मानुहोर बिहू

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मानुहोर बिहू के दिन अर्थात् 14 अप्रैल का दिन असम में नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के महाभोज को बिहू कबोलोई कहते हैं।

मानुहोर बिहू के दिन नये वस्त्रों के साथ गमछा भी पहना जाता है। यह विशेष प्रकार का गमछा एक सुन्दर तौलिए के रूप में होता है। जिसमें अनेक आकृतियाँ बनी होती हैं। इस गमछे को सिर या कमर पर बाँधा जाता है। स्त्रियाँ मेखली चादर व मूंगा रेशम के आकर्षक वस्त्र धारण करती हैं। ये परिधान असम के विशेष परिधान हैं।

बिहू मनाने को अनेक दल गीत गाते और संगीत की धुन पर नृत्य करते हुए टोलियों में निकलते हैं। गाय जाने वाले भक्तिगीतों को हुसरी विधि के द्वारा गाया जाता है। इस विधि में श्रीकृष्ण की प्रशंसा व उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। सड़क व अन्य मार्गों से होते हुए ये दल एक खुले स्थान में एकत्रित होते हैं। इस स्थान को 'बिहू टोली' कहा जाता है। नृत्य व सौंदर्य प्रतियोगिताएँ सभी के मन को प्रसन्न करती हैं। विजेताओं के नाम समाचार–पत्रों में एक सप्ताह तक छपते हैं।


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