे स्वप्न द्रष्टास्वप्न में ही आह्लादित, भयभीत और विस्मित होता है। वैज्ञानिक या चिकित्सकीय दृष्टि से मानसिक उद्विग्नता, पाचन विकार, थकान, चिंता एवं आह्लाद के आधिक्य पर भी स्वप्न आधारित होते हैं। बहरहाल, शुभ स्वप्नों से शुभ कार्यों के अधिकाधिक प्रयास से कार्यसिद्धि में संलग्न होने का संकेत मिलता है और अशुभ स्वप्नों में आगामी संभावित दुखद स्थिति के प्रति सचेत रहने की नसीहत लेना विद्वानों द्वारा श्रेयष्कर बताया गया है। तदनुसार -

लक्षण स्वप्न शुभाशुभ, कह्यो, मत्स्य भगवान। शुभ प्रयासरत, अशुभ से होंहि सचेत सुजान॥

श्री मत्स्य पुराण के 242 वें अध्याय में बताया गया है कि सतयुग में जब भगवान अनंत जगदीश्वर ने मत्स्यावतार लिया था, तो मनु महाराज ने उनसे मनुष्य द्वारा देखे गये शुभाशुभ स्वप्न फल का वृत्तांत बताने का आग्रह किया था। मनु महराज ने, अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु, मत्स्य भगवान से पूछा कि हे भगवान! यात्रा, या अनुष्ठान के पूर्व, या वैसे भी सामान्यतया जो अनेक प्रकार के स्वप्न मनुष्य को समय-समय पर दिखायी देते हैं, उनके शुभाशुभ फल क्या होते हैं, बताने की कृपा करें, यथा-

स्वप्नाखयानं कथं देव गमने प्रत्युपस्थिते। दृश्यंते विविधाकाराः कशं तेषां फलं भवेत्॥

मत्स्य भगवान ने स्वप्नों के फलीभूत होने की अवधि के विषय में बताते हुये कहा :

कल्कस्नानं तिलैर्होमो ब्राह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथा तस्यैव पूजनम्॥16॥
नागेंद्रमोक्षश्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्। स्वप्नास्तु प्रथमे यामे संवस्तरविपाकिनः॥17॥
षड्भिर्भासैर्द्वितीये तु त्रिभिर्मासैस्तृतीयके। चतुर्थे मासमात्रेण पश्यतो नात्र संशयः॥18॥
अरुणोदयवेलायां दशाहेन फलं भवेत्। एकस्यां यदि वा रात्रौशुभंवा यदि वाशुभम्॥19॥
पश्चाद् दृषृस्तु यस्तत्र तस्य पाकं विनिर्दिशेत्। तस्माच्छोभनके स्वप्ने पश्चात् स्वप्नोनशस्यते॥20॥

अर्थात, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल एक संवत्सर में अवश्य मिलता है। दूसरे प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल 6 माह में प्राप्त होता है। तीसरे पहर में देखे गये स्वप्न का फल 3 माह में प्राप्त होता है। चौथे पहर में जो स्वप्न दिखायी देता है, उसका फल 1 माह में निश्चित ही प्राप्त होता है। अरुणोदय, अर्थात सूर्योदय की बेला में देखे गये स्वप्न का फल 10 दिन में प्राप्त होता है। यदि एक ही रात में शुभ स्वप्न और दुःस्वप्न दोनों ही देखे जाएं, तो उनमें बाद वाला स्वप्न ही फलदायी माना जाना चाहिए, अर्थात् बाद वाले स्वप्न फल के आधार पर मार्गदर्शन करना चाहिए। क्योंकि बाद वाला स्वप्न फलीभूत होता है, अतः यदि रात्रि में शुभ स्वप्न दिखायी दे, तो उसके बाद सोना नहीं चाहिए।

