सिक्किम की अर्थव्यवस्था

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सिक्किम राज्य में खनिज में तांबा, सीसा, जस्ता, कोयला, ग्रेफ़ाइट और चूना-पत्थर पाए जाते हैं। हालांकि इन सभी का व्यापारिक दोहन नहीं होता है। यहाँ के वन संसाधन और पनबिजली क्षमता अधिक उल्लेखनीय हैं। फिर भी सिक्किम मुख्यत: कृषि प्रधान राज्य है। इसका कुल बुआई क्षेत्र 63,254 हेक्टेयर है और एक बड़ा इलाक़ा खेती के लिए सुलभ नहीं है। घाटी के किनारे लगे सीढ़ीदार खेतों में मक्का, चावल, मेथी, गेहूं और जौ की उपज होती है। यहाँ पर सेम, अदरक, आलू और अन्य सब्ज़ियाँ, फल और चाय भी उगाए जाते हैं। सिक्किम दुनिया के प्रमुख इलायची उत्पादक क्षेत्रों में से एक है।

पशुधन

पशुधन में मवेशी, सुअर, भेड़ बकरीयाँ और मुर्गे-मुर्गियाँ शामिल हैं। गाय और भैंस मुख्यत: उपोष्णकटिबंधीय आर्द्रता वाली पट्टी में सीमित हैं, जबकि याक और भेड़ उत्तर में ऊँची ढ़लाने पर चराए जाते हैं। 1995- 1996 में यहाँ मत्स्य उत्पादन 150 टन था।

उद्योग

1970 के दशक की शुरुआत तक सिक्किम में सिर्फ़ कुटीर उद्योग थे, जिनमें हाथ से बुने कपड़े, क़ालीन और कंबल बनाए जाते थे। साथ ही पारंपरिक हस्तशिल्प, जैसे कसीदाकारी, बूटेदार पेंटिंग और लकड़ी पर नक़्क़ाशी का काम होता है। अब यहाँ कई लघु उद्योग हैं, जैसे आटा मिलें, चमड़े के कारख़ाने, घड़ी बनाने की इकाई, शराब की फैक्ट्री, फल संरक्षण संयंत्र और एक चाय प्रसंस्करण फ़ैक्ट्री। यहाँ स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 8 हज़ार मेगावाट है।

परिवहन

यद्यपि बड़े पैमाने पर सिक्किम में सड़कें नहीं हैं, लेकिन यात्रा की प्राथमिक पद्धति मौजूद है, कई जगहों पर रज्जु मार्ग (रोप वे) की भी सुविधा है। राजधानी गंगटोक नज़दीक बागडोगरा हवाई अड्डे से 121 किमी. और सिलीगुड़ी रेलवे स्टेशन से 113 किमी. की दूरी पर है। ये दोनों पश्चिम बंगाल में हैं। सिलीगुड़ी को जाने वाली सड़क को इस हिमालयी राज्य की जीवन रेखा समझा जाता है, जो ज़मीन खिसकने कारण अक्सर बाधित रहती है। राज्य की बसें राज्य के विभिन्न इलाकों और पड़ोसी पश्चिम बंगाल को आपस में जोड़ती हैं। इसके अलावा राज्य में टेलीफ़ोन एक्सचेंज, अस्पताल, दो स्नातक महाविद्यालय और एक विधि महाविद्यालय है और बागडोगरा हवाई अड्डे से हेलिकॉप्टर सेवा की भी सुविधा है।

पर्यटन

सिक्किम विदेशी व घरेलू पर्यटकों के लिए एक नया ठिकाना बन गया है। यह ठंडा व शांत इलाका है। यहाँ कई विकल्प मौजूद हैं। यद्यपि विदेशी पर्यटकों का आगमन स्थिर है, पर घरेलू पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। इस राज्य में आने के लिए विदेशियों को अनुमति पत्र लेना पड़ता है। पर्यटकों के रुचि वाले स्थलों में गंगटोक 24 किमी. दूर 1,550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूमटेक मठ; पूर्वी ज़िले में गंगटोक से 36 किमी. दूर 3,774 मीटर की ऊंचाई पर स्थित छंगु झील; गंगटोक से112किमी. दूर स्थित गीज़िंग, गंगटोक से 120 किमी. दूर 2,085 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पेमायांत्से मठ; गंगटोक से 26 किमी. दूर स्थित पेलिगं मठ, खेचोपरी झील; गंगटोक से 35 किमी. की दूरी पर फोडोंग मठ; गंगटोक 135 किमी. दूर 3,700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित युमथांग गर्म झरना और कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान शामिल है। दार्जिलिंग और गंगटोक में यात्रा कराने वाला एजेंट मौजूद हैं, जो राज्य के कई हिस्सों की यात्रा कराते हैं। प्रकृति प्रमियों के लिए उत्तरी सिक्किम ज़िले में ख़ास आकर्षण हैं। 3,658 मीटर की ऊंचाई पर गंगटोक से युमथांग का 140 किमी रास्ता रोमांचक नज़ारों, गर्म पानी के झरनों और चीड़ के वृक्षों की दृश्यावली से भरा है। तिस्ता और रंगित नदियों में नाव खेना (राफ़्टिंग) लोकप्रिय हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक याकगाड़ी की सवारी, साईकिल द्वारा पहाड़ों पर चढ़ाई और हैंग- ग्लाइडिंग जैसे खेलों का आनंद लेते हैं। सिक्किम में प्लास्टिक के थैलों पर पाबंदी है, क्योंकि ये पानी का प्राकृतिक बहाव रोकते हैं, जिसके कारण हाल ही में राजधानी में बाढ़ आ गई थी और कई घर तबाह हो गए थे।


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