वीर विनोद

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वीर विनोद राजस्थान के इतिहास से सम्बंधित एक प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ है। इस ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना कविराज श्यामलदास द्वारा की गई थी। 'वीर विनोद' में राणा साँगा और मुग़ल बादशाह बाबर के मध्य हुए प्रसिद्ध 'खानवा युद्ध' का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है।[1]

  • श्यामलदास मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह (शंभूसिंह) का दरबारी कवि था।
  • कविराज श्यामलदास ने 'वीर विनोद' की रचना महाराणा सज्जनसिंह के आदेश से प्रारम्भ की थी।
  • चार खंडों में रचित इस ग्रंथ पर कविराज श्यामलदास का ब्रिटिश सरकार द्वारा "केसर-ए-हिंद" की उपाधि प्रदान की गई थी।
  • 'वीर विनोद' में बतलाया गया है कि बाबर 20,0000 मुग़ल सैनिकों को लेकर राणा साँगा से युद्ध करने आया था। उसने साँगा की सेना के लोदी सेनापति को प्रलोभन दिया, जिससे वह साँगा को धोखा देकर सेना सहित बाबर से जा मिला था।
  • इस ग्रंथ में मेवाड़ के विस्तृत इतिहास सहित अन्य संबंधित रियासतों का भी वर्णन है।
  • मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह ने श्यामलदास को 'कविराज' व 'महामहोपाध्याय' की उपाधि से विभूषित किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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