शैलप्रासादनागाश्ववृषभारोहणं हितम्। द्रुमाणां श्वेतपुष्पाणां गमने च तथा द्विज॥21॥
द्रुमतृणारवो नाभौ तथैव बहुबाहुता। तथैव बहुशीर्षत्वं फलितोद्भव एवं च॥22॥
सुशुक्लमाल्यधारित्वं सुशुक्लांबरधारिता। चंद्रार्कताराग्रहणं परिमार्जनमेव च॥23॥
सक्रध्वजालिंग्नं च तदुच्छ्रायक्रिया तथा। भूंयंबुधीनां ग्रसनं शत्रुणां च वधक्रिया॥24॥

अर्थात, शुभ स्वप्नों के फल बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने मनु महाराज को बताया कि पर्वत, राजप्रासाद, हाथी, घोड़ा, बैल आदि पर आरोहण हितकारी होता है तथा जिन वृक्षों के पुष्प श्वेत, या शुभ हों, उनपर चढ़ना शुभकारी है। नाभि में वृक्ष एवं घास-फूस उगना तथा अपने शरीर में बहुत सी भुजाएं देखना, या अनेक शिर, या मस्तक देखना, फलों को दान करते देखना, उद्भिजों के दर्शन, सुंदर, शुभ अर्थात् श्वेत माला धारण करना, श्वेत वस्त्र पहनना, चंद्रमा, सूर्य और तारों को हाथ से पकड़ना, या उनके परिमार्जन का स्वप्न दिखायी देना, इंद्रधनुष को हृदय से लगाना, या उसे ऊपर उठाने का स्वप्न दिखायी देना और पृथ्वी, या समुद्र को निगल लेना एवं शत्रुओं का वध करना, ऐसे स्वप्न देखना सर्वथा शुभ होता है। इसके अतिरिक्त भी जो स्वप्न शुभ होते हैं, वे निम्न हैं :

जयो विवादे द्यूते व संग्रामे च तथा द्विज। भक्षणं चार्द्रमांसानां मत्स्यानां पायसस्य च॥25॥
दर्शनं रुधिरस्यापि स्नानं वा रुधिरेण च। सुरारुधिरमद्यानां पानं क्षीरस्य चाथ वा॥26॥
अन्त्रैर्वा वेषृनं भूमौ निर्मलं गगनं तथा। मुखेन दोहनं शस्तं महिषीणां तथा गवाम्॥27॥
सिंहीनां हस्तिनीनां च वडवानां तथैव च। प्रसादो देवविप्रेभ्यो गुरुभ्यश्च तथा शुभः॥28॥

मत्स्य भगवान ने, मनु महाराज से उक्त तारतम्य में स्वप्नों के शुभ फलों की चर्चा करते हुए, बताया कि स्वप्न में संग्राम, वाद-विवाद में विजय, जुए के खेल में जीतना, कच्चा मांस खाना, मछली खाना, ख़ून दिखाई देना, या रुधिर से नहाते हुए दिखाई देना, सुरापान, रक्तपान, अथवा दुग्धपान, अपनी आंतों से पृथ्वी को बांधते हुए देखना, निर्मल नभ देखना, भैंस, गाय, सिंहनी, हथिनी, या घोड़ी के थन में मुंह लगा कर दूध पीना, देवता, गुरु और ब्राह्मण को प्रसन्न देखना सभी शुभ फलदायी एवं शुभ सूचक होते हैं। मत्स्य भगवान ने और भी शुभ स्वप्नों की चर्चा करते हुए मनु महाराज को बताया :

अंभसा त्वभिषेकस्तु गवां श्रृग्सुतेन वा। चंद्राद् भ्रष्टेना वाराजशशेयोसज्यप्रदो हि सः॥29॥
राज्याभिषेकश्च तथा छेदनं शिरसस्तथा। मरणं चह्निदाहश्च वह्निदाहो गृहादिषु॥30।
लब्धिश्च राज्यलिग्न तंत्रीवाद्याभिवादनम्। तथोदकानां तरणं तथा विषमलड़घनम्॥31॥
हस्तिनीवडवानां च गवां च प्रसवों गृहे। आरोहणमथाश्वानां रोदनं च तथा शुभम्॥32॥
वरस्रीणां तथा लाभस्तथालिग्नमेव च। निगडैर्बंधनं धन्यं तथा विष्ठानुलेपनम्॥32॥
जीवतां भूमिपालानां सुह्दामपि दर्शनम्। दर्शनं देवतानां च विमलानां तथांभसाम्॥34॥
शुभांयथैतानि नरस्तु हष्ट्वा प्राप्नोत्ययत्वाद् ध्रुवमर्थलाभम्। स्वप्नानि वै धर्मभृतां वरिष्ठ व्याधेर्विमोक्षं च तथातुरोऽपि॥35॥

और भी अधिक शुभ स्वप्नों के फल मनु महाराज को बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने कहा कि राजन! गौवों के सींग से स्रवित जल, या चंद्रमा से गिरते हुए जल से स्नान का स्वप्न सर्वथा शुभ एवं राज्य की प्राप्ति कराने वाला होता है। राज्यारोहण का स्वप्न, मस्तक कटने का स्वप्न, अपनी मृत्यु, प्रज्ज्वलित अग्नि देखना, घर में लगी आग का स्वप्न देखना, राज्य चिह्नों की प्राप्ति, वीणा वादन, या श्रवण, जल में तैरना, दुरूह स्थानों को पार करना, घर में हस्तिनी, घोड़ी तथा गौ का प्रसव देखना, घोड़े की सवारी करते देखना, स्वयं को रोते देखना आदि स्वप्न शुभ और मंगल शकुन के द्योतक होते हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरियों की प्राप्ति तथा उनका आलिंगन, जंजीर में स्वयं को बंधा देखना, शरीर में मल का लेप देखना, जो राजा मौजूद हैं, उन्हें स्वप्न में देखना, मित्रों को स्वप्न में देखना, देवताओं का दर्शन, निर्मल जल देखने के स्वप्न भी सर्वथा शुभकारी होते हैं, जिससे बिना प्रयास के धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा रुग्ण व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। अशुभ स्वप्नों एवं उनके फलों के विषय में श्री मत्स्य भगवान मनु महाराज को बताते हुए कहते हैं :

इदानीं कथयिष्यामि निमित्तं स्वप्नदर्शने। नाभिं विनान्यगात्रेषु तृणवृक्षसमुरवः॥2॥
चूर्णनं मूध्निं कांस्यानां मुण्डनं नग्नता तथा। मलिनांबरधारित्त्वमभ्यगः पटदिग्धता॥3॥
उच्चात् प्रपतनं चैव दोलारोहणमेव च। अर्जनं पटलोहानां हयानामपि मारणम्॥4॥
रक्तपुष्पद्रुमाणां च मंडलस्य तथैव च। वराहर्क्षखरोष्ट्राणां तथा चारोहणक्रिया॥5॥
भक्षणं पक्षिमत्स्यानां तैलस्य कृसरस्य च। नर्तनं हसनं चैव विवाहो गीतमेव च॥6॥
तंत्रीवाद्यविहीनानां वाद्यानामभिवादनम्। स्रोतोऽवगाहगमनं स्नानं गोमयवारिणा॥7॥
पटोदकेन च तथा महीतोयेन चाप्यथ। मातुः प्रवेशा जठरे चितारोहणमेव च॥8॥
शक्रध्वजाभिपतनं पतनं शशिसूर्ययोः। दिव्यांतरिक्षभौमानामुत्पातानां च दर्शनम्॥9॥

अर्थात, मत्स्य भगवान ने विभिन्न स्वप्नों के अशुभ फलों की ओर इंगित करते हुए मनु महाराज से कहा कि हे राजन! स्वप्न में नाभि के अतिरिक्त, शरीर के अन्य अंगों में घास, फूस, पेड़-पौधे उगे हुए देखना, सिर पर कांसे को कुटता देखना, मुंडन देखना, अपने को नग्न देखना, स्वयं को मैले कपड़े पहने हुए देखना, तेल लगाना, कीचड़ में धंसना, या कीचड़ लिपटा देखना, ऊंचे स्थान से गिरना, झूला झूलना, कीचड़ और लोहा आदि एकत्रित करना, घोड़ों को मारना, लाल फूलों के पेड़ पर चढ़ना, या लाल पुष्पों के पेड़ों का मंडल, सूअर, भालू, गधे और ऊंटों की सवारी करना, पक्षियों का भोजन करना, मछली, तेल और खिचड़ी खाना, नृत्य करना, हंसना, विवाह एवं गाना-बजाना देखना, वीणा के अलावा अन्य वाद्यों को बजाना, जल स्रोत में नहाने जाना, गोबर लगा कर जल स्नान, कीचड़युक्त उथले जल में नहाना, माता के उदर में प्रवेश करना, चिता पर चढ़ना, इंद्र पताका का गिरना, चंद्रमा एवं सूर्य को गिरते देखना, अंतरिक्ष में उल्का पिंडों के उत्पात आदि स्वप्न में देखना सर्वथा अशुभ है।

देवद्विजातिभूपालगुरुणं क्रोध एवं च। आलिग्नं कुमारीणां पुरुषाणां च मैथुनम्॥10॥
हानिश्चैव स्वगात्राणां विरेकवमनक्रिया। दक्षिणाशाभिगमनंव्याधिनाभिभवस्तथा॥11॥
फलापहानिश्च तथा पुष्पहानिस्तथैव च। गृहाणां चैव पातश्च गृहसम्मार्जनं तथा॥12॥
क्रीड़ा पिशाचक्रव्याद्वानरर्क्षनररैपि। परादभिभवश्चैव तस्मांच व्यसनारवः॥13॥
काषायवस्रधारित्वं तद्वत् स्त्रीक्रीडनं तथा। स्नेहपानवगाहौ च रक्तमाल्यानुलेपनम्॥14॥
एवमादीनि चान्यानि दुःस्वप्नानि विनिर्दिशेत्। एषा। संकथनं धन्यं भूयः प्रस्वापनं तथा॥15॥

अर्थात, श्री मत्स्य भगवान्, स्वप्नों के अशुभ फलों के विषय में मनु महाराज को बताते हुए पुनः कहते हैं कि देवता! राजा और गुरुजनों को क्रोध करते देखना, स्वप्न में कुमारी कन्याओं का आलिंगन करना, पुरुषों का मैथुन करना, अपने शरीर का नाश, कै-दस्त करते स्वयं को देखना, स्वप्न में दक्षिण दिशा की यात्रा करना, अपने को किसी व्याधि से ग्रस्त देखना, फलों और पुष्पों को नष्ट होते देखना, घरों को गिरते देखना, घरों में लिपाई, पुताई, सफाई होते देखना, पिशाच, मांसाहारी पशुओं, वानर, भालू एवं मनुष्यों के साथ क्रीड़ा करना, शत्रु से पराजित होना, या शत्रु की ओर से प्रस्तुत किसी विपत्ति से ग्रस्त होना, स्वयं को मलिन वस्त्र स्वयं पहने देखना, या वैसे ही वस्त्र पहने स्त्री के साथ क्रीड़ा करना, तेल पीना, या तेल से स्नान करना, लाल पुष्प, या लाल चंदन धारण करने का स्वप्न देखना आदि सब दुःस्वप्न हैं। ऐसे दुःस्वप्नों को देखने के बाद तुरंत सो जाने से, या अन्य लोगों को ऐसे दुःस्वप्न बता देने से उनका दुष्प्रभाव कम हो जाता है। दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव के शमन का उपाय बताते हुये मत्स्य भगवान मनु महाराज से कहते है :

कलकस्नानं तिलैर्होमो ब्रह्मणानां च पूजनम्। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथातस्यैव पूजनम्॥ नागेंद्रमोक्ष श्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्॥

अर्थात, ऐसे दुःस्वप्न देखने पर कल्क स्नान करना चाहिए, तिल की समिधा से हवन कर के ब्राह्मणों का पूजन, सत्कार करना चाहिए। भगवान वासुदेव की स्तुति (पूजन द्वादश अक्षरमंत्र 'नमो भगवते वासुदेवाय' का जप) करनी चाहिए और गजेंद्र मोक्ष कथा का पाठ, या श्रवण करना चाहिए। इनसे दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव का शमन होता है।

स्वप्नेश्वरी देवी साधना

स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। जीवन में कई बार आकस्मिक व ठोस निर्णय लेने पड़ते हैं। कभी ऑफिस से संबंधित, निर्णय लेने होते हैं, कभी व्यवसाय से, कभी घर परिवार से, तो कभी रिश्तेदारों से संबंधित। एक असमंजस की स्थिति होती है। एक मन कहता है कि हमें यह कार्य कर लेना चाहिये तो एक मन कहता है नहीं। किसी कार्य को करें या नहीं करें, आज करें या कल करें, यह काम लाभदायक होगा या हानिकारक, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसे समय में स्वप्न हमारे लिये समाधान का माध्यम बन सकते हैं। जी हां, स्वप्नों के माध्यम से हमें संकेत मिल सकता है कि अमुक कार्य हमें करना चाहिये या नहीं, यदि वह कार्य हमारे लिये लाभदायक होगा तो कार्य करने के संकेत मिल जायेंगे। यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो उस संबंध में स्वप्न द्वारा निश्चित उत्तर प्राप्त किया जा सकता है। स्वप्न में प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के उद्देश्य से शास्त्रों में स्वप्नेश्वरी देवी साधना का विधान वर्णित है। स्वप्नेश्वरी देवी साधना की विधि इस प्रकार है - जिस समय निर्णय लेने की समस्या की स्थिति उत्पन्न हो, उस समय स्नान करके शुद्ध धुले हुए वस्त्र पहन लें। यदि आप स्नान न कर पाने की स्थिति में हैं तो हाथ-मुंह धो कर, सफेद धुले वस्त्र पहन कर एक स्वच्छ सफेद काग़ज़ पर अपने प्रश्न को स्पष्ट अक्षरों में लिख कर रख लें। फिर सांय काल पुनः शुद्ध जल से स्नान कर, शुद्ध धुले वस्त्र धारण कर, श्रेष्ठ कुशा या ऊन के आसन पर बैठकर स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र को तब तक जपते रहें जब तक कि नींद न आ जाए। मंत्र -

स्वप्नेश्वरी नमस्तुभ्यं फलाय वरदाय च। मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय॥

अर्थात् - हे फल और वरदान को देने वाली स्वप्नेश्वरी देवी ! आपको नमस्कार है। मेरी सिद्धि अथवा असिद्धि के विषय में सब बात दिखाइए। इस प्रकार जप करते-करते जब सोने की इच्छा हो, तब प्रश्न लिखे हुए काग़ज़ को सिरहाने रखकर सो जायें तो स्वप्न में उसका सही उत्तर प्राप्त हो जायेगा। यदि सांयकाल के समय ही समस्या उत्पन्न हो तो स्नान करना आवश्यक होगा, कपड़े बदलना भी आवश्यक होगा। सांयकाल स्नान के बाद धुले वस्त्र पहन कर आसन पर बैठकर काग़ज़ पर लिखकर आगे रख लें तथा स्वप्नेश्वरी देवी का ध्यान करके जप करें। मंत्र -

शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा।

  • विधि : इस मंत्र को 1008 बार जप कर के, फिर सोते समय 108 बार जप कर के सोने पर स्वप्न में शुभाशुभ ज्ञात होता है। उपर्युक्त यंत्र को भोज पत्र पर लिख कर सिरहाने रख कर सोऐं, तो स्वप्न नहीं आते हैं।
  • विशेष : अशुभ स्वप्न आने पर, तुरंत क्या-क्या कार्य करने से उनकी अशुभता धूमिल अथवा नष्ट हो जाती है, इसका संक्षेप में वर्णन किया है पर इसके साथ यदि शुभ स्वप्न आ जाए और शुभ स्वप्न देखने के बाद तुरंत आँखें खुल जायें, तो उस व्यक्ति को चाहिए कि वह पुनः शयन न करे, अपितु शेष रात्रि जाग कर व्यतीत कर देनी चाहिए तथा जागते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख